Mahakumbh News:महाकुंभ 2025 के दौरान एक ऐतिहासिक क्षण देखने को मिला, जब चारों प्रमुख शंकराचार्य पीठों के श्रीमदजगतगुरु एक साथ प्रयागराज के पवित्र संगम तट पर एकत्रित हुए। यह धार्मिक दृष्टि से बेहद महत्वपूर्ण आयोजन माना जा रहा है, क्योंकि चारों शंकराचार्य पीठों के प्रमुखों का एक स्थान पर आना एक दुर्लभ घटना है। इस दिव्य और मांगलिक पर्व के मुहूर्त में यह अद्भुत दृश्य धार्मिक भव्यता और गौरव को और बढ़ा देता है।
Read more :Mahakumbh 2025 में उठी सनातन बोर्ड के गठन की मांग PM मोदी-CM योगी से दक्षिणा में मांगा सनातन बोर्ड
श्रृंगेरी पीठ का 150 वर्षों बाद महाकुंभ में औपचारिक रूप से आगमन

महाकुंभ में इस बार एक और खास बात रही, जब श्रृंगेरी पीठ के शंकराचार्य डेढ़ सौ साल बाद औपचारिक रूप से इस पर्व पर उपस्थित हुए। मौनी अमावस्या के महापर्व पर दक्षिणाम्नाय श्रृंगेरी शारदा पीठ के श्रीमद्जगदगुरु शंकराचार्य स्वामी विधु शेखरभारती स्वामी भी प्रयागराज में मौजूद रहे। इस विशेष अवसर पर सभी शंकराचार्य एक साथ संगम तट पर पहुंचे, जिससे यह आयोजन और भी ऐतिहासिक हो गया।
Read more :Maha Kumbh 2025: महाकुंभ में Mulayam की मूर्ति पर Raju Mahant Das की विवादित टिप्पणी, मचा बवाल!
अन्य शंकराचार्य पीठों के प्रमुखों का भी शामिल होना

इसके साथ ही अन्य शंकराचार्य पीठों के प्रमुखों ने भी इस अवसर पर अपनी उपस्थिति दर्ज कराई। गोवर्धन पीठ के श्रीमद्जगदगुरु शंकराचार्य स्वामी निश्चलानंद सरस्वती महाभाग, उत्तराम्नाय ज्योतिष्पीठ के श्रीमद्जगदगुरु शंकराचार्य स्वामिश्री अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती और पश्चिमाम्नाय शारदा पीठ के श्रीमद्जगदगुरु शंकराचार्य स्वामी सदानंद सरस्वती भी प्रयागराज पहुंचे और इस आयोजन की शोभा बढ़ाई। इन प्रमुखों की उपस्थिति ने महाकुंभ को एक नई आस्था और धार्मिक गौरव से ओतप्रोत किया।
Read more :Mahakumbh 2025: सीएम Yogi ने महाकुंभ में कैबिनेट के साथ लगाई आस्था की डुबकी, लिए कई बड़े फैसले
हिंदू धर्म में चार शंकराचार्य पीठों का महत्व

हिंदू धर्म में चार शंकराचार्य पीठों का विशेष स्थान है, जो भारत के विभिन्न हिस्सों में स्थित हैं। इन पीठों को आदर्श धार्मिक केंद्र के रूप में माना जाता है, जहां संत, विद्वान और धार्मिक गुरु एकत्रित होते हैं। इन चारों पीठों की स्थापना आदि शंकराचार्य ने आठवीं शताब्दी में की थी, ताकि हिंदू धर्म के अद्वैत वेदांत के सिद्धांतों को फैलाया जा सके और धर्म की रक्षा की जा सके।
Read more :Modi Kumbh Snan: क्या है 5 फरवरी का रहस्यमयी कारण, जो प्रधानमंत्री मोदी ने चुना कुंभ स्नान के लिए?
चार प्रमुख शंकराचार्य पीठों का इतिहास

चार प्रमुख शंकराचार्य पीठों का इतिहास बहुत पुराना है। ये मठ गोवर्धन पीठ (उड़ीसा), शारदामठ (गुजरात), ज्योतिर्मठ (उत्तराखंड) और श्रृंगेरी मठ (तमिलनाडु) में स्थित हैं। इन मठों का संचालन आज भी शंकराचार्य के नेतृत्व में हो रहा है, और यह परंपरा आज भी कायम है। इन मठों के माध्यम से आदि शंकराचार्य ने हिंदू धर्म की शिक्षा दी और धर्म के सिद्धांतों का प्रचार-प्रसार किया।महाकुंभ में चारों प्रमुख शंकराचार्यों का एकत्रित होना न केवल एक ऐतिहासिक घटना है, बल्कि यह हिंदू धर्म के अद्वैत वेदांत के सिद्धांतों को और अधिक प्रबल बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम भी है।