Varanasi News: वाराणसी के रमना गांव में दीपावली के अवसर पर एक सरकारी संदेश ने 40 लड़कियों और उनके परिवार वालों को झकझोर कर रख दिया। महिला एवं बाल विकास मंत्रालय द्वारा भेजे गए इस संदेश में उन कुंवारी लड़कियों को गर्भवती बताया गया था। संदेश में लिखा गया, “बधाई हो, आपके बच्चे का पोषण ट्रैकर में पंजीकरण हो गया है। आप वृद्धिमाप, स्वास्थ्य सेवाओं और टीकाकरण जैसी सुविधाओं का लाभ उठा सकती हैं।” यह संदेश मोबाइल पर पढ़ते ही लड़कियों और उनके परिवारवालों के होश उड़ गए। मामला ग्राम प्रधान आरती पटेल तक पहुंचा, जिन्होंने तुरंत जिला प्रशासन को शिकायत दर्ज कराई।
कैसे हुई यह चूक?
जांच में सामने आया कि यह समस्या आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं की गलती के कारण हुई। बताया गया कि गर्भवती महिलाओं के पोर्टल पर इन लड़कियों का गलत तरीके से पंजीकरण कर दिया गया था। पोर्टल में इन 40 लड़कियों का डाटा दर्ज होने के बाद उन्हें स्वचालित रूप से संदेश भेजा गया। सीडीओ (मुख्य विकास अधिकारी) ने इस मामले की गंभीरता को स्वीकार करते हुए कहा कि यह मानवीय भूल थी। उन्होंने बताया कि संबंधित डाटा को तुरंत डिलीट कर दिया गया है और आगे से ऐसी चूक न हो, इसके लिए कदम उठाए जा रहे हैं।
ग्राम प्रधान मांगा स्पष्टीकरण
इस मामले को लेकर ग्राम प्रधान आरती पटेल ने आंगनबाड़ी कार्यकर्ता से स्पष्टीकरण मांगा। लेकिन, स्थानीय रिपोर्टों के अनुसार, आंगनबाड़ी कार्यकर्ता ने ग्राम प्रधान के साथ दुर्व्यवहार किया। इसके बाद ग्राम प्रधान ने जिलाधिकारी को लिखित शिकायत दर्ज कराई।
ग्रामीणों में फैला गुस्सा
यह मामला जैसे ही पूरे गांव में फैला, लोगों में आक्रोश बढ़ गया। ग्रामीणों का कहना है कि यह सिर्फ एक मानवीय भूल नहीं है, बल्कि सरकारी सिस्टम की लापरवाही है। उन्होंने इस चूक के लिए जिम्मेदार अधिकारियों और कर्मचारियों पर कार्रवाई की मांग की है। सीडीओ ने डीपीआरओ (जिला पंचायत राज अधिकारी) को पूरे मामले की जांच सौंपी है। उन्होंने कहा, “यह एक गंभीर गलती है, और जो भी इसके लिए जिम्मेदार होगा, उस पर उचित कार्रवाई की जाएगी।”
डिजिटल प्रणाली की विफलता या जिम्मेदारी का अभाव?
इस घटना ने डिजिटल प्रणाली में मौजूद खामियों और सरकारी कर्मचारियों की लापरवाही को उजागर किया है। पोर्टल पर डाटा दर्ज करने के दौरान सावधानी न बरतने का खामियाजा लड़कियों और उनके परिवारों को भुगतना पड़ा।
विशेषज्ञों का कहना है कि इस तरह की चूक न केवल प्रशासन की छवि को खराब करती है, बल्कि लोगों के निजी डेटा की सुरक्षा पर भी सवाल खड़े करती है। इस घटना ने दिखा दिया कि कैसे डिजिटल प्रणाली में लापरवाही बड़े पैमाने पर गलतफहमियां और परेशानियां पैदा कर सकती है।
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ग्रामीणों ने की मांग
1. जिम्मेदारों पर कार्रवाई: ग्रामीण चाहते हैं कि इस गलती के लिए जिम्मेदार अधिकारियों और कर्मचारियों के खिलाफ सख्त कदम उठाए जाएं।
2.पोर्टल की सुरक्षा: डिजिटल पोर्टल पर डेटा दर्ज करने की प्रक्रिया को पारदर्शी और सटीक बनाने की मांग की जा रही है।
वाराणसी की इस घटना ने दिखाया है कि तकनीकी युग में थोड़ी सी लापरवाही भी कितनी बड़ी परेशानी खड़ी कर सकती है। यह केवल सरकारी लापरवाही का मामला नहीं है, बल्कि इससे जुड़ी लड़कियों और उनके परिवारों की प्रतिष्ठा और मानसिक शांति पर भी असर पड़ा है। ग्रामीणों की मांग है कि ऐसी घटनाओं से बचने के लिए प्रशासन को कड़ी कदम उठाने चाहिए।