Makar Sankranti 2024: आज पूरे देश में मकर संक्रांति का पर्व हर्षोउल्लास के साथ मनाया जा रहा है। अलग-अलग राज्यों में इस त्योहार को अलग-अलग नाम और रीतियों के साथ मनाया जाता है। जैसे कि मकर संक्रांति को पोंगल, माघी, खिचड़ी, उत्तरायण और संक्रांति आदि के नाम से भी जाना जाता है। हिंदू धर्म में मकर संक्रांति का बहुत ही विशेष महत्व होता है। ऐसा कहा जाता है कि वैदिक ज्योतिष में जब सूर्यदेव अपने पुत्र शनिदेव की राशि मकर में प्रवेश करते हैं, तब मकर संक्रांति का त्योहार मनाया जाता है। मकर संक्रांति पर गंगास्नान और दान का विशेष महत्व होता है।
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भारत और नेपाल में बड़े पैमाने पर मनाया जाता
यह त्योहार भारत और नेपाल में बड़े पैमाने पर मनाया जाता है। इस त्योहार को शुखी और उत्साह का प्रतीक कहा जाता है। इस दिन लोग दूसरे के साथ मिलकर खुशियां मनाते है। इस दिन खिचड़ी और तिल के लड्डू खाने का विशेष महत्व है। खिचड़ी को उन्नति और समृद्धि का प्रतीक माना जाता है, जबकि तिल को सूर्य का प्रतीक माना जाता है। इस दिन लोग पतंग उड़ाते हैं और एक-दूसरे को तिल और गुड़ का प्रसाद बांटते हैं।
खेल और कार्यक्रम भी आयोजित किए जाते
आपको बता दे कि मकर संक्रांति के दिन सूर्य उत्तरायण होता है, जिसका अर्थ है कि सूर्य की दिशा उत्तर की ओर मुड़ने लगती है। इस दिन को एक नए साल की शुरुआत के रूप में भी मनाया जाता है। मकर संक्रांति के दिन लोग नए कपड़े पहनते हैं और मंदिरों में जाकर भगवान सूर्य की पूजा करते हैं। इस दिन कई तरह के खेल और कार्यक्रम भी आयोजित किए जाते हैं।
पूजा-पाठ और उपासना का विशेष महत्व
मकर संक्रांति पर भगवान सूर्य की पूजा-पाठ और उपासना का विशेष महत्व होता है। मकर संक्रांति पर पुण्यकाल में गंगा स्नान करने के बाद तांबे के बर्तन में जल, सिंदूर, लाल फूल और काला तिल डाल कर उगते हुए सूर्य को जल अर्पित करना चाहिए। फिर इसके बाद नदी में खड़े होकर अपने अंजुली से जल लेकर भगवान सूर्य का ध्यान करते हुए और ऊं सूर्याय नम: का मंत्र बोलते हुए जल अर्पित करें। सूर्यदेव की महिमा और पूजा-उपासना का महत्व सभी वेद-पुराण एवं योग शास्त्रों में वर्णित हैं। शास्त्रों में कहा गया है कि आरोग्य सुख हेतु सूर्य उपासना सर्वथा फलदायी है,जो भी सूर्य देव की उपासना तथा व्रत करते हैं उनके सभी रोग दूर हो जाते हैं। शारीरिक कमजोरी या जोड़ों में दर्द जैसे परेशानियों में भगवान सूर्य की आराधना करने से रोग मुक्ति मिलने की संभावना बनती है ।
जानें स्नान और दान का महत्व
आज देशभर में धूमधाम के साथ मकर संक्रांति का त्योहार मनाया जा रहा है। मकर संक्रांति पर स्नान और दान करने का विशेष महत्व होता है। मकर सक्रांति पर पुण्यकाल में स्नान किया जाता है। वैदिक पंचांग के अनुसार आज पुण्य काल दोपहर 12 बजकर 15 मिट तक रहेगा, वहीं महापुण्य काल सुबह 07 बजकर 15 मिनट से लेकर 09 बजकर 15 मिनट तक रहेगा।
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