12th Fail : आज हम आपको एक ऐसी कहानी के बारे में बताने जा रहे है, जिसे पढ़ कर आप भी हैरान हो जाएंगे। वहीं अगर किसी का सपना आईएएस या आईपीएस बनने का हो तो आप ये खबर जरूर पढ़ें। आपके सपनों को पंख लग जाएंगे। आप भी यह सोचेगें की जब मनोज शर्मा IPS ऑफिसर बन सकते है तो में क्यों नही?, दरअलस ये कहानी आईपीएस मनोज शर्मा की है जो आज कल काफी सुर्खायों में यहीं नहीं ये हर जगह चर्चा में बने हुए है, तो आईए हम भी जानते हैं कि आखिर ये मनोज शर्मा है कौन?
जिन्होनें ने केवल किताब में ही नहीं बल्कि उनकी ज़िंदगी खुद किसी मूवी से कम नहीं है, इनकी ज़िंदगी ऐसी फिल्म की तरह रही जिसमें प्यार की अहम भूमिका थी। वहीं मनोज की कहानी से आप जानेंगे की, हम एक बार कुछ ठान लें तो उसे कर पाने का हर नामुमकिन रास्ता भी पार कर जाते हैं,दरअसल ये कहानी है चंबल में रहने वाले मनोज शर्मा की है,बता दें कि ये बहुत ही गरीब परिवार से थे, इनके पापा की नौकरी ईमानदार होने की वजह से चली जाती है, जिसके वजह से इनके घर में खाने तक के लाले पर जाते है..
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12वीं में फेल..
बता दें कि मनोज 12वीं में फेल हो जाता है क्योंकि उस साल स्कूल में एक ईमानदार पुलिस अफसर की वजह से चीटिंग नहीं हो पाती
जिस वजह से वो फैल हो जाता है, लेकिन मनोज तब भी हार नहीं माना वो तब भी उस अफसर जैसा बनना चाहता है और वो अफसर उससे कहता है कि तुम्हें मेरे जैसा बनना है तो चीटिंग बंद करनी पड़ेगी,तो मनोज चीटिंग बंद कर देता है और फिर शुरू होता है उसका सफर लेकिन उसे तो पता ही नहीं कि आईएएस होता क्या है, इस सफर में वो पहले ग्वालियर जाता है फिर दिल्ली के मुखर्जी नगर आता है।
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मुझे भी ऐसा ही बनना है…
वहीं एक इंटरव्यू में उन्होंने बताया कि- उनका प्लान 12वीं में जैसे-तैसे पास होकर, टाइपिंग सीखकर कहीं न कहीं जॉब ढूंढने का था, जिस से उनका घर चल सके, इस वजह से उन्होंने 12वीं की परीक्षा में नकल करने का भी पूरा प्लान बना रखा था, लेकिन एसडीएम ने स्कूल में सख्ती की और नकल नहीं होने दी, तब मनोज को लगा ऐसा पॉवरफुल आदमी कौन है जिसकी बात सब मान रहे हैं, उस दिन उन्हें लगा की मुझे भी ऐसा ही बनना है….
खाना तक न होने का वक्त भी देखा..
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लेकिन मनोज 12वीं में फिर से फेल हो जाता है उसके बाद मनोज अपने भाई के साथ टेंपो चलाने लगता है , और एक दिन टेंपो पकड़ा जाता है, फिर वो एसडीएम से मिलकर टेंपो छुड़ाने की बात करने गया लेकिन वो जब उनसे मिलने गया तो मनोज टेंपो छुड़वाने की बात करने की बजाय ये पूछा, आपने तैयारी कैसे की, जिसके बाद उसने उसी दिन तय कर लिया की अब यही बनेंगे… इसके बाद वो अपने घर ग्वालियर वापस आए, पैसे की तंगी थी, खाना तक न होने का वक्त भी देखा, फिर लाइब्रेरियन कम चपरासी का काम मिला, कवियों या विद्वानों की सभाओं में बिस्तर बिछाने, पानी पिलाने का काम भी किया, तैयारी शुरू की, एसडीएम ही बनना था लेकिन तैयारी धीरे-धीरे उच्च लेवल की करने लगे..
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121वीं रैंक के साथ पास कर आईपीएस बना..
वहीं विकास दिव्यकीर्ति नाम के शिक्षक ने बिना फीस मनोज शर्मा को एडमिशन दिया, पहले अटेंप्ट में प्री क्लीयर किया, लेकिन दूसरे, तीसरे अटेंप्ट तक प्यार में थे, वहीं जिस लड़की से ये प्यार करते थे उससे इन्होनें कहा कि तुम हां करो, साथ दो तो में दुनिया पलट सकता हूं, फिर चौथे अटेम्प्ट में इन्होनें यूपीएससी की परीक्षा 121वीं रैंक के साथ पास कर आईपीएस बने, बता दें कि मनोज ग्वालियर से पोस्ट-ग्रैजुएशन करने के बाद पीएचडी भी पूरी कर चुके हैं।
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मनोज 2005 बैच के महाराष्ट्र कैडर से IPS ऑफिसर है..
आपको बता दें कि मनोज शर्मा पर अनुराग पाठक ‘12th फेल, हारा वही जो लड़ा नहीं’ शीर्षक से किताब लिख चुके है,मनोज शर्मा ने एक इंटरव्यू में कहा, इनकी कहानी लिखने के पीछे बच्चों को प्रेरित करने का उद्देश्य है, ये 2005 बैच के महाराष्ट्र कैडर से आईपीएस बने मनोज मुंबई में एडिशनल कमिश्रनर ऑफ वेस्ट रीजन के पद पर तैनात हैं। वहीं हम एक बार कुछ ठान लें तो उसे कर पाने का हर नामुमकिन रास्ता भी पार कर जाते हैं, मनोज 2005 बैच के महाराष्ट्र कैडर से IPS ऑफिसर हैं।