Maharashtra Politics: महाराष्ट्र विधानसभा स्पीकर आज 16 विधायकों की अयोग्यता वाले मामले में फैसला देंगे, आज जिन विधायकों की किस्मत का फैसला होना है, उनमें सीएम शिंदे भी हैं। वहीं सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुनाने की समय-सीमा 31 दिसंबर, 2023 तय की थी, लेकिन बाद में स्पीकर के आग्रह पर अवधि को बढ़ाकर 10 जनवरी कर दिया था। बता दें कि आज शाम 4 बजे महाराष्ट्र विधानसभा के स्पीकर 16 विधायकों की राजनीतिक किस्मत तय करने वाले हैं, खास बात ये है कि यह फैसला शिवसेना (उद्धव गट), शिवसेना (शिंदे गुट) और भाजपा की आगे की राजनीति को प्रभावित करेगा।
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विधानसभा सदस्य नहीं बचेगा..
बता दें कि इन 16 विधायकों को विधानसभा स्पीकर अयोग्य करार देते हैं, तो यह शिवसेना (उद्धव गुट) की बड़ी जीत साबित होगी शिवसेना (शिंदे गुट) के सभी विधायक अयोग्य होने पर पार्टी का एक भी विधानसभा सदस्य नहीं बचेगा, लेकिन भाजपा अल्पमत में होगी और सरकार बनाए रखने का नैतिक अधिकार खो देगी, यदि इन विधायकों को योग्य ही रहने दिया जाता है तो शिवसेना (शिंदे गुट) और BJP की सेहत पर कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा।
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ये 16 विधायकों है शामिल..
वहीं आज विधानसभा स्पीकर जिन विधायकों की किस्मत का फैसला लेंगे है, उनमें सीएम शिंदे ,एकनाथ शिंदे के अलावा लता सोनवणे, महेश शिंदे, अब्दुल सत्तार, गोगावाले, संजय शिरसातो, प्रकाश सर्वे, यामिनी जाधव, अनिल बाबरी, संदीपन भुमरे,तानाजी सावंत, बालाजी किनीकारो, बालाजी कल्याणकारी, चिमनराव पाटिल, संजय रायमुनकरी और रमेश बोनारे शामिल हैं।
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क्या है पूरा मामला..
जून 2022 में एकनाथ शिंदे के नेतृत्व में शिवसेना के 40 विधायकों ने तत्कालीन मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे के खिलाफ बगावत कर दी थी जिससे शिवसेना में विभाजन हो गया और उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाली महा विकास आघाडी सरकार गिर गई थी। बाद में शिंदे ने बीजेपी के समर्थन से सरकार बना ली थी और खुद मुख्यमंत्री बन गए थे। इसके बाद शिंदे और ठाकरे गुटों द्वारा दल-बदल रोधी कानूनों के तहत एक-दूसरे के विधायकों के खिलाफ कार्रवाई की मांग करते हुए याचिकाएं दायर की गई थीं।
ठाकरे गुट ने सुप्रीम कोर्ट में भी याचिका दाखिल की थी। सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में फैसला लेने के लिए विधानसभा अध्यक्ष को कहा था। लंबी कानूनी लड़ाई के बाद सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुनाने की समय-सीमा 31 दिसंबर, 2023 तय की थी, लेकिन बाद में स्पीकर के आग्रह पर अवधि को बढ़ाकर 10 जनवरी कर दिया था। चुनाव आयोग ने शिंदे के नेतृत्व वाले गुट को ‘धनुष-बाण’ चुनाव चिह्न दे दिया था।