2025 में एडमिशन लेने जा रहे है सभी स्टूडेंट्स के लिए खुशखबरी है। स्टूडेंट्स अगले शैक्षणिक वर्ष (Academic Year) से ग्रेजुएशन में कोर्स अवधि को बढ़ा या घटा सकेंगे। जी हां क्योकि, यूनिवर्सिटी ग्रांट कमीशन (UGC) ग्रेजुएशन 2025-26 Academic Year से ग्रेजुएशन की डिग्री पूरी करने के लिए एक नए दृष्टिकोण पर काम कर रहा है। इसके अंतर्गत ग्रेजुएशन डिग्री जोकि 3 से 4 साल में पूरी होती है, अब उसे स्टूडेंट्स कमकर दो से ढाई साल में ही कर सकेंगे।

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चेयरमैन ने दी जांनकारी
UGC के चेयरमैन एम. जगदीश कुमार ने आईआईटी (IIT) मद्रास के एक कार्यक्रम में इसकी जानकारी दी। IIT मद्रास के डायरेक्टर वी कामाकोटी ने इस पॉलिसी का सुझाव (Suggestion) दिया था। बता दे, इस पर UGC लंबे समय से काम रहा है।
एजुकेशन सिस्टम को बनाया आसान
आगे कहा कि, UGC चाहता है कि हायर एजुकेशन सिस्टम को आसान बनाया जा सके। इससे ज्यादा से ज्यादा स्टूडेंट्स हायर एजुकेशन से जुड़ेंगे।
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क्या क्या होंगे बदलाव

इस पॉलिसी में Students को किसी भी विषय से ग्रेजुएशन करने की आजादी रहेगी। पहले ग्रेजुएशन डिग्री जो 3 से 4 साल की होती है, अब उसे घटाकर दो से ढाई साल की जा सकती है। वहीं, बात करें पढ़ाई में कमजोर Students की तो वे अपने ग्रेजुएशन प्रोग्राम का समय बढ़ाकर 5 साल तक कर सकते हैं।
इससे कब से लागू किया जायेगा ?
जानकारी के मुताबिक, अभी कुछ भी तय नहीं है। मगर एकेडमिक ईयर 2025-26 से इसे लागू करने की योजना प्रस्तावित है।
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डिग्री के बीच भी मिलेगा ब्रेक
आपको शायद याद होगा की इससे पहले भी राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 के तहत UGC डिग्री के बीच में ब्रेक लेने का विकल्प ला चुका है। अगर कोई स्टूडेंट चाहे तो वह कोर्स से ब्रेक ले सकता है और बाद में वापस आकर इसे पूरा कर सकता है। इसे लेकर चेयरमैन ने कहा कि हमारा काम स्टूडेंट्स को क्रिटिकल थिंकर बनाना है। जिससे वो देश के विकास में मदद कर सकें। पहले ही कई एंट्रेंस और एग्जिट विकल्प दिए हैं, जिसमे कमजोर स्टूडेंट्स ब्रेक ले सकें और अपनी पसंद के अनुसार सिलेबस पूरा कर सकें।
इस उद्देश्य से स्टूडेंट्स को ज्यादा फ्लेक्सिबल बनाएगा और ज्यादा मौके देगा। आगे कहा, 12-13 नवंबर को दिल्ली में हायर एजुकेशन की बैठक में केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने NEP 2020 की Progress को Review किया है और इसे लागू करने की बात कही है। पश्चिम बंगाल और केरल जैसे राज्यों ने शिक्षा नीति का विरोध किया। इन राज्यों ने चार वर्षीय डिग्री प्रोग्राम शुरू किए। तमिलनाडु ने NEP को नहीं अपनाया था और इसके बजाय राज्य शिक्षा नीति का फॉर्मेट तैयार किया था। ऐसे में यह एक अच्छी शुरुआत होगी।