Women reservation Bill: अगामी 2024 लोकसभा चुनाव से पहले देश में महिला आरक्षण का मामला एक बार फिर से चर्चा में बना हुआ है.देश की सर्वोच्च अदालत सुप्रीम कोर्ट महिला आरक्षण की याचिका पर फरवरी में सुनवाई करेगा जिसमें ये तर्क दिया गया है कि,इसको लागू करने के लिए परिसीमन- जनगणना का इंतजार न किया जाए।महिला आरक्षण को लागू करने की याचिका कांग्रेस नेता जया ठाकुर ने दिया था जिस पर भारत की सर्वोच्च न्यायालय सुनवाई करेगा। न्यायमूर्ति संजीव खन्ना और दीपांकर दत्ता की पीठ 22 जनवरी से इस मामले पर सुनवाई करेगा।
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महिला आरक्षण पर सुनवाई होगी
सुप्रीमकोर्ट ने नवंबर 2023 में इस मामले पर नोटिस जारी करने से इंकार कर दिया था और तर्क देते हुए कहा था कि,नारी शक्ति वंदन अधिनियम विधेयक 2023 के प्रावधान को रद्द करना बहुत मुश्किल होगा जो महिलाओं को 33 पर्सेंट का आरक्षण देता है,इसलिए जब तक जनगणना और परिसीमन पर कदम नहीं उठाया जाता तब तक महिला आरक्षण के बिल को लागू करना मुश्किल होगा। इस मामले में पिछली सुनवाई में केंद्र सरकार की ओर से कोई वकील ना मिलने पर सर्वोच्च अदालत ने सुनवाई करने से मना कर दिया था।
इस बिल पर जनहित याचिका में तर्क दिया गया कि,जनगणना और परिसीमन की कोई जरुरत नहीं थी, क्योंकि लोकसभा सीटों की संख्या पहले ही घोषित की जा चुकी है। लोकसभा में महिला आरक्षण फॉर्मूले के तहत 33 फीसदी आरक्षण के साथ महिला आरक्षित सीटें 181 हो जाएंगी,जिसमें एससी-एसटी महिला 44 और अन्य 137 कुल मिलाकर लोकसभा की 543 सीटों में 181 सीटें महिला आरक्षण के तहत आएंगी।
महिला हिस्सेदारी हो…
अगर चुनावों में महिलाओं की भागीदारी पर नजर डाला जाए तो सिर्फ 4 प्रतिशत महिलाएं ही प्रतिनिधित्व करती हैं,वहीं मौजूदा समय में संशोधन सीटों के लिए महिलाओं को 33 प्रतिशत का आरक्षण देता है। याचिका के अनुसार कहा गया है कि,हमारे देश में फिलहाल 50 फीसदी आबादी महिलाओं की है फिर भी लोकसभा हो या विधानसभा महिलाओं के लिए 1/3 सीटें ही आरक्षित की जाती हैं।
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