LUCKNOW :साड़ी को भारतीय संस्कृति की अनमोल पहचान के रूप में माना जाता है।साड़ी में योगाभ्यास सात्विकता और शक्ति का प्रतीक है।
भारतीय परंपरा में सिले हुए कपड़े को पूरी तरीके से शुद्ध नहीं माना जाता साड़ी शुद्धता एवं सात्विकता के अच्छे प्रतीक के रूप में माना जाता है।
साड़ी में भारतीय नारी सदाचारी और धर्मनिष्ठता से पूर्ण मानी जाती है
6 से 9 मीटर लंबी साड़ी शरीर को शारीरिक और मानसिक रूप से स्वस्थ रखने में काफी मदद करती है।भारतवर्ष में प्रत्येक स्थान पर अलग-अलग तरह की साड़ियां मिलती हैं और साड़ी को आप जितने तरीके से पहन सकते हैं किसी भी वस्त्र को इतने तरीके से नहीं पहन सकते हैं।
गोमती नगर में स्थित इमिनेंट योग केंद्र की योग साधिकाओं ने साड़ी पहनकर योगाभ्यास करके योग की पारंपरिक, सात्विकता, सहजता ,
सरलता और सजगता को प्रस्तुत की।
साड़ी पहनकर योगाभ्यास योगाभ्यास करने से पैरों में रक्त संचार उचित तरीके से होता है और आज के समय में महिलाओं में वैरिकोज वेंस की समस्याएं अधिक देखने को मिल रही है वायु संचार , प्राण संचार अधिक होने से वैरिकोज वेंस की समस्या में लाभ मिलता है।
साड़ी पहनने की विधि विभिन्न प्रकार की मर्म स्थानों को प्रभावित करती हैं जैसे कमर का जो हिस्सा ढका नहीं रहता वह ब्रह्म स्थान होता है और इस जगह जीवनी शक्ति प्रवाहित होती है यहां पर शरीर खुला रहने से शरीर ठंडा रहता है।
योगाभ्यास के दौरान योग साधकों को ऐसे कपड़े पहनने चाहिए जो आपकी त्वचा को सांस लेने दे साड़ी इसके लिए उपयुक्त वस्त्र है जिसमें आप लंबे समय तक ध्यान और प्राणायाम कर सकते हैं।
साड़ी आध्यात्मिकता का प्रतीक है समस्त नकारात्मक ऊर्जा साड़ी में योगाभ्यास से समाप्त होता है लोगों की दृष्टि सात्विक हो जाती है और हमें विभिन्न संकटों से बचाता है।
साड़ी पहने प्रत्येक नारी को हर एक व्यक्ति सम्मान की दृष्टि से देखता है यह भाव स्वत: ही जागृत हो जाता है।
जिससे स्त्रीत्व की शक्ति योग के साथ मिलकर जागृत होती है।
सभी भारतीय नारी शक्ति को साड़ी अवश्य पहननी चाहिए।
यह सभी नारी शक्ति के लिए एक प्रेरणा का स्रोत है कि हम सभी साड़ी में भी योगाभ्यास कर सकते हैं योग शिक्षकों को इसके प्रति लोगों को प्रेरित भी करना चाहिए और सरल, सहज योगाभ्यास के लिए आमंत्रित करना चाहिए।
गर्भवती महिलाओं के लिए एवं विभिन्न बीमारियों में साड़ी रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने में मदद करती है एवं शरीर में , वायु संचार, प्राण संचार उचित तरीके से हो इसके लिए सहयोग करती है।
साड़ी में ध्यान और प्राणायाम करती हुई स्त्री देवी स्वरूप एवं दिव्य शक्तियों के रूप में प्रतीत होती है।
कार्यक्रम में प्रमुखता से Dr Shweta Singh, Shafally Berry , Dr Ritu, Sunita , Manju, Sandhya, Komal आदि ने भाग लिया