Surya Grahan 2025:हर साल चैत्र माह के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि से चैत्र नवरात्र और हिंदू नववर्ष की शुरुआत होती है। इस बार 30 मार्च से चैत्र नवरात्र का प्रारंभ हो रहा है, लेकिन उससे एक दिन पहले यानी 29 मार्च का दिन विशेष रूप से महत्वपूर्ण है। यह दिन धार्मिक दृष्टि से बहुत ही खास माना जा रहा है, क्योंकि इस दिन कई दुर्लभ खगोलीय और ज्योतिषीय घटनाएँ घटित होंगी। इस आर्टिकल में हम आपको 29 मार्च की अहमियत के बारे में विस्तार से बताएंगे।
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क्या खास है इस दिन में?

चैत्र माह का धार्मिक महत्व अत्यधिक है। इस माह में खासकर चैत्र अमावस्या (Chaitra Amavasya) का पर्व मनाया जाता है, जो पितृ तर्पण का प्रमुख दिन होता है। इस दिन विशेष रूप से पितरों के लिए तर्पण किया जाता है, जिससे पितृ दोष से मुक्ति मिलती है और पितरों की कृपा प्राप्त होती है। इस दिन के महत्व को लेकर धार्मिक मान्यताएँ प्रचलित हैं। इस वर्ष 29 मार्च को चैत्र अमावस्या होगी, जो पितृपक्ष के तर्पण के लिए एक शुभ समय है।
सूर्य ग्रहण और शनि का गोचर
चैत्र अमावस्या के साथ-साथ इस दिन एक और महत्वपूर्ण खगोलीय घटना घटित होने जा रही है। 29 मार्च को साल का पहला सूर्य ग्रहण (Solar Eclipse) होगा, हालांकि यह सूर्य ग्रहण भारत में नहीं दिखाई देगा, लेकिन फिर भी इसे खगोलशास्त्र और ज्योतिषीय दृष्टिकोण से अत्यधिक महत्वपूर्ण माना जा रहा है। सूर्य ग्रहण के दौरान कुछ विशेष उपाय और ध्यान देने योग्य बातें होती हैं, जो ज्योतिषाचार्य अक्सर बताते हैं।

साथ ही, इसी दिन शनि भी अपनी चाल बदलने वाले हैं। शनि फिलहाल कुंभ राशि में विराजमान हैं, लेकिन 29 मार्च को उनका गोचर (Saturn Transit) होगा। शनि के इस गोचर का असर राशियों पर विभिन्न रूपों में देखने को मिल सकता है, खासकर उन व्यक्तियों के लिए जो शनि के प्रभाव में हैं। शनि के इस गोचर को लेकर ज्योतिष शास्त्र में कई विशेष उपायों की सलाह दी जाती है।
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29 मार्च के खास मुहूर्त और पूजा विधि

पंचांग के अनुसार, चैत्र अमावस्या तिथि की शुरुआत 28 मार्च को रात 07:55 बजे से हो रही है और यह तिथि 29 मार्च को शाम 04:27 बजे तक रहेगी। इस दिन विशेष रूप से पितृ तर्पण के लिए शुभ समय रहेगा। इसके अलावा, सूर्य ग्रहण और शनि के गोचर को लेकर भी विशेष पूजा विधियाँ और उपाय सुझाए जाते हैं।
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सावधानियां और उपाय
सूर्य ग्रहण के दौरान नित्य कार्यों को रुकवाकर पूजा और ध्यान करने की सलाह दी जाती है।
शनि के गोचर के प्रभाव को शांत करने के लिए शनि मंत्रों का जाप और शनि देव की पूजा करनी चाहिए।
चैत्र अमावस्या के दिन पितरों को तर्पण और दक्षिणा देने से पितृ दोष दूर हो सकता है और आशीर्वाद प्राप्त होता है।

29 मार्च का दिन धार्मिक और खगोलीय दृष्टि से महत्वपूर्ण है, और इसे लेकर कई विशेष उपायों और पूजा विधियों का पालन करना चाहिए। यह दिन निश्चित रूप से भारतीय कैलेंडर में एक खास स्थान रखता है, और इसके प्रभाव से जुड़ी घटनाओं को गंभीरता से लेना आवश्यक है।