Ayodhya Loksabha Seat: करोड़ों लोगों की आस्था का केंद्र, या यूं कहें की उत्तर प्रदेश की धार्मिक राजधानी के तौर पर लगातार विकास के मार्ग पर दौड़ने वाला शहर, ये सब कुछ एक ही शहर का बखान करता है, जो है अयोध्या. अयोध्या का न सिर्फ पौराणिक और धार्मिक महत्व है, बल्कि राजनितिक नज़रिए से ये शहर इतना खास बन चुका है कि लोकसभा की पिच पर खुलेआम इस मुद्दे पर भाजपा बैटिंग करते हुए, विपक्ष के छक्के छुड़ा रही है और लुका-छुपी करके नहीं बल्कि खुलेआम. चाहे पीएम मोदी हों या सीएम योगी आपने सभी को इस मामले पर खुलकर बोलते सुना होगा, तोकसभा की चौसर बिछ चुकी है, हर पार्टी पासा फेंकने को तैयार है. ऐसे में क्या कहती है अयोध्या और इसकी जनता.देखिए प्राइम टीवी की इस खास रिपोर्ट में….
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‘अयोध्या की गलियों में अब गोलियां नहीं चलेंगी’
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का वो बयान तो आपने सुना ही होगा, जो उन्होने अयोध्या की सरजमीं से दिया था. सीएम ने कहा कि अयोध्या की गलियों में अब गोलियां नहीं चलेंगी, बल्कि दीपोत्सव मनाया जाएगा. अयोध्या कर्फ्यू के दौर से नहीं गुजरेगी, बल्कि ‘राम’ संकीर्तन की गूंज से गुंजायमान होगी. सीएम योगी ने कहा कि अयोध्या को नए स्वरूप में पेश करने का श्रेय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को जाता है.अयोध्या का सपना पूरा हुआ,राम आ गए हैं.
निमंत्रण पर छिड़ी सियासत..
जिस दिन अयोध्या में प्राण प्रतिष्ठा हुई, उस दिन पूरे देश के सनातनी श्री राम के भक्त अयोध्या में थे.कोई साक्षात, तो कोई अपनी नजरें टीवी और सोशल मीडिया पर गड़ाए हुए था. प्राण प्रतिष्ठा का हर पल, सभी अपने जहन में कैद करना चाहते थे.वहीं विपक्ष की बात करें तो प्राण प्रतिष्ठा के दौरान विपक्षी गठबंधन में अलग ही भूचाल आया था.राहुल गांधी न्याय यात्रा पर थे.
सीट शेयरिंग पर बात बन नहीं रही थी और बची कसर गठबंधन ने पूरी कर दी. राम मंदिर के निमंत्रण पर अयोध्या न जाकर और इस कार्यक्रम को भाजपा का राजनीतिक कार्यक्रम बताकर.जो अखिलेश यादव यूपी में जीत का दम्भ भरते हैं, उन्होनें पहले कहा कि निमंत्रण नहीं आया और जब निमंत्रण आया तो बाद में दर्शन करने की बात कह दी.वहीं अगर बात करें बसपा पार्टी या बसपा सुप्रीमो की तो मायावती हमेशा राम मंदिर के मुद्दे से दूर रहीं. उन्होंने कभी कोई बयान नहीं दिया.
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भाजपा ने उतारा पुराना धुरंधर, सपा ने खेला PDA पर दांव
बीजेपी ने लोकसभा चुनाव के लिए यूपी के 51 प्रत्याशियों के नाम का एलान कर दिया है.इस लिस्ट में पार्टी ने फैजाबाद से लल्लू सिंह को चुनावी मैदान में उतारा है. गौर करने वाली बात ये है कि लल्लू सिंह बीते तीन बार से फैजाबाद लोकसभा क्षेत्र के सांसद हैं.वहीं सपा ने इस सीट से PDA कार्डपर दांव खेलते हुए अवधेश प्रसाद को कैंडिडेट घोषित किया है.
अयोध्या सीट का चुनावी इतिहास…
साल 2019 के लोकसभा चुनाव में सपा और बहुजन समाज पार्टी ने अलायंस किया था. तब इस सीट पर सपा के आनंद सेनन यादव चुनावी मैदान में थे.इस चुनाव में लल्लू सिंह को 5,29,021 वोट मिले थे. वहीं सपा के आनंद को 4,63,544 वोट ही मिले थे.वहीं कांग्रेस के निर्मल खत्री को 53,886 वोट मिले थे.अब बात करें अगर साल 2014 के लोकसभा चुनाव की, तो यहां सपा के मित्रसेन यादव को लल्लू सिंह ने मात दी थी.लल्लू सिंह ने तब 4 लाख से ज्यादा वोट हासिल किए थे और सपा के मित्रसेन को 2,08,986 वोट मिले थे.
वहीं बसपा के जितेंग्र कुमार सिंह बबलू को 1,21, 827 वोट मिले थे और कांग्रेस के निर्मल खत्री को 1,29,917 वोट मिले थे. मौजूदा हालत की बात करें तो सपा और कांग्रेस एक साथ चुनाव लड़ रहे हैं.सपा ने इस सीट पर अवधेश प्रसाद कोप्रत्याशी चुना है. हालांकि बीते दो चुनावों के आंकड़ों को मिला भी दें, तो भी सपा, बीजेपी के बरक्स पहुंचती नहीं दिख रही है.चूंकि बसपा के साथ 2019 में अलायंस किया गया था और इस बार अभी तक बसपा से कोई गठबंधन नहीं है ऐसे में चुनाव परिणाम पर बड़ा असर पड़ सकता है.
क्या मुसलमानों पर भी होगा राम नाम का असर ?
हिन्दु- मुस्लिम, ब्राह्मण, दलित, यादव, कुर्मी, तमाम मुद्दे चुनावी मौसम में रंग बदलते रहते हैं. ऐसे में राम मंदिर वो मुद्दा बन चुका है, जिसके सामने विपक्षियों की हर चाल फेल होती नजर आ रही है.राम मंदिर के आगे कोई कुछ नहीं कर सकता और ये बात भी साफ़ है कि विपक्ष अगर धर्म की बात करता है तो फ़ायदा बीजेपी को ही होगा. एक अनुमानित आबादी के आंकड़े की बात करें तो अयोध्या में 79 .73 फीसदी हिन्दू हैं, और 19.26 फीसदी मुस्लिम. अगर जाति की बात ना भी की जाए, सिर्फ राम मंदिर के परिपेक्ष्य में मुस्लिमों की बात की जाए तो उनके मिज़ाज का अंदाजा इन तस्वारों से साफ लगाया जा सकता है.
राम मंदिर से हिन्दु तो खुश पर मुसलमानों का क्या ?
ये तस्वीर साफ जाहिर कर रही हैं कि राम मंदिर बनने से एक बड़ा मुस्लिम वर्ग भी काफी खुश है.अक्सर चुनावी त्यौहार में मुस्लिमों के कंधे पर रखकर बंदूक चलाई जाती रही है.ऐसे मेंअब आप ये तस्वीरें ही देखिये.ये इक़बाल अंसारी हैं, जो पीएम मोदी पर फूलों की बारिश कर रहे थे.ये वही इक़बाल अंसारी हैं जो बाबरी के पक्षकार थे.
लेकिन राम मंदिर बनने पर उन्होने खुशी जाहिर की. अब शबनम शेख को देखिए जो श्री राम की धुन में ऐसी मलंग हुई कि पैदल ही यात्रा पर निकल गई और अब ये तस्वीरें देखिए, ये वो मुस्लिम हैं जो भगवान रामलला के दर्शन को आतुर थे. जो रामलला के एक दर्शन पाकर खुद को धन्य कह रहे थे.अब इससे ज्यादा क्या प्रमाण चाहिए की न सिर्फ हिन्दू बल्कि मुस्लिमों के लिए भी राम मंदिर बड़ा तोहफा है.
अखिलेश ने खेला दांव..
एक तरफ जहां राम मंदिर के उद्घाटन के बाद बीजेपी पूरे देश में महौल बनाने में जुटी है.इसी बीच अखिलेश यादव ने अयोध्या यानी फैजाबाद लोकसभा सीट पर दलित प्रत्याशी मैदान में उतारकर सबको चौंका दिया है.लंबे वक्त से वो समाजवादी पार्टी से जुड़े हुए हैं. उनकी गिनती पूर्व मुख्यमंत्री और दिवंगत नेता मुलायम सिंह यादव के करीबी लोगों में होती है.
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