Lohri 2024: देशभर में आज बहुत ही धूम धाम के साथ लोहड़ी का पर्व मनाया जा रहा है। यह पर्व देश के पंजाब, हरियाणा, दिल्ली जैसे राज्यों के लिए बड़े त्योहारों में से एक है। यह त्योहार मकर संक्रांति के ठीक एक दिन पहले मनाया जाता है। लोहड़ी का त्योहार सबसे खास सिख समुदाय के लोगों के लिए होता है। वो लोग इस त्योहार को बहुत ही धूम धाम के साथ मनाते है। सिख समुदाय के लोग इस दिन अग्नि के इर्द-गिर्द परिक्रमा करते है।
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कैसे मनाते है इस त्योहार को..
बता दे कि लोहड़ी के दिन रात को आग जलाई जाती है और उस आग के चारों ओर परिक्रमा कर उसमें तिल, गुड़, मूंगफली, रेवड़ी आदि चढ़ाई जाती है। इसके बाद परिवार के लोग और करीबी दोस्त, रिश्तेदार वगैरह मिलजुलकर ढोल-नगाढ़ों पर भांगड़ा और गिद्दा वगैरह करते हैं और एक दूसरे को लोहड़ी की बधाइयां देते हैं। इसके अलावा लोहड़ी का त्योहार किसानों के लिए भी बेहद खास माना जाता है। क्योंकि किसान अपनी नई फसल को आग में चढ़ाकर परिवार की सुख-समृद्धि की कामना करते हैं।
दुल्ला-भट्टी की कहानी
ये त्योहार दुल्ला-भट्टी की कहानी के बिना अधूरा माना जाता है। लेकिन ये दुल्ला-भट्टी की कहानी आखिर है क्या ? जिसके बिना लोहड़ी का ये त्योहार अधूरा है। बता दे कि अकबर के शासन काल में पंजाब में दुल्ला भट्टी नाम का एक शख्स रहा करता था। उस समय लोग मुनाफे के लिए लड़कियों को बेचकर उनका सौदा कर लेते थे। एक बार संदलबार में लड़कियों को अमीर सौदागरों को बेचा जा रहा था। दुल्ला भट्टी ने सामान के बदले में इलाके की लड़कियों का सौदा होते देख लिया।
इसके बाद उन्होंने बड़ी चतुराई से न सिर्फ उन लड़कियों को व्यापारियों के चंगुल से आजाद कराया, बल्कि उनके जीवन को बर्बादी से बचाने के लिए उनका विवाह भी करवाया। इसके बाद से दुल्ला भट्टी को नायक के तौर पर देखा जाने लगा। लोहड़ी पंजाब का बड़ा पर्व है और इसमें परिवार, दोस्त और करीबी, तमाम लोग इकट्ठे होते हैं, ऐसे मौके पर दुल्ला भट्टी की कहानी इसलिए सुनाई जाती है ताकि ज्यादा से ज्यादा लोग इससे प्रेरणा लेकर घर की महिलाओं की हिफाजत करना सीखें, उनका सम्मान करें और जरूरतमंदों की मदद करें।
पौराणिक कथा
लोहड़ी का उल्लेख हमें पौराणिक कथा में भी मिलता है। ऐसी मान्यता है कि माता सती के पिता राजा दक्ष ने महायज्ञ किया था। इसमें भगवान शिव और माता सती को आमंत्रित नहीं किया गया। निमंत्रण न मिलने से सती माता राजा दक्ष से नाराज हो गईं और उन्होंने स्वयं को अग्नि में समर्पित कर दिया। ऐसा माना जाता है यह पर्व माता सती को ही समर्पित है। इस दिन लोग दुल्ला भट्टी से जुड़े गीत भी गाते हैं।
पंजाब की बाजारों में रौनक
इस पर्व का सबसे ज्यादा उत्साह पंजाब में देखने को मिल रहा है। बाजारों में लोहड़ी के पर्व पर बिकने वाले सामान से दुकानें सजाई हुई हैं। शहर में कई स्थानों पर लोहड़ी पर सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित होंगे। बाजारों में ब्रांडेड कंपनियों की गजक और मूंगफली की खूब भरमार है। वहीं पतंग का भी बाजार खूब गर्म है। लोग बेसब्री से लोहड़ी का इंतजार करते नजर आ रहे हैं।
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