Google Chrome News: गूगल पर अपनी इंटरनेट वर्ल्ड और सर्च इंजन के क्षेत्र में एकाधिकार बनाए रखने के आरोप लगातार बढ़ते जा रहे हैं। अमेरिकी न्याय विभाग (DOJ) ने इस मामले में गूगल पर और दबाव डालते हुए अदालत से यह मांग की है कि गूगल को अपनी प्रमुख वेब ब्राउज़र, Chrome को बेचना पड़ेगा। अगर यह मांग पूरी होती है, तो गूगल को अपनी ताकतवर स्थिति से हाथ धोना पड़ सकता है।यह कदम अमेरिकी सरकार की नीति का हिस्सा है, जो दिग्गज टेक कंपनियों पर अंकुश लगाने की दिशा में उठाया जा रहा है। हालांकि, यह देखना होगा कि आने वाली ट्रंप प्रशासन की ओर से इस मामले में क्या रुख अपनाया जाता है।
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क्रोम ब्राउजर को बेचने का क्या है DOJ का तर्क?

अमेरिकी न्याय विभाग ने अपनी दलील में कहा है कि गूगल ने इंटरनेट वर्ल्ड और सर्च इंजन के क्षेत्र में अपनी बादशाहत को बनाए रखने के लिए कई अनुचित तरीके अपनाए हैं। इन आरोपों के तहत, गूगल पर यह आरोप है कि उसने स्मार्टफोन और लैपटॉप कंपनियों को अरबों डॉलर का भुगतान किया है ताकि वे अपने डिवाइसों में Google Search को डिफॉल्ट सर्च इंजन के रूप में सेट करें। इससे गूगल को वर्चुअल मार्केट में नियंत्रण हासिल हुआ है, जबकि छोटे सर्च इंजन कंपनियों के लिए प्रतिस्पर्धा करना बेहद मुश्किल हो गया है।
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गूगल का बाजार पर हावी होना?
DOJ का कहना है कि गूगल ने अपनी इन रणनीतियों के जरिए इंटरनेट सर्च इंजन पर पूरी तरह से प्रभुत्व स्थापित कर लिया है। अमेरिकी सरकार का दावा है कि आज के समय में अमेरिका में 70% से अधिक सर्च रिजल्ट्स पर गूगल का कब्जा है। इस प्रभुत्व ने छोटे सर्च इंजन ऑपरेटरों के लिए अपनी जगह बनाना और प्रतिस्पर्धा करना लगभग असंभव बना दिया है।

इसके कारण, गूगल की सफलता के रास्ते में अन्य कंपनियां रुकावट डालने में असमर्थ रही हैं। DOJ ने इस तर्क को रखा है कि गूगल की इन रणनीतियों ने उसे इतना ताकतवर बना दिया है कि अब कोई भी प्रतिस्पर्धी कंपनी गूगल से मुकाबला नहीं कर सकती है।
क्या गूगल को सच में क्रोम बेचना पड़ेगा?
गूगल ने इस आरोप का विरोध किया है और अपनी स्थिति को बचाने की कोशिश की है। कंपनी ने अदालत में यह दलील दी है कि उसके द्वारा अपनाए गए व्यापारिक तरीके पूरी तरह से कानूनी और सही हैं, और इनसे केवल उपभोक्ताओं को लाभ हुआ है।

गूगल के अनुसार, उसकी रणनीतियों ने इंटरनेट के इस्तेमाल को सरल और बेहतर बना दिया है।हालांकि, अमेरिकी न्याय विभाग ने गूगल की इस दलील को नकारते हुए कहा है कि कंपनी ने अपनी ताकत का दुरुपयोग किया है और इससे बाजार में प्रतिस्पर्धा को नुकसान पहुंचा है। अब यह देखना दिलचस्प होगा कि अदालत इस मामले में किस दिशा में फैसला देती है और क्या गूगल को अपना प्रमुख ब्राउजर बेचना होगा।
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इंटरनेट की दुनिया में बड़ा बदलाव
अगर गूगल को सच में अपना Chrome ब्राउजर बेचना पड़ा, तो इससे इंटरनेट की दुनिया में बड़ा बदलाव आ सकता है। यह न सिर्फ गूगल की सर्च इंजन और ब्राउजर में प्रभुत्व को चुनौती देगा, बल्कि इससे अन्य टेक कंपनियों को भी अपनी जगह बनाने का मौका मिलेगा।