Krishna Janmabhoomi-Shahi Eidgah Case: उत्तर प्रदेश के मथुरा स्थित श्रीकृष्ण जन्मभूमि-शाही ईदगाह विवाद (Krishna Janmabhoomi-Shahi Eidgah dispute) पर इलाहाबाद हाईकोर्ट ने एक महत्वपूर्ण फैसला सुनाते हुए मुस्लिम पक्ष की रिकॉल याचिका को खारिज कर दिया है। यह याचिका मुस्लिम पक्ष ने कोर्ट के जनवरी 2024 में दिए गए उस आदेश के खिलाफ दायर की थी, जिसमें कोर्ट ने सभी संबंधित 15 मुकदमों को एकीकृत करने का निर्णय लिया था। मुस्लिम पक्ष ने इस आदेश को वापस लेने का अनुरोध किया था, जिसे कोर्ट ने खारिज कर दिया है। इस फैसले से श्रीकृष्ण जन्मभूमि के मामले में हिंदू पक्ष को बड़ी राहत मिली है।
15 मुकदमों के एकीकरण पर कोर्ट का फैसला
इलाहाबाद हाईकोर्ट की सिंगल बेंच, जस्टिस मयंक कुमार जैन की अध्यक्षता में, इस विवादित मामले की सुनवाई हुई। कोर्ट ने अपने फैसले में स्पष्ट किया कि जनवरी 2024 के आदेश को वापस नहीं लिया जाएगा और सभी मुकदमों का एकसाथ निपटारा किया जाएगा। कोर्ट ने यह भी कहा कि 15 मुकदमों का एकीकरण करने का फैसला पूरी तरह से कानूनी और उचित है, क्योंकि यह विवाद एक ही संपत्ति और समान पक्षों से जुड़ा है।
मुस्लिम पक्ष की दलीलें खारिज

मुस्लिम पक्ष की ओर से पेश अधिवक्ता तस्नीम अहमदी ने कोर्ट से आग्रह किया था कि 11 जनवरी 2024 के आदेश को वापस लिया जाए। उनका तर्क था कि मुकदमों का एकीकरण मामले को उलझा सकता है और सभी पक्षों को नुकसान पहुंचा सकता है। उन्होंने कहा कि सभी मुकदमों को अलग-अलग सुना जाना चाहिए, ताकि हर मामले की अलग-अलग सुनवाई और विश्लेषण किया जा सके। हालांकि, कोर्ट ने इस तर्क को खारिज कर दिया। कोर्ट ने कहा कि जब मुकदमे समान संपत्ति, समान प्रतिवादी और समान मुद्दों से जुड़े होते हैं, तो उनका एकीकरण करना न केवल कानून सम्मत है, बल्कि इससे मामले की सुनवाई में तेजी आएगी और न्यायिक प्रक्रिया में पारदर्शिता बनी रहेगी।
हिंदू पक्ष ने जताई फैसले पर संतुष्टि
हिंदू पक्ष के अधिवक्ता हरिशंकर जैन ने कोर्ट के इस फैसले पर संतोष जताया। उन्होंने कहा कि मुकदमों का एकीकरण करना उचित है, क्योंकि इससे न्यायिक प्रक्रिया में देरी नहीं होगी और सभी मुद्दों का समग्र रूप से समाधान निकलेगा। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि मुकदमे एकीकृत करने का अर्थ यह नहीं है कि किसी पक्ष का लड़ने का अधिकार समाप्त हो जाएगा। हर पक्ष को अपनी बात रखने का पूरा अवसर मिलेगा।
क्या है श्रीकृष्ण जन्मभूमि और शाही ईदगाह मस्जिद विवाद
मथुरा स्थित श्रीकृष्ण जन्मभूमि और शाही ईदगाह मस्जिद का विवाद ऐतिहासिक है। यह विवाद मुगल बादशाह औरंगजेब के काल से जुड़ा है, जब कहा जाता है कि भगवान श्रीकृष्ण के जन्मस्थान पर स्थित मंदिर को तोड़कर वहां शाही ईदगाह मस्जिद का निर्माण किया गया था। हिंदू पक्ष का दावा है कि मस्जिद उस स्थान पर अवैध रूप से बनाई गई थी और उन्होंने इस स्थान पर पुनः मंदिर के निर्माण की मांग की है। हिंदू पक्ष ने मस्जिद के ढांचे को हटाने के लिए कई मुकदमे दायर किए हैं, जिनमें से 15 मुकदमों का एकीकरण इलाहाबाद हाईकोर्ट (Allahabad High Court) ने किया है। इन मुकदमों में स्थायी निषेधाज्ञा और उस स्थान पर मंदिर के जीर्णोद्धार की मांग की गई है।
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रिकॉल याचिका पर मुस्लिम पक्ष का तर्क
मुस्लिम पक्ष ने कोर्ट में ‘रिकॉल प्रार्थना पत्र’ दायर (recall petition) करते हुए कहा था कि जनवरी 2024 में दिए गए आदेश को वापस लिया जाना चाहिए। उनकी दलील थी कि मुकदमों को एकसाथ सुनना उनके लिए न्यायिक नुकसान का कारण बन सकता है। लेकिन, हाईकोर्ट ने यह स्पष्ट किया कि सभी मुकदमों में समान मुद्दे होने के कारण उनका एकीकरण करना आवश्यक और उचित है। हिंदू पक्ष ने यह भी तर्क दिया कि मुस्लिम पक्ष का रिकॉल प्रार्थना पत्र केवल मामले को उलझाए रखने के लिए है और यह न्यायिक प्रक्रिया में देरी का एक तरीका मात्र है। मंदिर पक्ष ने अपनी ओर से सभी आवश्यक दस्तावेज और तर्क प्रस्तुत कर दिए हैं और अब कोर्ट इस विवाद पर आगे की सुनवाई के लिए तैयार है।
अब जबकि इलाहाबाद हाईकोर्ट ने मुस्लिम पक्ष की याचिका को खारिज कर दिया है, इस मामले में अगले कदम के रूप में अदालत मुकदमों के मुख्य बिंदुओं पर सुनवाई शुरू करेगी। कोर्ट ने सभी पक्षों को वाद बिंदुओं को पेश करने के लिए कहा है, जिसके बाद इस विवाद पर अंतिम निर्णय की दिशा में प्रक्रिया आगे बढ़ेगी। श्रीकृष्ण जन्मभूमि-शाही ईदगाह विवाद में इलाहाबाद हाईकोर्ट के इस फैसले से हिंदू पक्ष को बड़ी जीत मिली है। वहीं, मुस्लिम पक्ष को कोर्ट के इस फैसले के बाद नए कानूनी विकल्पों पर विचार करना पड़ सकता है।
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