UPI: हाल ही में डिजिटल पेमेंट्स काउंसिल ऑफ इंडिया (DPCI) ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को एक पत्र लिखकर यूपीआई ट्रांजैक्शन पर 0.3% का मर्चेंट डिस्काउंट रेट (MDR) लगाने की मांग की है। इसके अलावा, PCI ने रूपे डेबिट कार्ड ट्रांजैक्शन पर भी MDR लगाने की बात की है। इस प्रस्ताव से संबंधित कई सवाल खड़े हो गए हैं, क्योंकि अगर यह लागू होता है, तो इससे ग्राहकों पर अतिरिक्त बोझ पड़ सकता है, जो यूपीआई को मुफ्त और सुविधाजनक सेवा मानते हैं।
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यूपीआई ट्रांजैक्शन फीस
इस प्रस्ताव पर प्रतिक्रिया देते हुए, लोकल सर्कल्स द्वारा किए गए एक सर्वे में सामने आया कि अगर यूपीआई ट्रांजैक्शन पर फीस लगाई जाती है, तो लगभग 73% यूजर्स इसका इस्तेमाल करना बंद कर देंगे। सर्वे के अनुसार, यूजर्स का यह मानना है कि यदि MDR लागू होता है, तो अधिकांश दुकानदार इसे सीधे ग्राहकों पर थोप देंगे, जिससे उन्हें अतिरिक्त शुल्क का सामना करना पड़ेगा। इसके परिणामस्वरूप, यूपीआई की उपयोगिता और इसकी लोकप्रियता में गिरावट आ सकती है।

डिजिटल पेमेंट का इकोसिस्टम में योगदान
UPI (यूनिफाइड पेमेंट्स इंटरफेस) पिछले कुछ सालों में भारत में डिजिटल पेमेंट्स का एक अहम हिस्सा बन चुका है। 2019 में यूपीआई का डिजिटल पेमेंट इकोसिस्टम में योगदान केवल 34% था, जो 2024 तक बढ़कर 83% हो गया है। इसके साथ ही, यूपीआई ट्रांजैक्शन की संख्या में भी 89.3% और रकम के मामले में 86.5% की तेजी से वृद्धि हुई है। यूपीआई ने भारतीय उपभोक्ताओं को आसान, त्वरित और सुरक्षित पेमेंट्स की सुविधा दी है, जो छोटे से लेकर बड़े लेन-देन तक सबके लिए उपलब्ध है।
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यूपीआई ट्रांजैक्शन मुफ्त
अगर यूपीआई पर MDR लागू होता है, तो यह डिजिटल पेमेंट्स की प्रवृत्ति को प्रभावित कर सकता है। वर्तमान में यूपीआई ट्रांजैक्शन मुफ्त होते हैं, और यही वजह है कि लोग इसका अधिक इस्तेमाल करते हैं। इसके विपरीत, MDR लागू होने पर यूजर्स को ट्रांजैक्शन पर फीस का भुगतान करना होगा, जो लोगों को इसका इस्तेमाल कम करने के लिए प्रेरित कर सकता है।

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फीस स्ट्रक्चर का प्रस्ताव
यह मामला पहली बार अगस्त 2022 में सामने आया था, जब भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने यूपीआई ट्रांजैक्शन पर एक फीस स्ट्रक्चर का प्रस्ताव रखा था। हालांकि, तब सरकार ने यह स्पष्ट कर दिया था कि कोई शुल्क नहीं लगाया जाएगा और यूपीआई को मुफ्त ही रखा जाएगा। अब एक बार फिर यह मुद्दा उठने से उपयोगकर्ताओं में चिंता का माहौल है। अगर सरकार ने इस बार MDR लागू किया, तो यह यूपीआई की लोकप्रियता को बुरी तरह प्रभावित कर सकता है।