New Delhi: भारत सरकार ने नागरिक पंजीकरण प्रणाली (CRS) ऐप की लॉन्चिंग कर दी है, जिसे गृहमंत्री अमित शाह (Home Minister Amit Shah) ने आज जनगणना भवन में पेश किया। इस नई ऐप की मदद से आम आदमी अब बिना सरकारी दफ्तरों के चक्कर लगाए और लंबी कतारों से बचते हुए घर बैठे जन्म और मृत्यु का पंजीकरण कर सकता है। यह ऐप सरकारी सेवाओं को आसान बनाने की दिशा में एक बड़ा कदम माना जा रहा है, जो नागरिकों को अपने मोबाइल से पंजीकरण की सुविधा प्रदान करेगा।
कैसे करेगा CRS ऐप काम
सीआरएस ऐप का उपयोग बेहद सरल और समय बचाने वाला है। सेंसस इंडिया 2021 के आधिकारिक सोशल मीडिया हैंडल के अनुसार, जन्म और मृत्यु से संबंधित जानकारी का पंजीकरण अब सिर्फ एक क्लिक पर उपलब्ध होगा। प्रक्रिया के तहत किसी भी नागरिक को जन्म या मृत्यु की सूचना 21 दिनों के भीतर इस ऐप पर दर्ज करनी होगी। अगर पंजीकरण 21 दिनों में नहीं होता है, तो उपयोगकर्ता को अतिरिक्त शुल्क देना होगा।
शुल्क की जानकारी के मुताबिक, 22 से 30 दिनों के भीतर पंजीकरण करने पर 2 रुपये, 31 दिन से एक साल तक देरी पर 5 रुपये की फीस रखी गई है। एक साल से अधिक पुराने मामलों में पंजीकरण करने पर अधिकतम शुल्क 10 रुपये होगा। इस पहल का उद्देश्य रजिस्ट्रेशन प्रक्रिया को सुलभ और किफायती बनाना है, जिससे सभी वर्गों के लोग आसानी से इसका लाभ ले सकें।
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अमित शाह ने बताए ऐप के फायदे
गृहमंत्री अमित शाह ने इस मौके पर ऐप की खूबियों पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा, “सीआरएस ऐप देशभर के नागरिकों को किसी भी स्थान और अपने राज्य की आधिकारिक भाषा में पंजीकरण करने की सुविधा देगा। यह ऐप जन्म और मृत्यु पंजीकरण के काम को सरल और परेशानी मुक्त बनाएगा।” अमित शाह ने इसे सरकार की जन-सेवा को मजबूत करने के प्रयासों का हिस्सा बताया।
मोबाइल एप्लीकेशन से होगी जनगणना
भारत में 2021 की जनगणना की तैयारियां जोरों पर हैं, जिसमें पहली बार सूचना एकत्र करने के लिए मोबाइल एप्लिकेशन का उपयोग किया जाएगा। इसके अलावा, पहली बार राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर (एनपीआर) भी तैयार किया जा रहा है। गृहमंत्री के मुताबिक, “एनपीआर से देश की कानून व्यवस्था में सुधार होगा और विकास को नई दिशा मिलेगी।” इस नई तकनीक के माध्यम से जनसंख्या से संबंधित सूचनाएं भी जल्द ही सरकार के पास होंगी, जिससे नीति-निर्माण में सहूलियत मिलेगी।
वहीं, जाति जनगणना की मांग लगातार विपक्षी दलों द्वारा उठाई जा रही है। हालांकि, सरकार ने इस मुद्दे पर अभी तक कोई आधिकारिक जवाब नहीं दिया है। जनगणना की तारीख और उसके फॉर्मेट को लेकर भी सरकार की तरफ से कोई जानकारी नहीं आई है, जिससे इस बारे में संशय बना हुआ है। जाति आधारित गणना का मुद्दा समाज में गहराई से जुड़ा हुआ है, और इससे संबंधित हर निर्णय का दूरगामी प्रभाव पड़ सकता है।
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सीआरएस ऐप से जुड़ी अन्य प्रमुख बातें
किफायती फीस संरचना: देरी से पंजीकरण करने पर अधिकतम 10 रुपये का शुल्क रखा गया है।
विभिन्न भाषाओं में उपलब्धता: ऐप नागरिकों को उनकी राज्य भाषा में पंजीकरण की सुविधा देगा।
डिजिटल भारत की ओर एक और कदम: सरकार की डिजिटल सेवाओं की इस पहल को ‘डिजिटल भारत’ अभियान का हिस्सा माना जा रहा है, जो सरकारी सेवाओं को हर नागरिक तक पहुंचाने का लक्ष्य रखता है।
इस ऐप के आने से नागरिकों को जन सुविधाओं का लाभ अधिक पारदर्शी और प्रभावी ढंग से मिल सकेगा।
जनगणना की तैयारियों और एनपीआर की संभावनाओं के बीच यह ऐप लोगों के लिए एक आसान विकल्प बनकर उभरेगा।
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