Dev Deepawali 2024: वाराणसी में शुक्रवार को देव दीपावली का पर्व ऐतिहासिक और भव्य तरीके से मनाया गया। मां गंगा के 84 घाटों को 21 लाख दीयों से सजाया गया, जिसने काशी को अद्भुत आभा से भर दिया। अस्सी घाट से लेकर नमो घाट तक भक्तों की भारी भीड़ उमड़ी। गंगा आरती और दीप प्रज्ज्वलन ने ऐसा वातावरण रचा कि हर ओर श्रद्धा और भक्ति का सागर उमड़ पड़ा।
उपराष्ट्रपति ने किया नमो घाट का लोकार्पण

इस भव्य आयोजन के दौरान उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और राज्यपाल आनंदीबेन पटेल की उपस्थिति में नमो घाट का लोकार्पण किया। उपराष्ट्रपति ने कहा, “यह पल मेरे जीवन में अविस्मरणीय है। मैंने कभी नहीं सोचा था कि मुझे दुनिया के सबसे बड़े घाट का लोकार्पण करने का सौभाग्य मिलेगा।” उन्होंने मां गंगा की महिमा का बखान करते हुए “नमो पार्वती पतये, हर-हर महादेव” का जयकारा लगाया। उन्होंने कहा, “भारत के अलावा कहीं ऐसे घाट देखने को नहीं मिलते। ये हमारी सभ्यता और संस्कृति के प्रतीक हैं।”
काशी की भव्य देव दीपावली उमड़ा भक्तों का सैलाब

नमो घाट पर 75 फीट ऊंची ‘नमस्ते’ की प्रतिमा खास आकर्षण का केंद्र रही। इस विश्वस्तरीय घाट पर सूर्यदेव का अभिवादन करते भक्तों का उत्साह देखते ही बन रहा था। देव दीपावली के अवसर पर काशी के घाटों पर दीपों की जगमगाहट ने भक्तों का मन मोह लिया। अस्सी घाट पर एक लाख से अधिक भक्त पहुंचे और मां गंगा की महाआरती में शामिल हुए। वहीं, गायघाट पर भगवान शिव की प्रतिमा के साथ अन्य देवी-देवताओं की मूर्तियां भी सजाई गईं। काशी के बबुआ पांडेय घाट पर “51 हजार दीयों से बंटेंगे तो कंटेगा” का नारा लोगों को आकर्षित कर रहा था। वहीं, इस साल देव दीपावली पर जलाए गए दीयों को महिला सशक्तिकरण को समर्पित किया गया।
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घाटों पर सुरक्षा के किये पुख्ता इंतजाम
इस महोत्सव के दौरान वाराणसी के घाटों से लेकर शहर तक सुरक्षा व्यवस्था चाक-चौबंद रही। घाटों पर ATS की टीमें छतों से दूरबीन की मदद से हर गतिविधि पर नजर रखे हुए थीं। साथ ही सादी वर्दी में पुलिस बल चहलकदमी करता रहा।
रतन टाटा को दी गई श्रद्धांजलि
इस बार घाटों पर लगाए गए दीये महिला सशक्तिकरण को समर्पित किए गए हैं, जबकि काशी के घाटों पर दिवंगत उद्योगपति रतन टाटा को श्रद्धांजलि भी अर्पित की गई है। काशी के घाटों पर इस बार दिवंगत उद्योगपति रतन टाटा को भी श्रद्धांजलि दी गई। उनके सम्मान में घाटों को विशेष रूप से सजाया गया और दीप जलाए गए।
देश-दुनिया से पहुंचे पर्यटक

देव दीपावली को देवताओं की दीपावली भी कहा जाता है। यह पर्व कार्तिक पूर्णिमा के दिन मनाया जाता है, जब भगवान शिव समेत सभी देवी-देवता पृथ्वी पर उतरते हैं और मां गंगा के तट पर विराजमान होते हैं। काशी के घाटों पर दीप जलाने की परंपरा भगवान शिव और गंगा की आराधना का प्रतीक मानी जाती है। काशी की देव दीपावली देखने के लिए देश-विदेश से लाखों पर्यटक पहुंचे। अस्सी घाट पर मां गंगा की आरती के दौरान हर-हर महादेव के जयकारे गूंजते रहे। गंगा के किनारे उमड़ी श्रद्धालुओं की भीड़ ने काशी को भक्ति और आनंद से भर दिया।
काशी का मोहने वाला अलौकिक दृश्य
काशी के 84 घाट, गंगा का बहता जल, दीयों की अनगिनत श्रृंखला और हर-हर महादेव के जयकारे—यह दृश्य न केवल भक्तों के मन को भक्ति से भर देता है, बल्कि विश्व को भारतीय संस्कृति और परंपराओं की झलक भी दिखाता है। वाराणसी की देव दीपावली हर साल भक्ति, आस्था और भारतीय संस्कृति का अनुपम उदाहरण प्रस्तुत करती है। इस बार का आयोजन भी भव्य और ऐतिहासिक रहा, जिसने काशी की सांस्कृतिक और आध्यात्मिक महिमा को और ऊंचा किया।