Loksabha Election 2024: लोकसभा चुनाव आने में बस कुछ ही महीनों का समय बाकी है। ऐसे में कांग्रेस भाजपा को टक्कर देने के लिए किसी भी तरह की कोई कसर नहीं छोड़ना चाह रही है, यही वजह है कि पहले से रणनीति बनाने में जुट गई है। कांग्रेस भले ही विपक्षी दलों के साथ मिलकर भाजपा के नेतृत्व वाले NDA को चुनौती देने के लिए इंडिया गठबंधन तो हना लिया है, लेकिन फिर भी उसके लिए सबसे बड़ी चुनौती है इंडिया गठबंधन में शामिल दलों की सीट शेयरिंग के लिए मनाना।
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कांग्रेस की अलायंस कमेटी की रिपोर्ट भी आ गई..
कांग्रेस ने अपना दांव खेलना तो शुरु कर ही दिया, बीते दिन लोकसभा चुनाव में खड़े होने वाले उम्मीदवारों के लिए स्क्रीनिंग कमेटी बना कर। जिसके बाद कांग्रेस अब देश के मध्य प्रदेश, राजस्थान, गुजरात में एक बड़ी भूमिका के रुप में रहना चाहती है और साथ ही कई जगह पर वह झुकना भी नहीं चाह रही है। जैसे कि बात करें उत्तर प्रदेश, बिहार, पश्चिम बंगाल, पंजाब, महाराष्ट्र कुछ ऐसे राज्य हैं, जहां पर कांग्रेस ये तो चाहती है कि सीटों का बंटवारा सही तरीके से हो जाए। लेकिन इन राज्यों के क्षेत्रीय दलों को वो ज्यादा सीटें भी नहीं देना चाहती है। इस बीच कांग्रेस की अलायंस कमेटी की रिपोर्ट भी आ गई है, जिसमें ये साफ कर दिया गया है कि कांग्रेस किस राज्य में कितने सीटों पर चुनाव लड़ना चाहती है। ऐसे में आइए आपको बताते हैं कि आखिर कांग्रेस के लिए किस राज्य में सीट-शेयरिंग पर पेंच फंस रहा है।
देश के किस राज्य में कांग्रेस के लिए क्या पेंच फेंस रहा..
सबसे पहले आपको ये जानना जरुरी है कि कांग्रेस आखिर किस राज्य में कितनी सीटों पर चुनाव लड़ना चाहती है। कांग्रेस की अलायंस कमेटी की रिपोर्ट से इसका जवाब भी मिलता है। न्यूज चैनल से मिली जानकारी के मुताबिक, कांग्रेस उत्तर प्रदेश की 80 लोकसभा सीटों में से 15 से 20 पर चुनाव लड़ना चाहती है। इसके अलावा कांग्रेस महाराष्ट्र की 48 सीटों में से 16-20 सीटें, बिहार की 40 सीटों में से 4-8 सीटें और पश्चिम बंगाल की 42 सीटों में से 6-10 सीटें चाहती है।
कांग्रेस कई राज्यों में ज्यादा सीटें चाहती
झारखंड की 14 लोकसभा सीटों में से 7 सीटें, पंजाब की 13 सीटों में से 6 सीटें, दिल्ली की 7 सीटों में से 3 सीटें, तमिलनाडु की 39 सीटों में से 8 सीटें, केरल की 20 सीटों में से 16 और जम्मू-कश्मीर 2 सीटों पर कांग्रेस की नजर है, जहां से वह चुनाव लड़ना चाहती है. सबसे बड़ी समस्या इस बात की है कि कांग्रेस कई राज्यों में ज्यादा सीटें चाहती है, जो वहां के क्षेत्रीय दलों को नगवार गुजर रही है। महाराष्ट्र से लेकर पश्चिम बंगाल तक इस पर विवाद चल रहा है।
उत्तर प्रदेश
यूपी में सबसे ज्यादा लोकसभा सीटें है। लोकसभा की 80 सीटें यूपी में है। यूपी में कांग्रेस ने समाजवादी पार्टी के साथ हाथ मिलाया है। यहां कांग्रेस 20 सीटों पर चुनाव लड़ना चाहती है। लेकिन साल 2019 के नतीजों को देखते हुए इतनी सीटें मांगना जायज भी नजर नहीं आता है। हालांकि, इन सबके बीच इस बात को लेकर भी चर्चा हो रही है कि कांग्रेस 2009 के चुनाव की तरह ही सपा के साथ सीट-शेयरिंग कर सकती है, जिसमें 30 के करीब सीटों पर दावा किया गया था. कांग्रेस को सीट-शेयरिंग में यूपी में ज्यादा परेशानी का सामना नहीं करना पड़ेगा।
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बिहार
बिहार में लोकसभा की 40 सीटें है। बिहार में कांग्रेस के साथ आरजेडी, जेडीयू के अलावा कम्युनिस्ट पार्टी भी है। यहां पार्टी को 4 से 8 सीट मिल भी सकती हैं। ज्यादा चर्चा ये है कि कांग्रेस को 4 सीटों से ही संतोष करना पड़ेगा। उधर बिहार कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष अखिलेश प्रसाद सिंह ने कहा है कि अगर पार्टी को 4 सीटें मिलती हैं, तो इसका नुकसान महागठबंधन को उठाना पड़ सकता है। जेडीयू उन 17 सीटों पर चुनाव लड़ना चाहती है, जिन पर उसने पिछली बार मुकाबला किया था. आरजेडी भी इससे कम पर बात नहीं करेगी। ऐसे में कांग्रेस के लिए बिहार भी चुनौती बन गया है।
महाराष्ट्र
देश का पश्चिमी राज्य महाराष्ट्र कांग्रेस के लिए बड़ी परेशानी बन गया है। शिवसेना ने कहा है कि पार्टी उन 23 सीटों पर चुनाव लड़ना चाहती है, जिस पर उसने 2019 में मुकाबला किया था. वहीं, कांग्रेस यहां 16-20 सीटें चाहती है। एनसीपी भी ज्यादा सीटों पर चुनाव लड़ने की इच्छा जता चुकी है. संजय राउत पहले ही कह चुके हैं कि महाराष्ट्र में शिवसेना (यूबीटी) बड़ी पार्टी है। कांग्रेस उनके बयान को लेकर भड़क भी गई थी। इस तरह के हालातों को देखते हुए कांग्रेस के लिए महाराष्ट्र में सीट बंटवारा करना मुश्किल रहने वाला है।
पश्चिम बंगाल
सबसे ज्यादा चर्चा इसी राज्य की हो रही है, जहां कांग्रेस बनाम तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) के बीच तल्खी चल रही है. कहा जा रहा है कि टीएमसी ने कांग्रेस को राज्य में 2 सीटें देने का ऑफर दिया है। इस पर पश्चिम बंगाल कांग्रेस अध्यक्ष अधीर रंजन चौधरी ने यहां तक कह दिया है कि हमने सीटों को लेकर उनसे भीख नहीं मांगी है. दरअसल, टीएमसी 2019 के वोटिंग पर्सेंटेज के आधार पर कांग्रेस को सीट देना चाहती है। यही वजह है कि ममता बनर्जी की पार्टी के साथ सीट-बंटवारा करना टेढ़ी खीर साबित होने वाला है।
पंजाब
दिल्ली: देश के ये दो ऐसे राज्य हैं, जहां कांग्रेस और आम आदमी पार्टी (आप) के बीच बात बनना जरूरी है। दिल्ली में तो कहीं न कहीं कांग्रेस की 3 सीटों की मांग पर सहमति बन सकती है। लेकिन पंजाब में कांग्रेस के नेता आप के साथ गठबंधन नहीं चाहते हैं। पंजाब विधानसभा चुनाव में जीत के बाद आप राज्य में ज्यादा सीटों पर चुनाव लड़ना चाहती है। कांग्रेस के लिए पंजाब अहम सूबा है, जहां उसे ज्यादा चुनौती का सामना नहीं करना पड़ा है। इस वजह से वह भी ज्यादा सीटों पर चुनाव लड़ना चाहती है। इस राज्य में भी सीट-बंटवारे पर माथा पच्ची चल रही है।
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