UP By-Election 2024: उत्तर प्रदेश के आगामी विधानसभा उपचुनाव (Uttar Pradesh By Election) में सीट बंटवारे को लेकर सपा और कांग्रेस (Congress) के बीच खींचतान जारी है। समाजवादी पार्टी (Samajwadi Party) के मुखिया अखिलेश यादव (Akhilesh Yadav) ने कांग्रेस की नाराजगी को देखते हुए एक और सीट छोड़ने का संकेत दिया है। इससे पहले सपा ने कांग्रेस को गाजियाबाद और अलीगढ़ की खैर सीटें ऑफर की थीं, लेकिन कांग्रेस इन सीटों से संतुष्ट नहीं नजर आ रही थी।
अब सपा ने फूलपुर सीट (Phulpur seat) भी कांग्रेस को देने की पेशकश की है। लेकिन इसके बदले में, सपा ने महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में अपनी मांग स्पष्ट कर दी है। पार्टी वहां 12 सीटों की मांग कर रही है और इस मुद्दे पर कोई समझौता करने के मूड में नहीं है। उत्तर प्रदेश में कांग्रेस के प्रति नरम रुख अपनाने के बावजूद, सपा महाराष्ट्र में सख्त तेवर दिखा रही है। हालांकि फूलपुर सीट कांग्रेस के खाते में जाने की अटकलों के बीच में सपा प्रत्याशी ने वहां से नमांकन भी कर दिया है।
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फूलपुर सीट पर भरा नामांकन
बुधवार को सपा के उम्मीदवार मुज्जतबा सिद्दकी ने फूलपुर सीट (Phulpur seat) से अपना नामांकन दाखिल कर दिया है। जब इस मामले में फूलपुर पर सपा के पर्यवेक्षक इंद्रजीत सरोज से सवाल किया गया, तो उन्होंने बताया कि हमारे प्रत्याशी ने नामांकन कर लिया है। कांग्रेस को सीट देने की कोई जानकारी उन्हें नहीं है। जब उनसे कहा गया कि इस पर मीडिया में खबरें चल रही हैं, तो उन्होंने जवाब दिया कि हो सकता है कि मीडिया में कुछ मनगढ़ंत चर्चाएं हो रही हों।
गाजियाबाद और खैर सीटों पर कांग्रेस की कमजोर स्थिति
उत्तर प्रदेश उपचुनाव (UP By-Election) के लिए सपा ने कांग्रेस को दो सीटों की पेशकश की थी – गाजियाबाद और अलीगढ़ की खैर सीट। लेकिन कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष अजय राय की ओर से पांच सीटों की मांग रखी गई, जिससे दोनों दलों के बीच बातचीत जारी रही। सपा की ओर से दी गई दोनों सीटों पर कांग्रेस की स्थिति कमजोर मानी जा रही है। गाजियाबाद सीट पर कांग्रेस 22 साल से चुनाव हार रही है, जबकि खैर सीट पर पिछले 44 सालों से कोई जीत दर्ज नहीं कर पाई है। इन सीटों पर भाजपा की स्थिति काफी मजबूत मानी जाती है, जिससे कांग्रेस का इन सीटों को स्वीकार करने में हिचकिचाहट है।
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फूलपुर सीट: सपा का था तीसरा ऑफर
गाजियाबाद और खैर सीटों पर सहमति न बनने के बाद, अब अखिलेश यादव ने फूलपुर सीट भी कांग्रेस को देने का संकेत दिया है। हालांकि सपा ने इस सीट पर पहले ही मुर्तजा सिद्दीकी को उम्मीदवार घोषित कर दिया था और प्रचार अभियान भी शुरू हो चुका है। भाजपा ने पिछले विधानसभा चुनाव में इस सीट पर जीत हासिल की थी।
सपा का मानना है कि फूलपुर के जातीय समीकरणों को देखते हुए, इस सीट पर गठबंधन की जीत सुनिश्चित हो सकती है। कांग्रेस ने फूलपुर सीट को लेकर विशेष दबाव बनाया, जिसके चलते सपा को अपने कदम पीछे खींचने की जरूरत महसूस हुई। हालांकि, सपा कांग्रेस की पांच सीटों की मांग को अभी भी पूरी तरह मानने के लिए तैयार नहीं है। इन सबके चलते फूलपुर सीट पर सपा प्रत्याशी ने नमांकन कर दिया है।
महाराष्ट्र में सपा की 12 सीटों की मांग जारी
उत्तर प्रदेश में नरमी दिखाने के बावजूद, सपा ने महाराष्ट्र में सीटों के बंटवारे के मामले में सख्त रुख अपनाया है। पार्टी ने महाराष्ट्र में 12 विधानसभा सीटों की मांग की है और इस मुद्दे पर किसी तरह का दबाव स्वीकार करने के मूड में नहीं है। अखिलेश यादव ने हाल ही में महाराष्ट्र का दौरा किया और वहां की सियासी स्थितियों का जायजा लिया। सपा के एक वरिष्ठ नेता का कहना है कि पार्टी का महाराष्ट्र के कई इलाकों में मजबूत जनाधार है, जिसके आधार पर 12 सीटों की मांग की गई है।
पार्टी ने महाराष्ट्र की 5 सीटों पर अपना प्रचार अभियान भी शुरू कर दिया है, जो यह संकेत देता है कि सपा महाराष्ट्र के चुनावों को गंभीरता से ले रही है। महाराष्ट्र में महाविकास अघाड़ी गठबंधन में पहले से ही सीट बंटवारे को लेकर पेंच फंसा हुआ है, जिससे सपा की यह मांग पूरी होने में कठिनाई आ सकती है।
हरियाणा में नरम, महाराष्ट्र में अडिग
हालांकि सपा ने हरियाणा (Haryana) में सीटों के बंटवारे को लेकर समझौता किया था, लेकिन महाराष्ट्र (Maharashtra) में पार्टी ने स्पष्ट कर दिया है कि वह इस बार कोई कदम पीछे खींचने के लिए तैयार नहीं है। उत्तर प्रदेश में कांग्रेस के साथ नरम रुख अपनाने के बाद, सपा अब महाराष्ट्र में अपनी मांगों पर सख्ती दिखा रही है। समाजवादी पार्टी और कांग्रेस के बीच उपचुनावों में सीटों का बंटवारा अभी तक स्पष्ट नहीं हो पाया है, लेकिन सपा के नरम और सख्त रुख ने चुनावी समीकरणों को पेचीदा बना दिया है। उत्तर प्रदेश में सीटों के लिए नरमी दिखाने के बावजूद, सपा ने महाराष्ट्र में अपना दबाव बनाए रखा है। अब देखना यह होगा कि इस राजनीतिक खींचतान का असर दोनों दलों के प्रदर्शन पर क्या पड़ता है।
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