शहबाज खान
Bharatiya Janata Party: कहते है ना कि अगर कोई भी अपना बीता हुआ कल ना भूले तो उसके लिए आगे की राह थोड़ी सी आसान हो जाती है. इसीलिए अक्सर कहा जाता है कि इतिहास के उन पन्नों को पलट कर जरुर देखना चाहिए जिससे कि हम पुरानी गलतियों को वापस से कभी ना दोहरा सकें. कुछ ऐसा ही राजनीति में भी होता है. बात करें बीजेपी की..जिसने शून्य से शिखऱ तक का सफर तय करके देश की सियासत के मायने पलट दिए. आज वहीं बीजेपी देश पर राज कर रही है.आखिर 13 दिन की सरकार गिरने के बाद बीजेपी इससे कैसे उभरी ?
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कैसे एनडीए का गठन हुआ ?
नन्हीं चींटी जब दाना लेकर चलती है तो चढ़ती दीवारों पर ही है, सौ बार फिसलती है.. लेकिन मन का विश्वास रगों में साहस भरता है. चढ़कर गिरना, गिरकर चढ़ना न अखरता है. आख़िर उसकी मेहनत बेकार नहीं होती.कोशिश करने वालों की हार नहीं होती. जिस पार्टी को उस समय के लोगों ने समझा कि ये अब इस झटके से उभर नहीं पाएगी उस पार्टी ने अपनी कड़ी मेहनत के बल पर मुश्किल राहों को आसान कर दिया.मध्यावधि चुनावों के लिए बीजेपी ने दूसरे दलों के साथ समझौता किया और एनडीए का गठन हुआ.बीजेपी ने 182 सीटों पर जीत हासिल की और अटल बहारी वाजपेयी दूसरी बार प्रधानमंत्री बने.उसके बाद बीजेपी ने 1999 में फिर से अपने सहयोगियों के साथ मिलकर सरकार बनाई और अपने पूरे पांच साल का कार्यकाल पूरा किया.
सोनिया गांधी के नेतृत्व में पार्टी ने जबरदस्त प्रदर्शन किया
2004 के आम चुनाव में कांग्रेस के नेतृत्व वाले यूपीए गठबंधन ने जोरदार वापसी की और बीजेपी के ‘इंडिया शाइनिंग’ नारे को फेल करते हुए केंद्र की सत्ता में काबिज हुई, उसकी उम्मीद शायद ही किसी को रही होगी. उस समय भी बीजेपी नेतृत्व जीत को लेकर आश्वस्त नजर आ रहा था.उस समय कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी के नेतृत्व में पार्टी ने जबरदस्त प्रदर्शन किया था.
कई राज्यों में BJP की पकड़ मजबूत रही
बीजेपी 2004 का लोकसभा चुनाव भले ही हार गई थी , लेकिन उसकी राज्यों में पकड़ मजबूत हो रही थी. बीजेपी मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ और राजस्थान समेत कई राज्यों में सरकार बनाने में कामयाब रही. 2008 में बीजेपी पहली बार कर्नाटक की सत्ता में आई.हालांकि, 2009 में बीजेपी फिर लोकसभा का चुनाव हार गई और उसे महज 116 सीटें ही मिलीं.
एनडीए के कई सहयोगियों ने छोड़ा BJP का साथ
पहली बार पांच साल तक सरकार चलाने के बाद 2004 में अटल बिहारी वाजपेयी के नेतृत्व में बीजेपी ने लोकसभा का चुनाव लड़ा. बीजेपी ने ‘इंडिया शाइनिंग’ और ‘फील गुड’ का नारा दिया. लेकिन चुनावी समय में बीजेपी धराशायी हो गई. पार्टी को हार का मुंह देखना पड़ा. एनडीए के कई सहयोगियों ने बीजेपी का साथ छोड़ दिया.