Maharashtra Election 2024: महाराष्ट्र में आगामी 20 नवंबर को विधानसभा चुनाव को लेकर सभी राजनीतिक दलों ने अपनी पूरी ताकत झोंक दी है। एक ओर जहां महायुति (BJP, शिवसेना) ने सत्ता बनाए रखने के लिए प्रचार में झंडे गाड़ रखे हैं, वहीं महाविकास अघाड़ी (NCP, कांग्रेस, शिवसेना) ने सत्ता में वापसी के लिए जबरदस्त अभियान छेड़ा है। इसी बीच, डिप्टी सीएम अजित पवार के बदले हुए रुख ने सियासी हलकों में खलबली मचा दी है।
योगी आदित्यनाथ के “बंटेंगे तो कटेंगे” नारे का किया विरोध
हाल में बीड में हुई एक रैली में अजित पवार ने उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के नारे “बंटेंगे तो कटेंगे” पर कड़ी प्रतिक्रिया दी। पवार का कहना था कि इस तरह का नारा महाराष्ट्र के सियासी माहौल में कोई जगह नहीं रखता। उन्होंने कहा, “यहां की राजनीति शिवाजी महाराज, शाहू महाराज, और अंबेडकर के विचारों से प्रेरित है। हम यहां सभी धर्मों का आदर करते हैं, और किसी की भावनाओं को ठेस नहीं पहुंचाना चाहते।” अजित पवार ने मुस्लिम समाज के प्रति समर्थन जताते हुए कहा कि वे मुस्लिम समाज की आवाज को राजनीतिक रूप से भी सशक्त करना चाहते हैं। उन्होंने मुस्लिम उम्मीदवारों को अपनी पार्टी की ओर से 10 प्रतिशत सीटें देने की बात कही और उन्हें सुरक्षित सीटों से उम्मीदवार बनाया।
पीएम मोदी की रैली से किया किनारा
गुरुवार को मुंबई के शिवाजी पार्क में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की विशाल रैली हुई, जिसमें मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे और डिप्टी सीएम देवेंद्र फडणवीस समेत महायुति के कई नेता मौजूद थे। हालांकि, अजित पवार और उनकी पार्टी के अन्य नेता, जैसे नवाब मलिक, सना मलिक, और जीशान सिद्दीकी नदारद रहे। पवार का रैली में न आना महायुति के अंदर मतभेद की खबरों को और हवा देने लगा है।
महायुति में बढ़ रही है अंदरूनी दरार

अजित पवार के इस कदम से यह सवाल उठ रहे हैं कि क्या महायुति में सबकुछ ठीक नहीं चल रहा है? दरअसल, पवार ने भाजपा के दिग्गज नेता देवेंद्र फडणवीस और आशीष शेलार की आपत्ति के बावजूद नवाब मलिक को टिकट दिया है। इससे यह संकेत मिलते हैं कि महायुति में सहयोग के बावजूद विचारधारात्मक मतभेद बरकरार हैं।
मुस्लिम मतदाताओं का समर्थन जुटाने की कर रहे कोशिश
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि लोकसभा चुनाव के दौरान अजित पवार की पार्टी को मुस्लिम वोट बैंक से पर्याप्त समर्थन नहीं मिला था। यही कारण है कि अब वे विधानसभा चुनाव में मुस्लिम मतदाताओं के प्रति ज्यादा संवेदनशीलता दिखा रहे हैं। योगी आदित्यनाथ के नारे का विरोध भी उनकी इसी रणनीति का हिस्सा माना जा रहा है।
पंकजा मुंडे और अशोक चव्हाण ने भी किया नारे का विरोध

अजित पवार के साथ-साथ भाजपा की वरिष्ठ नेता पंकजा मुंडे और पूर्व कांग्रेस नेता अशोक चव्हाण ने भी योगी के नारे को महाराष्ट्र के लिए अनुपयुक्त बताया है। पंकजा मुंडे का कहना है कि “मेरा मानना है कि हमें केवल विकास के मुद्दों पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए, और महाराष्ट्र में इस तरह के बंटवारे की राजनीति नहीं होनी चाहिए।”
सियासी पंडितों की नजरें अब अजित पवार पर
इन घटनाओं के बाद महाराष्ट्र की राजनीति में महायुति के अंदर मतभेद की अटकलें तेज हो गई हैं। पवार की पार्टी का झुकाव महाविकास अघाड़ी की ओर होने की खबरें भी सियासी पंडितों के बीच चर्चा का विषय बन गई हैं। अब यह देखना होगा कि विधानसभा चुनाव के नतीजों पर इस खींचतान का क्या असर पड़ता है और महायुति में यह तनाव किस दिशा में जाता है।
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