Bilkis Bano: बिलकिस बानो केस में 11 दोषियों में से कुछ दोषियों ने सुप्रीम कोर्ट का रुख किया था। कोर्ट का दरवाजा खटखटाते हुए दोषियों ने समर्पण की समय सीमा को बढ़ाने की मांग की थी। दोषियों ने व्यक्तिगत कारणों का हवाला देते हुए कोर्ट से समर्पण की समय सीमा को बढ़ाने की मांग की थी। इससे पहले 8 जनवरी 2024 को सुप्रीम कोर्ट ने बिलकिस बानो केस में बहुत ही अहम फैसला सुनाया था।
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दोषियों को 21 जनवरी तक खुद को सरेंडर करना होगा
आज सुप्रीम कोर्ट की तरफ से बिलकिस बानो केस के दोषियों को बड़ा झटका मिला है। सुप्रीम कोर्ट ने आज फैसला सुनाते हुए दोषियों की तरफ से सरेंडर के टाइम में रियायत मांगने वाली याचिका ठुकरा दी है। सुप्रीम कोर्ट ने दोषियों के द्वारा दी गई याचिका को खारिज कर दिया है और अब दोषियों को 21 जनवरी तक खुद को सरेंडर करना होगा। कोर्ट ने याचिका को कखारिज करते हुए कहा कि दोषियों द्वारा व्यक्तिगत कारण दिए गए में किसी भी तरह को कोई दम नहीं है। साथ ही दोषियों को सरेंडर करने का समय 21 जनवरी को खत्म हो रहा है।
8 जनवरी को SC ने अहम फैसला सुनाया
आपको बता दे कि 8 जनवरी को मामले में न्यायमूर्ति बी.वी. नागरत्ना और न्यायमूर्ति उज्ज्वल भुइयां की विशेष पीठ फैसला सुनाया। याचिका की सुनवाई करते हुए कोर्ट ने सभी दोषियों की सजा में मिली छूट को रद्द कर दिया। गुजरात सरकार ने पिछले साल मामले में 11 दोषियों को रिहा किया था। अब कोर्ट के फैसले के बाद सभी 11 दोषियों को वापस जेल जाना होगा। पीठ ने गुजरात सरकार के फैसले को पलटते हुए कहा कि गुजरात राज्य द्वारा शक्ति का प्रयोग सत्ता पर कब्जा और सत्ता के दुरुपयोग का एक उदाहरण है।
क्या था मामला..
मामला साल 2002 का है, जब गुजरात में गोधरा स्टेशन पर साबरमती कोच को जला दिया गया था, जिसके बाद दंगे फैल गए थे। इसी दंगो के चपेट में बिलकिस बानों का परिवार भी चपेट में आ गया। उस समय बिलकिस बानो 21 साल की थी, और वह पांच महीने की गर्भवती थीं, जब भीड़ ने बिलकिस बानो के साथ सामूहिक दुष्कर्म किया। उसकी तीन वर्षीय बेटी परिवार के उन 7 सदस्यों में शामिल थी, जिनकी दंगों के दौरान हत्या कर दी गई थी।
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