Vodafone Idea Share News:वोडाफोन आइडिया लिमिटेड (VI) ने हाल ही में एक महत्वपूर्ण सूचना दी है, जिसमें बताया गया है कि सरकार को कंपनी में फिर से हिस्सेदारी बेचने की योजना बनाई गई है। कंपनी ने रविवार को शेयर बाजारों में इस संबंध में जानकारी दी। इस कदम के तहत सरकार अपनी हिस्सेदारी को बढ़ाकर 48.99 प्रतिशत तक करने का इरादा रखती है। इसके लिए सरकार ने वोडाफोन आइडिया को 36,950 करोड़ रुपये की मूल्य के शेयरों के अधिग्रहण का प्रस्ताव रखा है, जो कि स्पेक्ट्रम नीलामी की बकाया राशि के बदले किए जाएंगे।
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स्पेक्ट्रम नीलामी के बकाया भुगतान के बदले हिस्सेदारी

वोडाफोन आइडिया के कर्ज में डूबी स्थिति को देखते हुए सरकार ने पिछले कुछ समय में कई कदम उठाए हैं। कंपनी पहले ही 22.6 प्रतिशत हिस्सेदारी के साथ सरकार के पास है। अब सरकार ने स्पेक्ट्रम नीलामी की बकाया राशि का भुगतान करने के लिए अपने हिस्से को और बढ़ाने का निर्णय लिया है। इस फैसले के तहत, सरकार को 36,950 करोड़ रुपये मूल्य के शेयरों के बदले कंपनी में अतिरिक्त हिस्सेदारी मिलेगी।
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क्या है सरकार का कदम?

कंपनी द्वारा दी गई जानकारी के अनुसार, इस कदम के तहत सरकार के लिए 36,950 करोड़ रुपये मूल्य के शेयर जारी किए जाएंगे। यह शेयर स्पेक्ट्रम नीलामी के बकाया भुगतान की राशि को इक्विटी शेयरों में परिवर्तित करने के लिए जारी किए जाएंगे। वोडाफोन आइडिया ने कहा है कि इस परिवर्तन के बाद भारत सरकार की हिस्सेदारी कंपनी में मौजूदा 22.6 प्रतिशत से बढ़कर लगभग 48.99 प्रतिशत हो जाएगी।
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कोई बदलाव नहीं होगा

वोडाफोन आइडिया ने यह भी स्पष्ट किया कि सरकार के हिस्सेदारी बढ़ने के बाद भी उसके प्रवर्तक कंपनी के परिचालन नियंत्रण में रहेंगे। यानी, सरकार की हिस्सेदारी का बढ़ना वोडाफोन आइडिया के संचालन पर कोई बड़ा असर नहीं डालेगा।
सेबी और अन्य प्राधिकरणों से आवश्यक आदेश की प्रक्रिया

कंपनी ने कहा कि इसके लिए आवश्यक आदेश भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (SEBI) और अन्य संबंधित प्राधिकरणों से प्राप्त होने के बाद 30 दिनों के भीतर 10 रुपये के अंकित मूल्य वाले 3,695 करोड़ इक्विटी शेयर जारी किए जाएंगे। ये शेयर 10 रुपये के निर्गम मूल्य पर जारी किए जाएंगे।
निवेशकों के लिए क्या है असर?
इस कदम के साथ वोडाफोन आइडिया के निवेशकों के लिए कई सवाल उठ रहे हैं। सरकार की हिस्सेदारी में बढ़ोतरी से कंपनी के शेयरों में क्या बदलाव आएगा, इसका आकलन निवेशकों के लिए अहम होगा। वहीं, यह भी देखा जाएगा कि सरकार के बढ़ते दखल से कंपनी के भविष्य के विकास योजनाओं पर क्या असर पड़ेगा।