हलाल सर्टिफेकट को लेकर दो महीने पहले चला विवाद अब सुप्रीम कोर्ट पहुंच गया है। बता दे कि यूपी में योगी आदित्यनाथ सरकार ने नवंबर 2023 में हलाल सर्टिफिकेट वाले खाद्य उत्पादों पर रोक लगा दी गई थी। जिसके खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की गई है।
Halal Certified Products: सुप्रीम कोर्ट में आज (5 जनवरी) को यूपी से जुड़े एक अहम मामले में सुनवाई हुई। दरअसल, यूपी में हलाल सर्टिफिकेट वाले उत्पादों की बिक्री पर रोक और हलाल सर्टिफिकेट जारी करने वाली संस्थाओं पर FIR दर्ज होने के खिलाफ याचिका पर सुप्रीम कोर्ट आज सुनवाई करेगा। दरअसल, उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार ने पिछले साल के नवंबर महीने में हलाल-सर्टिफाइड प्रोडक्ट पर बैन लगा दिया था। सरकार का दावा है, कि इससे खाद्य पदार्थों की क्वालिटी को लेकर भ्रम होता है।
क्या होता है हलाल और इसका सर्टिफिकेशन?
वह प्रोडक्ट जो इस्लामी कानून की आवश्यकता को पूरा करते हैं, और मुसलमानों के इस्तेमाल करने के लिए उपयुक्त हैं। उन्हें हलाल-सर्टिफाइड प्रोडक्ट कहा जाता है। हलाल एक अरबी शब्द है जिसका मतलब होता है अनुमति। गौरतलब है कि हलाल सर्टिफिकेशन पहली बार 1974 में वध किए गए मांस के लिए शुरू किया गया था। हालांकि, इससे पहले हलाल सार्टिफिकेशन का कोई रिकॉर्ड नहीं मिलता है।
पहले दी हाई कोर्ट जाने की सलाह…
सुनवाई की शुरुआत में सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस बी आर गवई और संदीप मेहता की बेंच ने याचिकाकर्ताओं को इलाहाबाद हाई कोर्ट जाने की सलाह दी, लेकिन याचिकाकर्ता के वकील ने दलील दी कि इस फैसले का पूरे देश पर असर होगा। उन्होंने यह भी कहा कि हलाल प्रमाणित उत्पादों की बिक्री के अलावा उत्तर प्रदेश सरकार ने उनके भंडारण पर भी रोक लगाया है। इससे दूसरे राज्यों में भी इन उत्पादों की आपूर्ति पर असर पड़ रहा है। इतना ही नहीं अब ऐसी रोक की मांग दूसरे राज्यों में भी उठने लगी है इसलिए सुनवाई सुप्रीम कोर्ट में ही होनी चाहिए।
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क्या है यह पूरा मामला?
पिछले साल 18 नवंबर को हलाल सर्टिफाइ़़ड प्रोडक्ट्स के निर्माण, बिक्री, भंडारण और वितरण पर उत्तर प्रदेश सरकार ने प्रतिबंध लगा दिया था। यह प्रतिबंध बहुत सुर्खियों में रहा था। अब सुप्रीम कोर्ट इसको चुनौती देने वाली हलाल इंडिया प्राइवेट लिमिटेड की रिट याचिका पर सुनवाई कर रही है। इस मामले की सुनवाई जस्टिस बीआर गवई और संदीप मेहता की बेंच कर रही है।
क्या होता है हलाल?
हलाल को लेकर अमूमन विवाद होते रहे हैं। दरअसल जिस जानवर को जिबह करके मारा जाता है, उसके मांस को हलाल कहा जाता है। जिबह करने का मतलब ये होता है कि जानवर के गले को पूरी तरह काटने की बजाय उसे रेत दिया जाता है, जिसके बाद उसके शरीर का लगभग सारा खून बाहर निकल जाता है। ऐसे ही जानवरों के मांस को हलाल मीट वाला सर्टिफिकेशन मिलता है।