Shaktikanta Das News: भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) के पूर्व गवर्नर शक्तिकांत दास को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का प्रिंसिपल सेक्रेटरी नियुक्त किया गया है। 10 दिसंबर 2024 को शक्तिकांत दास ने आरबीआई गवर्नर के रूप में 6 साल का सफल कार्यकाल पूरा किया था और महज ढाई महीनों में उनकी पीएम मोदी के प्रमुख सचिव के रूप में नियुक्ति हो गई है। इस पद पर वे प्रधानमंत्री मोदी के प्रधानमंत्री पद पर बने रहने तक या अगले आदेश तक बने रहेंगे।
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नोटबंदी के समय महत्वपूर्ण भूमिका

बताते चले कि, प्रधानमंत्री मोदी ने 8 नवंबर 2016 को जब नोटबंदी का ऐलान किया था, तब शक्तिकांत दास वित्त मंत्रालय में आर्थिक मामलों के सचिव थे। नोटबंदी के दौरान उन्होंने नगदी की उपलब्धता सुनिश्चित करने में अहम भूमिका निभाई, जिससे सरकार के निर्णय को लागू करने में मदद मिली। इस दौरान, उन्होंने अपनी नेतृत्व क्षमता और प्रशासनिक कौशल से देशभर में उल्लेखनीय सफलता प्राप्त की।
आरबीआई गवर्नर के रूप में शक्तिकांत दास की भूमिका
शक्तिकांत दास को 2018 में पूर्व आरबीआई गवर्नर उर्जित पटेल के इस्तीफे के बाद तीन साल के लिए आरबीआई गवर्नर नियुक्त किया गया। उर्जित पटेल के कार्यकाल के दौरान, आरबीआई और मोदी सरकार के बीच रिश्तों में तनाव था। लेकिन दास ने सत्ता और केंद्रीय बैंक के बीच खाई को पाटने में महत्वपूर्ण कदम उठाए, जिससे वित्तीय बाजार का विश्वास जीता। उन्होंने 2020 में कोरोना महामारी के दौरान अर्थव्यवस्था को गति देने के लिए कई उपाय किए और विभिन्न सेक्टर्स के लिए नगदी की उपलब्धता सुनिश्चित की।
संकट के समय में पीएमओ में शक्तिकांत दास की भूमिका

शक्तिकांत दास के कार्यकाल को 2021 में 3 साल के लिए और बढ़ा दिया गया था। 2022 में, जब रूस और यूक्रेन के बीच युद्ध के कारण वैश्विक महंगाई में बढ़ोतरी हुई, तो दास ने ब्याज दरों में बढ़ोतरी की। फरवरी 2023 में उन्होंने रेपो रेट को 6.50 प्रतिशत तक बढ़ाया, जिससे महंगाई पर काबू पाने में मदद मिली। उनके कार्यकाल को वैश्विक स्तर पर सराहा गया, और उन्हें लगातार दो साल तक बेस्ट सेंट्रल बैंकर के अवॉर्ड से नवाजा गया।
पीएम मोदी ने शक्तिकांत दास के कार्यकाल की सराहना की
प्रधानमंत्री मोदी ने शक्तिकांत दास के कार्यकाल की सराहना की थी, लेकिन मौजूदा समय में वैश्विक अनिश्चितता और आर्थिक मंदी के बीच उनकी नई जिम्मेदारी महत्वपूर्ण होगी। शेयर बाजार से विदेशी निवेश का पलायन हो रहा है और घरेलू निवेश में कमी देखी जा रही है। ऐसे में, प्रधानमंत्री के प्रिंसिपल सेक्रेटरी के तौर पर शक्तिकांत दास की भूमिका अर्थव्यवस्था को स्थिर करने में निर्णायक साबित हो सकती है।