सहारनपुर संवाददाता: नजम मंसूरी
- वरिष्ठ जेल अधीक्षक अमित दुबे ने श्रीराममंदिर बनाने में बंदी की हर सम्भव की मदद, हर वह सामान कराया उपलब्ध
सहारनपुर: प्रतिभा कभी भी परिस्थितियों की मोहताज नहीं होती हैं। चाहे आर्थिक संकट हो, चाहे कच्चे मकान या खपरैल और फिर चाहें जेल ही क्यो ना हों। प्रतिभा को कभी भी प्रतिबंधित नहीं किया जा सकता है। प्रतिभाएं तमाम विपरीत परिस्थितियों के बावजूद निखर कर सामने आती हैं। कहते हैं कि सफलता किसी की मोहताज नहीं होती, बस उसे जरूरत होती है एक सहारे की। कुछ ऐसा ही देखने को मिला है जनपद सहारनपुर की जिला जेल में। यहां हत्या के आरोप में सजा काट रहा एक मुस्लिम बंदी ने एक अद्भुत कारीगिरी कर सभी का मन जीत लिया है।
22 जनवरी को श्री रामलला की प्राण प्रतिष्ठा होनी
अयोध्या में श्रीराम मंदिर की आधारशिला रखी ही गयी थी, कि तभी सहारनपुर जेल में बंद बंदी ने अपनी कारागिरी का वो नायाब पेशकश की, जिसे कभी भुलाया नही जा सकता है। बन्दी ने वर्ष 2023 में श्रीराम मंदिर को लकड़ी पर निकासी कर हूबहू बना दिया। यह वैसा ही है जैसा अयोध्या में श्री राम मंदिर बनकर तैयार हो रहा है। आपको बता दें कि अयोध्या में 22 जनवरी को श्री रामलला की प्राण प्रतिष्ठा होनी है। ऐसे में देशभर में उत्सव का माहौल है। श्रीराम मंदिर को लेकर हिंदू-मुस्लिम समेत हर वर्ग के लोग उत्साहित हैं। उत्तर प्रदेश के सहारनपुर के जिला कारागार में हत्या के मामले में बंद मुस्लिम कैदी सदरुद्दीन उर्फ सदरू ने भी लकड़ी का श्री राम मंदिर बनाया है।
जेल में रहकर दिखाई कारीगिरी
उसने जेल में रहकर ये काम किया है, वरिष्ठ जेल अधीक्षक अमिता दुबे ने उसका पूर्ण सहयोग किया। हर सामान की जरूरत को उसकी पूरा कराया। अगर वरिष्ठ जेल अधीक्षक अमिता दुबे ना सहयोग करती तो उसकी कामयाब कारागिरी को आज यू पंख ना लगते। उसके द्वारा बनाया श्रीराम मंदिर आज सोशल मीडिया पर खूब वायरल हो रहा है। जब जेल में एक कार्यक्रम के दौरान प्रदेश के कारागार एवं होमगार्ड विभाग के राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) धर्मवीर प्रजापति भी श्रीराम का मंदिर देखकर चकित रह गए थे, उन्होंने इसे बनाने वाले मुस्लिम बंदी को प्रोत्साहित किया था। अब बंदी का सपना है कि वह इस मंदिर को मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को भेंट करें।