IPS DK panda News: पूर्व IG डीके पांडा, जो एक समय में सोलह श्रृंगार कर राधा रानी के स्वरूप में ड्यूटी पर जाने के लिए चर्चित रहे, एक बार फिर चर्चा में हैं। इस बार मामला साजो-श्रृंगार का नहीं बल्कि 381 करोड़ रुपये की ठगी का है, जिसमें लंदन की एक ट्रेडिंग कंपनी ने उन्हें ठग लिया। इस ठगी की शिकायत पांडा ने प्रयागराज के धूमनगंज कोतवाली में दर्ज करवाई है, जहां पुलिस मामले की जांच में जुटी है।
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ठगी की कहानी: वाट्सएप कॉल से शुरू हुआ धोखा
ओडिशा के निवासी और 1971 बैच के आईपीएस अधिकारी रहे डीके पांडा ( IPS DK panda) ने 2005 में आईपीएस सेवा से इस्तीफा दे दिया था। इसके बाद उन्होंने संत का जीवन अपना लिया और बाबा कृष्णानंद के रूप में प्रयागराज में बस गए। कुछ समय पहले उन्हें साइप्रस में रहने वाले राजस्थान निवासी आरव शर्मा का एक वाट्सएप कॉल आया। आरव ने उन्हें एक ट्रेडिंग स्कीम की जानकारी दी, जिसमें मोटी कमाई का वादा किया गया था। फोन पर ही फिनिक्स ग्रुप के वित्त अधिकारी राहुल गुप्ता से बातचीत करवाई गई, जिसके बाद पांडा ने उस ट्रेडिंग स्कीम में निवेश करना शुरू कर दिया।
381 करोड़ का झांसा
पांडा का कहना है कि इस योजना में उनकी काफी अच्छी-खासी रकम निवेश हो चुकी थी और उनके साथ विनीत गोयल नामक एक व्यक्ति भी इस कंपनी में जुड़े थे। कंपनी की तरफ से उन्हें नियमित कमीशन मिलने भी शुरू हो गए थे, जिससे उन्हें भरोसा हो गया कि यह स्कीम सही है। लेकिन जब कंपनी ने उन्हें 381 करोड़ रुपये ट्रांसफर करने का वादा किया, तो असली ठगी की कहानी सामने आई।
ब्लैकमेलिंग कर डराया जा रहा था
जब 381 करोड़ रुपये ट्रांसफर किए जाने का वक्त आया, तो कंपनी के पदाधिकारी आरव शर्मा का कॉल आया, जिसने रकम ट्रांसफर करने के बदले आठ लाख रुपये की मांग की। जब पांडा ने राशि देने से इनकार कर दिया, तो आरव ने उन्हें धमकी दी कि उनके आधार कार्ड, पैन कार्ड समेत अन्य दस्तावेजों का इस्तेमाल आतंकी फंडिंग में किया जाएगा। इतना ही नहीं, आरव ने दीपक नाम के एक व्यक्ति से भी बात करवाई, जो खुद आतंकी फंडिंग में लिप्त है। इस धमकी के बाद पांडा घबरा गए और पुलिस की शरण में पहुंचे। पांडा ने इस मामले में सीबीआई या एनआईए से जांच की मांग की है।
राधा रानी के स्वरूप में ड्यूटी पर जाते थे पूर्व IG
पूर्व आईपीएस डीके पांडा की पहचान काफी अनोखी रही है। यूपी में आईजी के पद पर रहते हुए 2005 में वह अचानक अपने राधा स्वरूप में आए। वह होठों पर लिपस्टिक, कानों में झुमके, नाक में नथ और साड़ी पहनकर ऑफिस जाने लगे। इस अनोखे रूप की वजह से वह राधा रानी के नाम से मशहूर हो गए और उनके इस व्यवहार के कारण पुलिस महकमे की छवि धूमिल होती देख सरकार ने उन्हें दबाव में आकर इस्तीफा देने पर मजबूर किया।
2005 में इस्तीफा देने के बाद पांडा ने अपना जीवन भगवान श्रीकृष्ण को समर्पित कर दिया और 2015 में उन्होंने अपना स्वरूप बदलकर संत का रूप धारण कर लिया। पीतांबर पहनकर खुद को बाबा कृष्णानंद के रूप में पहचान दी और दावा किया कि उन्हें यह आदेश भगवान श्रीकृष्ण ने दिया था। तब से लेकर अब तक वे प्रयागराज के धूमनगंज में अपने आवास पर रहते आ रहे हैं और समय-समय पर उनकी चर्चा होती रही है।
पुलिस ने की जांच शुरू
डीके पांडा की तहरीर पर प्रयागराज के धूमनगंज कोतवाली पुलिस ने मामले की जांच शुरू कर दी है। पुलिस के मुताबिक, पांडा के आरोप गंभीर हैं और मामले में लंदन की फिनिक्स ग्रुप का नाम भी आया है। पुलिस अब यह पता लगाने की कोशिश कर रही है कि यह ठगी का मामला असल में किस तरह से अंजाम दिया गया। डीके पांडा का यह मामला सोशल मीडिया पर भी तेजी से वायरल हो रहा है। उनके अनोखे जीवन और अब इतने बड़े ठगी मामले में उनका फंसना लोगों के बीच चर्चा का विषय बना हुआ है।
कई लोग इस मामले पर पुलिस और प्रशासन से कड़ी कार्रवाई की मांग कर रहे हैं। इस मामले में पांडा ने सीबीआई या एनआईए से जांच की मांग की है ताकि सच सामने आ सके। उनका कहना है कि उन्होंने संत जीवन में आने के बाद हमेशा सत्य और ईमानदारी का पालन किया है और उन्हें उम्मीद है कि इस ठगी का पर्दाफाश होगा और दोषियों को सजा मिलेगी।