Karnataka News: जनता दल (सेक्युलर) के पूर्व सांसद प्रज्वल रेवन्ना (Prajwal Revanna) की जमानत याचिका सोमवार को सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने खारिज कर दी। जमानत याचिका पर सुनवाई करते हुए न्यायमूर्ति बेला एम त्रिवेदी और न्यायमूर्ति सतीश चंद्र शर्मा की खंडपीठ ने कर्नाटक हाईकोर्ट के निर्णय में हस्तक्षेप करने से इनकार कर दिया, जिसने 21 अक्टूबर को रेवन्ना की जमानत अर्जी खारिज की थी। रेवन्ना पर यौन उत्पीड़न और आपराधिक धमकी जैसे गंभीर आरोप हैं, जिन्हें लेकर विशेष जांच दल (SIT) ने अगस्त में एक विस्तृत आरोपपत्र प्रस्तुत किया था।
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“प्रभावशाली व्यक्ति होने से नहीं मिलती रियायत”: सुप्रीम कोर्ट
रेवन्ना की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता मुकुल रोहतगी ने दलील पेश की कि प्राथमिकी में भारतीय दंड संहिता की धारा 376 (बलात्कार) का उल्लेख नहीं था और आरोपपत्र दाखिल किया जा चुका है। हालांकि, न्यायमूर्ति त्रिवेदी की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा कि आरोपी एक प्रभावशाली व्यक्ति हैं, और उन पर गंभीर आरोप हैं। अदालत ने स्पष्ट किया कि वह कर्नाटक हाईकोर्ट के आदेश को चुनौती देने का कोई कारण नहीं देखती, इसलिए याचिका पर विचार नहीं किया जा सकता।
छह माह बाद पुनः याचिका दायर करने की छूट की करी मांग
वरिष्ठ अधिवक्ता रोहतगी ने अदालत से आग्रह किया कि उन्हें छह महीने बाद पुनः याचिका दायर करने की अनुमति दी जाए, लेकिन पीठ ने इस पर कोई आदेश नहीं दिया। रोहतगी के साथ वकील बालाजी श्रीनिवासन ने तर्क दिया कि रेवन्ना एक पूर्व सांसद हैं और चुनाव हार चुके हैं, लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने इस आधार पर राहत देने से इनकार कर दिया।
पीड़िता की शिकायत पर हुई कार्रवाई
रेवन्ना पर आरोप है कि उन्होंने अपने घर में काम करने वाली महिला के साथ यौन उत्पीड़न किया और धमकी दी। उनके खिलाफ कई महिलाओं ने यौन उत्पीड़न के गंभीर आरोप लगाए हैं। शिकायत के आधार पर पुलिस ने उनके खिलाफ विभिन्न धाराओं में मामला दर्ज किया था। एसआईटी ने 2,144 पृष्ठों के आरोपपत्र में रेवन्ना को मुख्य आरोपी बताते हुए अदालत के समक्ष मामले को रखा है।
राजनीतिक वंश के है रेवन्ना मगर सत्ता का दबदबा अदालत में असफल
प्रज्वल रेवन्ना का नाम भारतीय राजनीति के प्रभावशाली गौड़ा परिवार से जुड़ा है। वह पूर्व प्रधानमंत्री एच डी देवेगौड़ा (Former Prime Minister HD Devegowda) के पोते और जद (एस) के संरक्षक एचडी कुमारस्वामी के भतीजे हैं। गौड़ा परिवार ने लंबे समय तक कर्नाटक की राजनीति में अपनी पकड़ बनाए रखी है। हालाँकि, न्यायपालिका ने इस प्रभावशाली राजनीतिक परिवार के सदस्य को राहत देने से इनकार कर दिया।
लोकसभा चुनावों के दौरान लीक हुआ वीडियो
रेवन्ना के खिलाफ यौन उत्पीड़न के आरोप तब सामने आए जब लोकसभा चुनावों के दौरान कुछ विवादित वीडियो वायरल हुए। इसके बाद कई महिलाओं ने उनके खिलाफ शिकायत दर्ज करवाई। एसआईटी ने इस मामले की गहन जांच करते हुए आरोपपत्र में उल्लेख किया कि पूर्व सांसद ने अपने पद का दुरुपयोग करते हुए महिलाओं को प्रताड़ित किया।
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पार्टी ने किया किनारा
रेवन्ना पर लगे इन गंभीर आरोपों के चलते जद (एस) के भीतर भी विवाद उत्पन्न हुआ है। पार्टी ने उन्हें निलंबित कर दिया है, और उनके राजनीतिक भविष्य पर सवाल खड़े हो गए हैं। कर्नाटक में आगामी चुनावों के दौरान इस मुद्दे का असर पार्टी की छवि पर भी पड़ सकता है।