Stock Market Crash: डोनाल्ड ट्रंप (Donald Trump) के अमेरिकी राष्ट्रपति बनने के बाद दुनियाभर के शेयर बाजारों में उतार-चढ़ाव की आशंका जताई जा रही थी और भारतीय शेयर बाजार में कुछ ऐसा ही देखने को मिला। सेंसेक्स और निफ्टी में करीब 1 फीसदी की गिरावट आई। हालांकि, ट्रंप ने राष्ट्रपति बनने के बाद अब तक चीन और अन्य देशों पर टैरिफ बढ़ाने जैसे किसी कड़े कदम की घोषणा नहीं की है, लेकिन यह संभावना अभी भी बनी हुई है, जो बाजार पर असर डाल रही है।
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कैसी रही भारतीय शेयर बाजार की शुरुआत ?
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भारतीय शेयर बाजार की शुरुआत सतर्क रही। सुबह दोनों प्रमुख सूचकांक लगभग सपाट कारोबार कर रहे थे। सुबह 9:18 बजे तक निफ्टी 50 0.25 फीसदी ऊपर था, जबकि बीएसई सेंसेक्स 0.09 फीसदी ऊपर था। प्री-ओपन सत्र में, एसएंडपी बीएसई सेंसेक्स इंडेक्स 188 अंक या 0.24 फीसदी बढ़कर 77,261 पर था, जबकि एनएसई निफ्टी 50 76 अंक या 0.33 फीसदी बढ़कर 23,421 पर था। हालांकि, करीब 10:30 बजे सेंसेक्स 812.40 अंक यानी 1.05 फीसदी की गिरावट के साथ 76,261.04 पर और निफ्टी 189.20 अंक यानी 0.81 फीसदी की गिरावट के साथ 23,155.55 पर ट्रेड कर रहा था।
विशेषज्ञों का कहना है कि ट्रंप 2.0 ने अपने संभावित आर्थिक फैसलों पर ज्यादा स्पष्टता नहीं दी है। कनाडा और मैक्सिको पर 25 प्रतिशत टैरिफ बढ़ाने के संकेत यह दर्शाते हैं कि टैरिफ वृद्धि नीति को धीरे-धीरे लागू किया जा सकता है। मुद्रा बाजार में डॉलर सूचकांक 108.43 की कटौती के साथ गिरा है, जबकि 10 वर्षीय बॉन्ड यील्ड घटकर 4.54 प्रतिशत हो गई है। इसे “अफवाहों पर खरीदें और समाचार पर बेचें” के सिद्धांत के रूप में देखा जा रहा है।
निफ्टी आईटी और निफ्टी फार्मा सबसे ज्यादा चढ़े
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विशेषज्ञों का मानना है कि यदि टैरिफ वृद्धि में और देरी होती है तो डॉलर कमजोर हो सकता है और बॉन्ड यील्ड में कमी आ सकती है, जो भारत जैसे उभरते बाजारों के लिए सकारात्मक हो सकता है। शुरुआती कारोबार में एनएसई पर 12 में से सात सेक्टरों में तेजी रही, जिसमें निफ्टी आईटी और निफ्टी फार्मा मंगलवार को सबसे ज्यादा चढ़े। वहीं, निफ्टी रियल्टी और पीएसयू बैंक में सबसे ज्यादा गिरावट आई।
एफआईआई और डीआईआई के बीच निवेश का अंतर
विदेशी संस्थागत निवेशकों (एफआईआई) ने 20 जनवरी को 4,336 करोड़ रुपये के इक्विटी बेचे, जबकि घरेलू संस्थागत निवेशकों (डीआईआई) ने उसी दिन 4,322 करोड़ रुपये के इक्विटी खरीदे। इस प्रकार, बाजार में एफआईआई और डीआईआई के बीच निवेश का अंतर भी देखा जा रहा है, जो आने वाले दिनों में बाजार की दिशा तय कर सकता है।