Ayodhya: अयोध्या में 22 जनवरी को प्राण प्रतिष्ठा का कार्यक्रम है। 500 सालों के लंबे इंतजार के बाद इस दिन भगवान श्री राम भव्य मंदिर में विराजमन होंगे। इस भव्य समारोह से पहले राजनीतिक दलों ने सियासत शुरु कर दी है, किसी ने निमंत्रण को लेकर, तो किसी ने रामलला की मूर्ती को लेकर। इसी कड़ी में अब भगवान श्री राम को लेकर विवादित बयानबाजी भी शुरु हो गई है। शरद पवार गुट के एनसीपी नेता जितेंद्र अव्हाण ने भगवान राम को लेकर एक विवादित बयान दे दिया, जिसके बाद बाद से सभी रामभक्तों ने कड़ी प्रतिक्रिया देनी शुरु कर दी।
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साधू संतों ने कड़ी प्रतिक्रिया दी
एनसीपी नेता जितेंद्र आव्हाड के विवादित बयान पर साधू संतों ने भी कड़ी प्रतिक्रिया दी है। तपस्वी छावनी के पीठाधीश्वर जगतगुरू परमहंस आचार्य ने तो जितेंद्र अव्हाण को ऐसी चेतावनी दे डाली, जिसकी वजह से वह काफी सुर्खियों में बने हुए है। परमहंस आचार्य ने चेतावनी देते हुए कहा कि अगर जितेंद्र अव्हाण पर कार्रवाई नहीं हुई तो वो उनका वध कर देंगे। इसके साथ ही उन्होंने कहा कि जितेंद्र अव्हाण ने भगवान राम को लेकर जो बयान दिया है वो काफी ज्यादा निंदनीय है और ये देश के सभी रामभक्तों को गहरा आघात पहुंचाने वाला है। उन्होंने महाराष्ट्र सरकार और केंद्र सरकार से मांग करते हुए कहा कि मर्यादापुरुषोत्तम भगवान राम के प्रति इस तरह के अपमानजनक प्रयोग करने वाले जो लोग हैं इनपर स्वतः सज्ञान लेकर उन पर तुरंत कार्रवाई की जाए।
प्रभु राम का अपमान बर्दाश्त नहीं
अक्सर विवादित बयानों को लेकर चर्चा में रहने वाले पीठाधीश्वर जगतगुरू परमहंस आचार्य ने कहा कि अगर दूसरे धर्म के विषय में अगर इस तरह का कोई बयान दिया गया होता तो अब तक शायद वो ज़िंदा नहीं होता। प्रभु राम का अपमान बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। हमारे शास्त्रों में वर्णित है प्रभु श्रीराम की निंदा नहीं सुनेगा ये हिंदुस्तान है।
परमहंस आचार्य ने चेतावनी देते हुए कहा कि ‘अगर एनसीपी नेता पर सख़्त कार्रवाई नहीं होती है, तो वो ख़ुद जितेंद्र अव्हाण का वध करेंगे। उन्होंने कहा, मैं अयोध्या से जगतगुरू परमहंस आचार्य चेतावनी दे रहा हूं कि शास्त्र का ज्ञान नहीं तो पहले वो शास्त्रों का ज्ञान लें। ‘अगर एनसीपी नेता पर सख़्त कार्रवाई नहीं हुई तो मैं जितेंद्र का वध करूंगा।’
‘हमारे शास्त्रों में जो वर्णन है और शास्त्र ही प्रमाण है’
आपको बता दे कि एनसीपी नेता जितेंद्र आव्हाण ने कहा था ‘भगवान राम मांसाहार करते थे’। इसी बयान पर परमहंस आचार्य से पहले राम जन्मभूमि के मुख्य पुजारी आचार्य सत्येंद्र दास ने एनसीपी नेता के बयान पर नाराज़गी जताते हुए उनके बयान को ग़लत बताया और कहा, किसी भी शास्त्र में ऐसा नहीं लिखा है कि भगवान जब वनवास के लिए गए थे तो उन्होंने मांस खाया था। सभी जगह लिखा है कि वो कंद-मूल फल खाते थे, वो चौदह साल तक जब वनवास में रहे, वहां जो भी कंदमूल और फल मिलते थे वहीं खाते थे। वो शाकाहारी थी, हमारे शास्त्रों में जो वर्णन है और शास्त्र ही प्रमाण है।
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