40 साल में पहली बार सशस्त्र उग्रवादी संगठन उल्फा से भारत और असम सरकार के बीच शांति समाधान समझौता मसौदे पर हस्ताक्षर हुए हैं। बता दे कि उल्फा के नेताओं ने केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह और असम के मुख्यमंत्री हेमंत बिस्वा सरमा की उपस्थिति में असम सरकार और केंद्र सरकार के साथ समझौता पत्र पर हस्ताक्षर किए।
Peace Accord: केंद्र सरकार और असम सरकार 29 दिसंबर को यूनाइटेड लिबरेशन फ्रंट ऑफ असोम (उल्फा) के साथ बड़ा समझौता किया है। 40 साल में पहली बार सशस्त्र उग्रवादी संगठन उल्फा से भारत और असम सरकार के नुमाइंदे के बीच शांति समाधान समझौता मसौदे पर हस्ताक्षर हुए हैं। भारत सरकार के पूर्वोत्तर में शांति प्रयास की दिशा में यह एक बहुत बड़ा कदम है। कारण, उल्फा पिछले कई सालों से उत्तर पूर्व में सशस्त्र सुरक्षा बलों के खिलाफ हिंसात्मक संघर्ष कर रहा था। बता दें कि उल्फा से कई दौर की बातचीत हुई। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने कहा कि असम में उग्रवाद का संपूर्ण समाधान है। गृह सचिव अजय कुमार भल्ला ने कहा कि आज एक ऐतिहासिक दिन है। हमारा मानना है कि पूर्वोत्तर के अन्य सभी संगठनों के साथ इस तरह के शांति समझौते पर हस्ताक्षर किए जाएंगे।
क्या कहा गृह मंत्री अमित शाह ने?
गृह मंत्री अमित शाह ने इस मौके पर कहा, ”मेरे लिए बहुत हर्ष का विषय है कि आज असम के भविष्य के लिए एक सुनहरा दिन है। लंबे समय से असम ने हिंसा को झेला है, पूरे नॉर्थ-ईस्ट ने हिंसा को झेला है, जब से मोदी जी प्रधानमंत्री बने तब से (2014 से) दिल्ली और नॉर्थ-ईस्ट की दूरी कम करने के प्रयास हुए। मन खोलकर, खुले हृदय से सभी के साथ बातचीत की शुरुआत हुई और उनके (पीएम मोदी) मार्गदर्शन में ही उग्रवाद मुक्त, हिंसा मुक्त और विवाद मुक्त नॉर्थ-ईस्ट की परिकल्पना लेकर गृह मंत्रालय चलता रहा।”उन्होंने कहा, ”पिछले पांच वर्षों में 9 शांति और सीमा संबंधित समझौते अलग-अलग राज्यों के पूरे नॉर्थ-ईस्ट में हुए हैं। इसके कारण नॉर्थ-ईस्ट के एक बड़े हिस्से में शांति की स्थापना हुई है।”
पीएम मोदी और अमित शाह का जताया आभार…
वहीं, असम के मुख्यमंत्री हिमंता बिस्वा सरमा ने कहा, “आज असम के लिए एक ऐतिहासिक दिन है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के कार्यकाल और गृह मंत्री अमित शाह के मार्गदर्शन में असम की शांति प्रक्रिया निरंतर जारी है। तीन समझौतों पर हस्ताक्षर किए गए हैं और तीन समझौतों के साथ असम में आदिवासी उग्रवाद समाप्त हो गया है।”
उल्फा और भारत सरकार के बीच हुए समझौते के प्रमुख बिंदु :
•असम के लोगों की सांस्कृतिक विरासत बरकरार रहेगी।
•असम के लोगों के लिए और भी बेहतर रोजगार के साधन राज्य में मौजूद रहेंगे।
•इनके काडरों को रोजगार के पर्याप्त अवसर सरकार मुहैया करवाएगी।
•उल्फा के सदस्यों को जिन्होंने सशस्त्र आंदोलन का रास्ता छोड़ दिया है उन्हें मुख्य धारा में लाने का भारत सरकार हर संभव प्रयास करेगी।
क्या है असम का उल्फा…
यूनाइटेड लिब्रेशन फ्रंट ऑफ असम यानी ULFA भारत के पूर्वोत्तर राज्य असम में एक्टिव एक प्रमुख आतंकवादी और उग्रवादी संगठन है। इस उग्रवादी संगठन का गठन 7 अप्रैल, 1979 में हुआ था। परेश बरुआ ने अपने साथी अरबिंद राजखोवा, गोलाप बरुआ उर्फ अनुप चेतिया, समीरन गोगोई उर्फ प्रदीप गोगोई और भद्रेश्वर गोहेन के साथ मिलकर इसका गठन किया था। इसको बनाने का मुख्य लक्षय सशस्त्र संघर्ष के जरिए असम को एक स्वायत्त और संप्रभु राज्य बनाने का था। साल 1990 में केंद्र सरकार ने इसपर प्रतिबंध लगाया और फिर सैन्य अभियान शुरू किया।
कारोबारियों ने छोड़ दिया था असम…
उल्फा के कारण असम में उग्रवाद चरम पर था। असम में चाय के कई व्यापारियों ने असम छोड़ दिया था। इन व्यापारियों को लगातार धमकी मिलती थी। इनसे फिरौती मांगी जाती थी। कई व्यापारियों की हत्या के बाद इलाके में दहशत का माहौल था। राज्य और अर्धसैनिक बलों की कार्रवाई के बाद भी इन अंकुश नहीं लग सका। इसके बाद दोनों पक्षों की ओर से शांति बहाली को लेकर प्रयास तेज किए गए। कई दौर की बातचीत के बाद शांति समझौते पर हस्ताक्षर करने को लेकर सहमति बनी है।