Former President Pranab Mukherjee: सबसे बड़े लोकतंत्र का हिस्सा रहे पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी की आज जयंती है। इस मौके पर पीएम मोदी ने उन्हें विनम्र श्रद्धांजलि अर्पित की है। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और कई बार केंद्रीय मंत्री रह चुके प्रणब मुखर्जी को लोग ‘प्रणब दा’ भी कहकर बुलाते थे। कांग्रेस के खिलाफ संयुक्त मोर्चा बनाने में उन्होंने बहुत ही महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। प्रणब मुखर्जी के राजनीतिक कौशल और बौद्धिक गहराई ने देश की दिशा को एक नया आकार दिया।
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पीएम मोदी सोशल मीडिया पर किया पोस्ट
पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी की आज जयंती के अवसर पर पीएम मोदी सोशल मीडिया पर पोस्ट करते हुए लिखा उनकी जयंती पर श्रद्धांजलि अर्पित करता हूं। उनके राजनीतिक कौशल और बौद्धिक गहराई ने हमारे राष्ट्र की दिशा को आकार दिया।’’ उन्होंने कहा, ‘‘उनकी अंतर्दृष्टि और उनका नेतृत्व अमूल्य था। व्यक्तिगत स्तर पर हमारी बातचीत हमेशा समृद्ध रही। उनका समर्पण और ज्ञान हमेशा प्रगति की दिशा में हमारी यात्रा में एक मार्गदर्शक शक्ति रहेगा।’’
देखें पोस्ट: https://x.com/narendramodi/status/1734065473342349510?s=20
बेटी शर्मिष्ठा मुखर्जी ने लिखी किताब
पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी के जयंती के अवसर पर उनकी बेटी शर्मिष्ठा मुखर्जी ने ‘प्रणब माई फादर- ए डॉटर रिमेम्बर्स’ नाम की किताब लिखी है। जिसमें प्रणब मुखर्जी और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के रिश्तों का भी जिक्र है। इस किताब के मुताबिक पीएम मोदी और पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी के बीच ‘स्ट्रॉन्ग पर्सनल कमेस्ट्री’ थी। शर्मिष्ठा मुखर्जी ने किताब में लिखा है कि उनके पिता और पीएम मोदी के संबंध उनके प्रधानमंत्री बनने से बहुत पहले से थे।
प्रणब दा कांग्रेस में शामिल हुए
प्रणब मुखर्जी का जन्म साल 1935, 11 दिसंबर को बंगाल के बीरभूम जिले के मिराती गांव में एक बंगाली ब्राह्मण परिवार में हुआ था। उन्होंने अपने राजनीतिक सफर की शुरुआत 1967 में बांग्ला कांग्रेस के संस्थापक सदस्य के रूप में की। उन्होंने कांग्रेस के खिलाफ संयुक्त मोर्चा बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। उनको पहली बार 1969 में बांग्ला कांग्रेस के टिकट पर राज्यसभा के लिए चुना गया। इंदिरा गांधी ने 1972 में बांग्ला कांग्रेस का कांग्रेस में विलय करवा दिया, जिसके बाद प्रणब दा कांग्रेस में शामिल हो गए।
भारत के रक्षा मंत्री के रूप में कार्य किया
आपको बता दे कि प्रणब मुखर्जी ने साल 1999 से लेकर 2012 तक कांग्रेस की केंद्रीय चुनाव समिति की अध्यक्षता की। उन्हें 1997 में उत्कृष्ट सांसद चुना गया। यही नहीं उन्होंने 2004 से लेकर 2006 तक भारत के रक्षा मंत्री के रूप में कार्य किया। साल 1995 में वो भारत के विदेश मंत्री नियुक्त किए गए। उनके नेतृत्व में ही भारत को आसियान का पूर्ण वार्ता भागीदार देश बनाया गया। वे 1996 तक विदेश मंत्री रहे। उन्हें 2006 में फिर से विदेश मंत्री की जिम्मेदारी दी गई।
पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी का कार्यकाल
- प्रणब दा तीन बार भारत के वाणिज्य मंत्री रहे। उनका पहला कार्यकाल 1980 से लेकर 1982 तक था।
- प्रणब मुखर्जी पहली बार इंदिरा गाधी सरकार में 1982 में वित्त मंत्री बने। उन्होंने 1982-83 में अपना पहला बजट पेश किया था।
- उनका पहला कार्यकाल वित्त स्थिति में सुधार के लिए किए गए उनके कार्यों के लिए जाना जाता है। उन्होंने ही आइएमएफ ऋण की अंतिम किस्त को सफलता पूर्वक लौटाई।
- प्रणब दा ने मनमोहन सिंह के भारतीय रिजर्व बैंक के गवर्नर के रूप में नियुक्ति करने वाले पत्र पर 1982 में हस्ताक्षर किए थे।
- 2009 में प्रणब मुखर्जी ने फिर से भारत के वित्त मंत्री की जिम्मेदारी संभाली। उन्होंने 2009, 2010 और 2011 में बजट पेश किया।
राष्ट्रपति का उम्मीदवार बनाया
फिर 15 जून 2012 को यूपीए की तरफ से प्रणब मुखर्जी को राष्ट्रपति का उम्मीदवार बनाया गया। उन्होंने 19 जुलाई 2012 को हुए चुनाव में एनडीए उम्मीदवार पीए संगमा को हराया था। राष्ट्रपति चुनाव का परिणाम 22 जुलाई 2012 को घोषित किया गया था। उनके खिलाफ राष्ट्रपति चुनाव में पीए संगमा खड़े थे, लेकिन उन्हें हार का सामना करना पड़ा। 22 जुलाई को प्रणब को विजेता घोषित किया गया। मुखर्जी को राष्ट्रपति चुनाव में 7,13, 763 मत मिले, जबकि संगमा को 3,15, 987 मत मिले।