RJD MLC Sunil singh News: पूर्व मुख्यमंत्री राबड़ी देवी (Rabri Devi) के मुंहबोले भाई और राजद नेता सुनील सिंह (Sunil Singh) की विधान परिषद सदस्यता रद्द कर दी गई है। विधान परिषद की आचार समिति ने सुनील सिंह पर कार्रवाई की अनुशंसा की थी, जिसमें कहा गया था कि सुनील सिंह पिछले चार सत्रों से सदन में अनुपस्थित रहे हैं। पांचवें सत्र में वे उपस्थित हुए, लेकिन आरोपों पर कोई जवाब नहीं दिया। इसके अलावा, उन्होंने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार (Nitish Kumar) के खिलाफ बयानबाजी की थी, जिसे असंसदीय और लोकतंत्र विरोधी बताया गया।
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मिमिक्री का मामला बना कारण

सुनील सिंह पर आरोप है कि उन्होंने पिछले सत्र में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की मिमिक्री की थी, जिससे सदन की गरिमा प्रभावित हुई। इस मामले की जांच विधान परिषद की आचार समिति को सौंपी गई थी। समिति ने अपनी रिपोर्ट में सुनील सिंह को दोषी पाया और उनकी सदस्यता रद्द करने की सिफारिश की। उपसभापति रामवचन ने मानसून सत्र की अंतिम बैठक में इस सिफारिश पर स्वीकृति दी।
सुनील सिंह का बयान: ‘आज का दिन काला दिन’

सुनील सिंह ने अपनी सदस्यता रद्द होने पर कड़ा विरोध जताया। उन्होंने कहा, “आज का दिन काला दिन माना जाएगा। आज विधान परिषद में लोकतंत्र की हत्या की गई है। मेरी सदस्यता रद्द कर दी गई। इस घटना की पटकथा मुख्यमंत्री आवास पर लिखी गई थी। मैं गरीबों और युवाओं के लिए आवाज उठाता रहा हूँ और इसीलिए मुख्यमंत्री नीतीश कुमार मुझे खटकते थे। साजिश के तहत मेरी सदस्यता रद्द कर दी गई।”
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विवादित बयानों और सोशल मीडिया पोस्ट की चर्चा
सुनील सिंह अपने विवादित बयानों और सोशल मीडिया पोस्ट के कारण अक्सर सुर्खियों में रहते हैं। उनके बयानों से पार्टी को कई बार असहज स्थिति का सामना करना पड़ा है। 2022 में केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI) ने सुनील सिंह के आवास और अन्य ठिकानों पर छापेमारी की थी। यह कार्रवाई लालू यादव के परिवार पर रेलवे में नौकरी के बदले जमीन के मामले की जांच के हिस्से के रूप में की गई थी।
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जांच की करी मांग

सुनील सिंह ने नीतीश कुमार पर आरोप लगाते हुए कहा, “यह लोकतांत्रिक मूल्यों की हत्या है। मेरी सदस्यता को नियमों के विरुद्ध रद्द किया गया है। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने प्रलोभन देकर यह साजिश रचवाई। मिमिक्री के सवाल पर उन्होंने कहा कि सारे आरोप निराधार और बेबुनियाद हैं और इसकी जांच होनी चाहिए।”
आचार समिति की सिफारिश पर कार्रवाई
विधान परिषद की आचार समिति ने सुनील सिंह के खिलाफ शिकायतों की जांच के बाद यह सिफारिश की थी। समिति के अध्यक्ष ने विधान परिषद में रिपोर्ट पेश की, जिसके बाद उपसभापति अवधेश नारायण सिंह ने शुक्रवार को अंतिम फैसला सुनाया।
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आगे का रास्ता चुनौती भरा

सुनील सिंह ने इस फैसले को चुनौती देने का संकेत दिया है। उन्होंने कहा कि वह लोकतांत्रिक अधिकारों की रक्षा के लिए लड़ेंगे और इस साजिश का पर्दाफाश करेंगे। उन्होंने कहा कि उनके खिलाफ लगाए गए सभी आरोप निराधार हैं और उन्हें न्याय मिलेगा।
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विवाद और राजनीति
सुनील सिंह की सदस्यता रद्द होने से बिहार की राजनीति में हलचल मच गई है। यह मामला राजनीतिक प्रतिद्वंद्विता और व्यक्तिगत आरोप-प्रत्यारोप का एक और उदाहरण है। लोकतंत्र में ऐसी घटनाएं नई नहीं हैं, लेकिन हर बार यह सवाल उठता है कि क्या राजनीतिक प्रतिद्वंद्विता के चलते लोकतांत्रिक मूल्यों की अनदेखी की जा रही है। सुनील सिंह के मामले में भी यह देखा जा सकता है कि आरोपों और सजा के पीछे राजनीतिक कारण हो सकते हैं। इस घटना से यह स्पष्ट होता है कि राजनीतिक दलों के बीच संघर्ष कितना गहरा हो सकता है और इसका असर किस तरह से लोकतांत्रिक प्रक्रियाओं पर पड़ता है।
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