Prayagraj Maha Kumbh 2025: प्रयागराज महाकुंभ 2025 में हिंदू सनातन परंपरा के विविध रंग देखने को मिलेंगे। इस ऐतिहासिक आयोजन में साधु-संतों, संन्यासियों और बैरागियों के साथ किन्नर समाज से जुड़ा किन्नर अखाड़ा भी शामिल होगा। श्री पंचदशनाम जूना अखाड़े के संरक्षण में किन्नर अखाड़े ने अपनी धर्म ध्वजा स्थापित कर महाकुंभ में अपनी उपस्थिति दर्ज करा दी है।
किन्नर अखाड़े में हुई धर्म ध्वजा स्थापित
किन्नर अखाड़े ने अपनी धर्म ध्वजा स्थापना की परंपरा भैरव अष्टमी के पावन दिन पूरी की। यह परंपरा जूना अखाड़े के अंतरराष्ट्रीय संरक्षक श्री महंत हरि गिरी के मार्गदर्शन में संपन्न हुई। किन्नर अखाड़े की महा मंडलेश्वर कौशल्या नंद गिरी के नेतृत्व में अखाड़े के सभी सदस्यों ने इस धार्मिक अनुष्ठान को पूरा किया। रामचरितमानस में गोस्वामी तुलसीदास ने माघ महीने के महत्व को बताते हुए कहा है:- “देव दनुज किंनर नर श्रेनीं। सादर मज्जहिं सकल त्रिबेनीं॥” इस परंपरा के अनुसार, किन्नर समाज भी महाकुंभ में अपनी आध्यात्मिक और सांस्कृतिक उपस्थिति से आयोजन को गरिमा प्रदान करेगा।
महाकुंभ में किन्नर अखाड़ा के दो शिविर
महाकुंभ 2025 में किन्नर अखाड़े की गतिविधियां दो अलग-अलग स्थानों पर नजर आएंगी। पहला शिविर जूना अखाड़े के शिविर क्षेत्र के भीतर स्थापित होगा, जहां धार्मिक अनुष्ठान आयोजित किए जाएंगे। दूसरा परंपरागत शिविर गंगोली शिवाला में स्थापित होगा, जहां साधना और सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन होगा। किन्नर अखाड़े की महा मंडलेश्वर कौशल्या नंद गिरी ने बताया कि दोनों शिविरों पर किन्नर अखाड़े की विशेष साधना, भजन-कीर्तन और सांस्कृतिक प्रस्तुतियों को श्रद्धालु देख सकेंगे। गंगोली शिवाला स्थित शिविर में किन्नर अखाड़े के विशिष्ट आयोजन किए जाएंगे, जबकि जूना अखाड़े के अंदर का शिविर धार्मिक अनुष्ठानों का मुख्य केंद्र होगा।
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किन्नर अखाड़े की है अनूठी परंपरा
किन्नर अखाड़ा महाकुंभ में अपनी अनूठी साधना और सांस्कृतिक प्रस्तुतियों के लिए विशेष रूप से प्रसिद्ध है। यह अखाड़ा न केवल आध्यात्मिकता और धर्म के क्षेत्र में किन्नर समाज की भागीदारी को दर्शाता है, बल्कि समाज में उनकी सकारात्मक पहचान को भी बढ़ावा देता है। किन्नर अखाड़ा का उद्देश्य किन्नर समाज के लिए आध्यात्मिक और सांस्कृतिक मंच प्रदान करना है, जहां वे अपने समाज के हितों के लिए काम कर सकें और धर्म में अपने योगदान को उजागर कर सकें।
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महाकुंभ में किन्नर अखाड़े का महत्व
किन्नर अखाड़ा महाकुंभ जैसे बड़े धार्मिक आयोजन में अपनी उपस्थिति के जरिए हिंदू सनातन परंपरा की समावेशीता को दर्शाता है। यह अखाड़ा धार्मिक आयोजनों में किन्नर समाज की सक्रिय भागीदारी और उनके महत्व को स्थापित करने का प्रतीक है। महाकुंभ में किन्नर अखाड़े की उपस्थिति समाज के हर वर्ग के लिए प्रेरणा का काम करेगी। किन्नर अखाड़ा न केवल धर्म के क्षेत्र में अपनी पहचान बना रहा है, बल्कि भारतीय संस्कृति और परंपरा में किन्नर समाज की ऐतिहासिक भूमिका को भी सामने ला रहा है। प्रयागराज महाकुंभ 2025 में किन्नर अखाड़ा अपनी आध्यात्मिकता, साधना और सांस्कृतिक प्रस्तुतियों के जरिए श्रद्धालुओं के आकर्षण का केंद्र बनेगा। इस आयोजन में उनकी उपस्थिति हिंदू धर्म की समावेशीता और विविधता को प्रदर्शित करेगी, जो भारतीय संस्कृति और परंपरा का महत्वपूर्ण हिस्सा है।