UP Rich Beggars: लखनऊ (Lucknow) में हाल ही में किए गए सर्वेक्षण से एक चौंकाने वाली जानकारी सामने आई है. यहां पर कई भिखारी (Beggars) प्रतिमाह करीब 90 हजार रुपये कमा रहे हैं और सालाना कमाई लगभग 11 लाख रुपये तक पहुंच जाती है. जिला नगरीय विकास अभिकरण (DUDA) द्वारा किए गए इस सर्वे में पाया गया कि भिखारी आय के मामले में कई नौकरीपेशा लोगों से भी आगे निकल चुके हैं.
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स्मार्टफोन और पैनकार्ड जैसी सुविधाएं
सबसे हैरान करने वाली बात तो यह है कि, भिखारियों (Beggars) के पास स्मार्टफोन और पैनकार्ड जैसी सुविधाएं तक पाई गई हैं, जिससे यह स्पष्ट होता है कि यह क्षेत्र अब पारंपरिक स्वरूप से अलग हो चुका है. लखनऊ में कुल 5,312 भिखारियों का सर्वे किया गया और अब इन्हें विभिन्न सरकारी योजनाओं से जोड़ने का प्रयास किया जा रहा है.
भिखारियों की संख्या में वृद्धि
आपको बता दे कि, लखनऊ (Lucknow) में भिखारियों की संख्या में बढ़ोतरी को देखते हुए समाज कल्याण विभाग और डूडा ने सर्वेक्षण किया, जिसमें कई चौंकाने वाले तथ्य सामने आए है. हालांकि, यह सर्वेक्षण काफी समय पहले का है और इसके कुछ हिस्सों में त्रुटियों के कारण सर्वेक्षण करने वाली संस्था को जिला प्रशासन ने काली सूची में डाल दिया है. फिर भी, इस सर्वेक्षण ने यह तो संकेत दिया है कि भिक्षावृत्ति (Beggars) से होने वाली आय अब एक गंभीर विचारणीय विषय बन गया है.
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भिक्षावृत्ति से मुक्ति के लिए अभियान
भिक्षावृत्ति (Beggars) को समाप्त करने के उद्देश्य से 19 अक्टूबर से पांच विभागों की संयुक्त टीम ने अभियान शुरू किया है. इस अभियान में नगर निगम, पुलिस विभाग, जिला नगरीय विकास अभिकरण, समाज कल्याण विभाग, महिला कल्याण विभाग और जिला प्रशासन का सहयोग शामिल है.
अभियान का उद्देश्य ?
अभियान का उद्देश्य भिक्षावृत्ति (Beggars) में संलिप्त परिवारों और बच्चों को इस काम से मुक्त कराकर उनके पुनर्वास और सामाजिक एकीकरण को सुनिश्चित करना है. हजरतगंज, लाल बत्ती, अवध चौराहा, इंदिरा गांधी प्रतिष्ठान और चारबाग जैसे स्थानों को ‘हॉट स्पॉट’ घोषित किया गया है जहां भिक्षावृत्ति का प्रचलन अधिक है. अभियान की समीक्षा 15 दिनों के भीतर की जाएगी ताकि इसके प्रभाव का आकलन किया जा सके.
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