Machhali Shahar Loksabha Seat: यूपी की एक ऐसी लोकसभा सीट जिसे मछलीशहर के नाम से जानते हैं.वो मछलीशहर सीट जिसे वाराणसी और जौनपुर की विधानसभाओं को मिलाकर बनाया गया है और फिलहाल इस वक्त यहां पर बीजेपी का कब्जा है. वो मछलीशहर एक बार फिर लोकसभा चुनाव के लिए तैयार है. वाराणसी लोकसभा सीट से सटी मछली शहर लोकसभा सीट अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित है. बीते चुनाव में सबसे ज्यादा रोचक मुकाबला कहीं देखने को मिला थातो वो यही लोकसभा सीट थी. जहां पर हार और जीत फासला महज 181 वोटों का था.तब बीजेपी के बीपी सरोज ने सपा-बसपा गठबंधन के प्रत्याशी टी राम को केवल 181 वोटों से मात देकर उन्हें जीत से महरूम कर दिया था.
read more: सीएम केजरीवाल की गिरफ्तारी के विरोध में AAP विधायकों का विधानसभा के बाहर प्रदर्शन
कांग्रेस की नहीं हो सकी वापसी..
जौनपुर के मछली शहर, मड़ियाहू, जफराबाद, केराकत और वाराणसी की पिंडरा विधानसभा को मिलाकर इस लोकसभा को गठन किया गया है. मछलीशहर और केराकत विधानसभा अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित हैं. 1962 में यहां के पहले चुनाव में कांग्रेस के गणपत ने जनसंघ के महादेव को हराया था.1984 में आखिरी बार कांग्रेस से श्रीपति सांसद चुने गए.उन्होंने लोकदल के शिव शरण को हराया था.उसके बाद इस सीट पर कांग्रेस की अब तक वापसी नहीं हो सकी है.
मछली शहर में बदलता रहा निज़ाम
बसपा ने 2004 में उमाकांत यादव को टिकट दिया. उन्होंने सपा के CM सिंह को हराकर पार्टी का खाता खोला. 2009 में सीट सुरक्षित होने फायदा सपा को मिला. तब सपा के तूफानी सरोज ने बसपा के कमलाकांत गौतम को हराया. 2014 में भाजपा से रामचरित्र निषाद ने बसपा के बीपी सरोज को हराया. 2019 के चुनाव में बीपी सरोज ने पाला बदल लिया.बीजेपी के टिकट पर सरोज ने 2019 में जीत दर्ज की. पिछड़ों दलितों का वोट जिधर, जीत उधर (हेडर) करीब 19 लाख वोटरों वाली इस सीट पर पिछड़ों-दलितों की संख्या सबसे ज्यादा रही. यादव वोटरों की तादाद करीब 2 लाख रही.SC वोटरों की संख्या 2.5 लाख के पार. क्षत्रिय 2,42,164 ब्राह्मण 17,09,89, कायस्थ 91,452 वैश्य 64,764, मुस्लिमों की संख्या 89,322, अन्य 3,41,799,
विपक्षी दल इस बार क्या रणनीति अपनाते?
बीते लोकसभा चुनाव में महज 181 वोटों से हारने वाले बसपा प्रत्याशी रहे टी राम अब भाजपाई हो चुके हैं और फिलहाल वाराणसी की अजगरा सीट से विधायक भी हैं. ऐसे में भाजपा को किसी नए प्रत्याशी से मुकाबला करना होगा. पीएम मोदी के संसदीय क्षेत्र वाराणसी जिलेकी पिंडरा सीट पर मिली लीड के कारण ही भाजपा को यह जीत नसीब हो सकी थी. 181 वोटों सेपीछे रह गए विपक्षी दल इस बार क्या रणनीति अपनाते हैं, यह देखनेवाली बात होगी.
1962 में मछली शहर पहली बार लोकसभा की सीट बनी। भारतीय लोकदल के राजकेशर सिंह ने 1977 मेंकांग्रेस के विजय रथ को रोका और नागेश्वर दिवेदी को पराजित किया. इससे पहले यहां एक दशक से कांग्रेस जीतती रही थी। जब देश मेंराम मंदिर मुद्दा अपने चरम पर था तो यहां भाजपा हार गई थी. 1989 के चुनाव में जनता दल के शिवशरण वर्मा ने कांग्रेस के श्री पति मिश्रा को हराया। वहीं, 1991 में शिवशरण ने भाजपा के राजकेशर सिंह को हराया। 1996 मेंभाजपा के राम विलास वेदांती यहां सेजीतकर सांसद बनेथे। 1998 मेंभाजपा के स्वामी चिन्मयानंद ने सपा के हरवंश सिंह को मात दी।
किसने किया इस क्षेत्र का प्रतिनिधित्व?
मछली शहर उत्तर प्रदेश के 80 लोकसभा निर्वाचन क्षेत्र में से एक है. कभी इस क्षेत्र का प्रतिनिधित्व देश के प्रथम प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू ने किया था. मछली शहर 1962 में पहली बार स्वतंत्र लोकसभा बनकर अस्तित्व में आया. इससे पहले मछलीशहर के लोग फूलपुर लोकसभा के लिए 1952 और 1957 तक वोटिंग करत रहे. मछलीपुर लोकसभा बनने के बाद 1962 में सबसे पहले यहां कांग्रेस के गणपत ने चुनाव जीता था. मछलीशहर कभी कांग्रेस का गढ़ था अब यहां पार्टी अपने अस्तित्व बचाने की लड़ाई लड़ रही है. कांग्रेस पार्टी ने यहां 1984 के बाद जीत दर्ज नहीं किया है.
read more: मुंबई पुलिस की हिरासत में Munawar Faruqui,जानें क्या है आरोप?
साल 2019 के चुनाव में कांटे की टक्कर..
2019 के लोकसभा चुनाव में कांटे की टक्कर हुई और देर रात तक गिनती होती रही। बार-बार बदलते परिणाम के कारण लोगों की धड़कनें भी बढ़ी रहीं। बीजेपी ने 22 राउंड तक पीछे रहनेके बाद 23वें राउंड से बढ़त बनाई जो 32वें राउंड मेंजाकर जीत मेंबदली थी। बीजेपी के बीपी सरोज को 4,88,397 और बसपा के त्रिभुवन राम को 4,88,216 वोट हासिल हुए। इस तरह मात्र 181 वोटों के अंतर सेबसपा हार गई थी। एसबीएसपी के राज नाथ को 11,223 वोट मिले थे। जबकि इससे पहले 2014 मेंमुकाबला एकतरफा था। बीजेपी के रामचरित्र निषाद को 4,38,210 और बसपा के बीपी सरोज को 2,66,055 वोट ही मिलेथे। तब सपा के तूफ़ानी सरोज को 1,91,387 वोट हासिल हुए थे। कांग्रेस के तूफ़ानी निषाद ने 36,275 और भाकपा के सुबास चंद्र को 18,777 मत मिले थे।
पिछले चुनावों का क्या रहा नतीजा?
1991 में जब राम मंदिर का मुद्दाचरम पर था तब बीजेपी भी यहां चुनाव हार गई थी. लेकिन बीजेपी पिछले दो चुनाव से यहां जीत दर्ज कर रही है. 2019 में हुए चुनाव में सबसे ज्यादा रोचक मुकाबला यहीं देखने के लिए मिला था. तब बीजेपी के बीपी सरोज ने केवल 181 वोटों से जीत दर्ज की थी. 2019 में हुए लोकसभा चुनाव में बीजेपी के बीपी सरोज ने महज 181 वोटों से जीत दर्ज की थी. वह भी तब बीजेपी जीत दर्ज करने में कामयाब हुई जब पीएम मोदी के संसदीय सीट वाराणसी जिले की पिंडरा सीट पर लीड मिली.
इससे पहले 2014 में बीजेपी ने यहां एकतरफा जीत दर्ज की थी. 2014 में बीजेपी की तरफ से रामचरित्र निषाद मैदान में थे. उनके सामने थे तब बीएसपी के बीपी सरोज जो 2019 में बीजेपी के उम्मीदवार बने. बीपी सरोज को 2014 में बीजेपी के रामचरित्र निषाद ने 172155 वोटों से हराया था. 2019 में बीजेपी ने जब उम्मीदबार बदला तो जीत का अंतर घटकर 181 वोट पर पहुंच गया. बसपा के त्रिभुवन राम ने बीपी सरोज को कड़ी टक्कर दी थी. हालाकि त्रिभुवन राम अब भाजपाई हो गए हैं और वाराणसी के अजगरा सीट से विधायक हैं.
पंडित नेहरू क्षेत्र के पहले सांसद
1962 में मछलीशहर लोकसभा सीट के रूप में अस्तित्व में आया इससे पहले यह पंडित जवाहर लाल नेहरू के फूलपुर लोकसभा का हिस्सा था. मछली शहर लोकसभा सीट को वाराणसी जिले की पिंडरा विधानसभा, जौनपुर जिले के मछलीशहर, मड़ियाहू, जफराबाद, केराकत को मिलाकर बनाया गया. 1962 में हुए पहले चुनाव में यहां कांग्रेस पार्टी के गणपत ने जनसंघ के उम्मीदवार को हराकर जीत दर्ज की. यहां 1971 तक लगातार कांग्रेस जीतती रही. 1977 में भारतीय लोकदल के राजकेशर सिंह ने कांग्रेस के विजय रथ को रोका. 1984 में कांग्रेस फिर जीत दर्ज करने में कामयाब रही.
read more: मुख्तार अंसारी के भाई ने जताया सरकार का आभार,मेडिकल रिपोर्ट फिट आने के बाद फिर पहुंचा जेल
2014 में 172155 वोटों से बीजेपी की जीत
1989 में जनता दल के शिवशरण वर्मा, 1991 में फिर शिवशरण, 1996 में बीजेपी, 1998 में सपा, 2004 में बसपा के उमाकांत यादव. साल 2009 में यह सीट परिसीमन के बाद सुरक्षित सीट हो गई. इसके बाद तूफानी सरोज ने यहां जीत हासिल की. साल 2014 में मोदी लहर में बीजेपी से रामचरित्र निषाद ने यह सीट 172155 वोटों से जीता जबकि 2019 के चुनाव में रामचरित्र निषाद सपा में शामिल हो गए और बसपा वाले बीपी सरोज बीजेपी में. बीजेपी ने यह सीट महज 181 वोटों से जीता था
ये है मछली शहर का जातीय गणित
मछली शहर सीट में पिछड़ों और दलितों की संख्या सबसे ज्यादा है. 2011 की जनगणना के अनुसार यादव- 201867, अनसूचित जाति- 248005, ब्राह्मण- 170989, राजपूत- 242164, कायस्थ- 91452, वैश्य-64764 और मुस्लिमों की संख्या करीब 89322 और अन्य 341799 है. बीजेपी ने 196 उम्मीदवारों की जो सूची जारी की है उसमें मछली शहर का नाम नहीं है. वहीं समाजवादी पार्टी और बसपा ने भी अपने उम्मीदवार का नाम ऐलान नहीं किया है.
read more: सपा प्रमुख की Azam Khan से मुलाकात का असर!रूचि वीरा को नामांकन से रोका..