Rammandir : श्री राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा के इंतजार में रखी 150 वर्ष पुरानी, चंदन की लकड़ी लेकर दलबल के साथ हुए रवाना महंत श्री 108 मोहनदास महाराज, डेढ़ सौ वर्ष पूर्व उनके दादा गुरु श्री श्री 1008 तपाजी महाराज स्वयं काटकर रखी थी, चंदन की लकड़ी का चंदन प्रभु श्री राम का मंदिर बनने पर श्री राम लाल को लगाने के लिए, लेकर उनके दादा गुरु कृपा जी महाराज एवं उनके गुरु श्री श्री 1008 किशोरी दास महाराज के गोलोक होने के उपरांत, श्री श्री 108 गोपाल दास महाराज ने की अपने गुरु और दादा गुरु की अंतिम इच्छा पूर्ण । बैंड बाजा के साथ भक्त जनों ने किया गोपाल दास महाराज को अयोध्या रवाना ।
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अयोध्या से काफी लगाव और जुड़ाव है…
कहते हैं कि अयोध्या श्री राम जन्मभूमि के आस्था और ब्रज चौरासी को ब्रज एवं संपूर्ण मथुरा जनपद के सिद्ध साधु संतों एवं महत्व का भी श्री राम आंदोलन एवं अयोध्या से काफी लगाव और जुड़ाव एवं आस्था थी। प्रभु श्री राम से निरंतर रहती आई है इस परिपेक्ष में ब्रज 84 कोश एवं मथुरा जनपद के छाता तहसील के गांव अकबरपुर स्थित प्राचीन अनाथ गौशाला एवं प्राचीनतम सिद्ध गोपाल जी मंदिर एवं गोपाल जी आश्रम का भी एक अतुलनीय और अनूठा इतिहास रहा है।
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चंदन की लकड़ी लेकर अयोध्या जाएंगे..
बताया गया है कि सन 1848 में बंगाल से 8 वर्ष की अवस्था का एक बाल साधु के रूप में इस तपोस्थली आश्रम पर श्री श्री 1008 तपाजी महाराज नाम के बाल संत यहां पर आए थे। जिन्होंने 18 वर्ष की अल्प आयु में सन 1874 में ब्रज के इसी जंगल से चंदन की लकड़ी काटकर यह प्रतिज्ञा ली जब अयोध्या में प्रभु भगवान श्री राम का बाबा मंदिर बनेगा तो वह इस चंदन की लकड़ी के लेप से प्रभु श्री राम का चंदन लगाने हेतु स्वयं चंदन की लकड़ी लेकर अयोध्या जाएंगे और वह लगातार पूर्व में हुए कई आंदोलन में भी अयोध्या से जुड़े रहे और अयोध्या उनका आगमन होता ।
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डेढ़ सौ वर्ष बाद उन चंदन की लड़कियों को अयोध्या ले जाया जा रहा…
लेकिन सन 1950 में 102 वर्ष की दीर्घायु में श्री श्री 1008 श्री तपाजी महाराज के गोलोकवाश होने के उपरांत उनके शिष्य श्री श्री 1008 श्री किशोरी दास महाराज ने उत्तराधिकार के रूप में गद्दीपर बैठने के उपरांत श्री किशोरी दास महाराज ने अपने गुरु की प्रतिज्ञा को बरकरार रखते हुए उन चंदन की लड़कियों को संजो कर रखा और वह समय-समय पर अयोध्या आते-जाते रहे महंत श्री किशोरी दास महाराज 1989 1990 एवं 1991 और 92 के अयोध्या आंदोलन से भी जुड़े रहे लेकिन उनका भी सौ वर्ष की आयु में सन 2002 में उनका भी गोलोक होने के उपरांत पास होने के उपरांत फिर यही प्रतिज्ञा पूरी करने के लिए उनकी तीसरी पीढ़ी के शिष्य जब गद्दी पर विराजमान हुए तो श्री 108 महंत गोपाल दास महाराज महाराज ने अपने गुरु और दादा गुरु की प्रतिज्ञा पूरी करने के लिए दुर्लभ चंदन की लड़कियों को संजो कर रखा और आज ठीक डेढ़ सौ वर्ष बाद उन चंदन की लड़कियों को जब अयोध्या श्री राम ट्रस्ट धाम से सीधा निमंत्रण आया तो प्रफुल्लित होते हुए।
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महाराज अयोध्या रवाना हो गए..
अपने दादा गुरु और गुरु की इच्छा को पूर्ण करते हुए अपने सभी भक्तजन और शिष्यों के साथ दलबल के साथ भगवान श्री राम के जयकारे लगाते हुए आश्रम में पूजा पाठ विधि विधान से करने के उपरांत अयोध्या के लिए रवाना हुए जो की 22 जनवरी को प्रभु श्री राम प्रतिष्ठा के समय में दिव्य और भव्य मंदिर में भगवान श्री राम लला की मूर्ति पर उन्हें चंदन की लकड़ी का लेप लगाने के लिए महंत गोपाल दास महाराज अयोध्या रवाना हो गए।
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यहां पर बड़े ही सिद्ध महंत है…
वहीं दूसरी ओर गांव के सभ्रांत नागरिक एवं वरिष्ठ अधिवक्ता ठाकुर ओमवीर सिंह एडवोकेट एवं विश्व हिंदू परिषद के प्रखंड कार्यवाह विष्णु हिंदुस्तानी ने बताया कि यह आश्रम बहुत ही प्राचीनतम और सिद्ध क्षेत्र है और यह आश्रम और गौशाला सैकड़ो वर्ष पुरानी है और यहां पर बड़े ही सिद्ध महंत का इस आश्रम पर वास रहा है आश्रम में प्राचीन सिद्ध श्री गोपाल जी का मंदिर है जिस पर प्रतिवर्ष इस मंदिर पर समूचे गांव वासी भव्य उत्सव राम कथा एवं भागवत पुराण रस एवं अन्य कार्यक्रम प्रतिवर्ष होते रहती है महाराज श्री गोपाल दास की यात्रा के अवसर पर विष्णु हिंदुस्तानी, मुकेश वकील ,सुरेश राठौड़ मनसुका राजपाल, ठेकेदार डिप्टी, कालू, कन्हैया, शुभम, चेतन अनक सिसोदिया आदि मौजूद रहे।