NITI Aayog MPI: वैसे तो भारत ने कई क्षेत्रों में आज प्रगति कर ली है लेकिन आजादी के बाद भी भारत के सामने सबसे बड़ी चुनौती देश की बुनियादी सुविधाओं से वंचित तपके का विकास करना था। नीति आयोग के अनुसार भारत में गरीबी से जूझ रहे लोगों की हमेशा से एक बड़ी अबादी रही है, गरीबी देश की आजादी के बाद से देश के सामने बड़ी चुनौती रही है। आजादी के बाद देश में आई सभी सरकारों ने लोगों को गरीबी से बाहर लाने के लिए हर तरह के प्रयास किए है,और सभी सरकारें इसमें बदलाव के बड़े-बडे़ दावे करते आई है। लेकिन सच तो ये है कि,आज भी हमारे देश में बड़ी तादाद में बुनियादी जरुरतों से वंचित तपका हमारे देश में मौजूद है।
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क्या करोड़ों लोग गरीबी से आगे आए?
देश की आजादी के बाद राजनीतिक पार्टियों के पास सबसे बड़ा मुद्दा गरीबी ही था, जो उनको चुनाव में मदद करता था,जिससे सत्ता उनके हाथ आती थी। एक बार तो देश की तत्कालीन प्रधानमंत्री रही इंदिरा गांधी ने लाल किले से अपने संबोधन के दौरान देश से गरीबी समाप्त करने की बात कही थी। लेकिन आज जमीनी हकीकत आपके सामने है। मगर ऐसा नहीं है कि, देश में विकास की गतिविधियां नही रही है,या देश में बदलाव नही हुआ है। अभी हाल में जारी नीति आयोग की रिर्पोट के अनुसार पिछले 10 वर्षों के अदंर देश की लगभग 25 करोड़ की अबादी गरीबी रेखा से बाहर आई है।
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नीति आयोग : 25 करोड़ लोगों की अबादी गरीबी रेखा से बाहर
आज जहां दुनिया में तमाम विकासशील देशों से लेकर विकसित देश भी आर्थिक तंगी और मंदी जैसी समस्या का सामना कर रहे हैं, वहीं भारत में लगभग 25 करोड़ लोगों की अबादी की गरीबी रेखा से बाहर आने की सुखद खबर भी है। अब सवाल ये है कि, व्यापक ढंग से इतने अधिक लोगों की जिंदगी में सुधार आ रहा,तो दिख क्यों नही रहा ऐसा, अगर ये आकड़े सच्चे है, तो अधिक संख्या में लोग आज भी शिक्षा,चिकित्सा और बेरोजगारी जैसे बड़ी मुश्किलों का सामना करते क्यों दिख रहे, विकास को बुनियादी जरुरत वाले इन क्षेत्रों में हुए बदलाव के आधार पर मापा जाता है।
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गरीबी से बाहर लाने के प्रयास पर आधारित..
वहीं नीति आयोग की रिर्पोट के अनुसार अधिक गरीबी 2012-13 में 29.17 फीसदी तक रही है, फिर 2022-23 में ये घट कर 11.28 फीसदी पर आ गई। रिर्पोट के अनुसार उत्तर प्रदेश,मध्य प्रदेश और बिहार से अधिक संख्या में लोग गरीबी रेखा से बाहर आए हैं। भारत में सरकारों की सफलता लोगों को गरीबी से बाहर लाने के प्रयास पर आधारित होती है क्योंकि नीति आयोग के मुताबिक इन आकड़ों में हुए बदलाव का श्रेय सरकार को ही जाता है।
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महामारी के बाद का दौर
कोरोना महामारी के बाद मौजूदा मोदी सरकार ये दावा करती है, मेरी सरकार पिछले 3 वर्षों से करीब 80 करोड़ की अबादी को मुफ्त में राशन मुहैया करा रही है। अगर देश की आजादी के इतने वर्षों बाद भी इतनी अधिक आबादी में लोगों को राशन पहुंचाया जा रहा, तो इसे गरीबी की ही नजर से देखा जाएगा,वहीं एक बड़ा सवाल खड़ा होता है,अगर इतनी बड़ी संख्या में लोग मुफ्त राशन के हकदार हैं,तो वो कौन लोग हैं, जो गरीबी रेखा के ऊपर आए हैं?ये एक बड़ा सवाल है….