UP Politics: कई सालों के बाद यूपी की दो प्रमुख पार्टियों के बीच एक बार फिर से रार दिखाई दे रही है। सपा और बहुजन समाज पार्टी के बीच के रिश्ते काफी ज्यादा आक्रमक होते दिखाई दे रहे है। दो दिनों से लगातार मायावती सपा पर हमलावार है। एकाएक मायावती स्टेट गेस्ट हाउस कांड की याद दिलाने लगी हैं और बसपा कार्यालय की सुरक्षा को लेकर अनहोनी की आशंका जता रही हैं। लेकिन अब सवाल ये उठता है कि जिस गेस्ट हाउस कांड को भुलाकर उन्होंने अखिलेश-डिंपल को मंच पर आशीर्वाद दिया था, मुलायम सिंह यादव के साथ मंच साझा किया था, वह फिर वह उन्हें कैसे याद आ गया? वहीं अब बसपा सुप्रीमो मायावती को डर सताने लगा है, आखिर ये डर है कैसा?
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कोई और सुरक्षित जगह देने की मांग की-Mayawati
दरअसल, मायावती को सपा राज में बने बीएसपी यूपी स्टेट ऑफिस के बने ऊंचे पुल की वजह से डर सता रहा है। जहाँ से षड्यन्त्रकारी अराजक तत्व पार्टी दफ्तर, कर्मचारियों व राष्ट्रीय प्रमुख को भी हानि पहुँचा सकते हैं जिसकी वजह से पार्टी को महापुरुषों की प्रतिमाओं को वहाँ से हटाकर पार्टी प्रमुख के निवास पर शिफ्ट करना पड़ा।’ इसी डर की वजह से मायावती ने बसपा कार्यालय के लिए कोई और सुरक्षित जगह देने की मांग की है।
सोशल मीडिया प्लेटफार्म एक्स पर पोस्ट शेयर किया
मायावती ने सोमवार को सोशल मीडिया प्लेटफार्म एक्स पर पोस्ट शेयर किया, एक नहीं बल्कि उन्होंने एक के बाद एक पांच पोस्ट शेयर किए। लेकिन ये पांचों पोस्ट किसके लिए थे, बता दे कि ये मायावती की तरफ से सपा प्रमुख अखिलेश यादव पर हमला था। मायावती ने इसे लेकर अपने सोशल मीडिया अकाउंट एक्स पर कई पोस्ट किए और कहा, ‘सपा अति-पिछड़ों के साथ-साथ जबरदस्त दलित-विरोधी पार्टी भी है, हालाँकि बीएसपी ने पिछले लोकसभा आमचुनाव में सपा से गठबन्धन करके इनके दलित-विरोधी चाल, चरित्र व चेहरे को थोड़ा बदलने का प्रयास किया. लेकिन चुनाव खत्म होने के बाद ही सपा पुनः अपने दलित-विरोधी जातिवादी एजेंडे पर आ गई।
Mayawati को लेकर क्या बोले थे अखिलेश यादव?
बीते दिन सपा प्रमुख अखिलेश यादवबलिया दौरे पर थे, जहां पर उन्होंने पत्रकारों से बातचीत की थी। पत्रकारों ने इंडिया ब्लॉक में मायावती और बसपा को शामिल करने के बारे में सवाल किया-तो उन्होंने तंज भरे लहजे में पूछा, ‘उसके बाद का (2024 लोकसभा चुनाव) भरोसा आप दिलाओगे। बात भरोसे का है। अगर वह आती हैं तो आप में से कौन भरोसा दिलाएगा?’ मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, हाल ही में हुई इंडिया ब्लॉक की बैठक में अखिलेश यादव ने बीएसपी को शामिल करने के प्रति असहमति जताई थी।’ बता दें कि बसपा और सपा ने यूपी में 2019 का लोकसभा चुनाव गठबंधन में लड़ा था। उनके गठबंधन की तीसरी पार्टी रालोद थी। बीएसपी ने 10 सीटें जीती थीं, जबकि सपा को 5 सीटों पर जीत मिली थी। आरएलडी खाता भी नहीं खोल सकी थी।
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