लोकसभा चुनाव: आने वाले लोकसभा चुनाव 2024 को लेकर सभी की नजरें बनी हुई हैं कि कौन कितना दांव मारेगा यह तो अभी तय नहीं किया जा सकता मगर चुनाव को लेकर जोरशोर की तैयारियां शुरू हो गई हैं। बता दे कि लोकसभा चुनाव 2024 के लिए अभी से सभी दलों ने तैयारी शुरू कर दी हैं और अपनी-अपनी रणनीति बनाने में जुट गए हैं। वहीं अगर देखा जाए तो लोकसभा चुनाव में उत्तर प्रदेश की राजनीति की सबसे बड़ी अहमियत होती है, क्योंकि यूपी में बाकी राज्यों के मुकाबले सबसे अधिक यानि की 80 सीटें हैं।
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अतुल राय का संसदीय कार्यकाल
वहीं अगर बात करें घोसी सीट को लेकर तो बहुजन समाज पार्टी के अतुल कुमार सिंह उर्फ अतुल राय सांसद रहे हैं। अतुल राय एक भारतीय राजनीतिज्ञ और उत्तर प्रदेश के घोसी निर्वाचन क्षेत्र से संसद सदस्य हैं। उन्होंने भारतीय जनता पार्टी के हरि नारायण राजभर को हराया । बताते चले कि निर्वाचित होने के छह महीने बाद अतुल राय ने जेल में रहते हुए 31 जनवरी 2020 को पैरोल पर लोकसभा सदस्य के रूप में सदस्यता ग्रहण की थी।
बताते चले कि अतुल राय का संसदीय कार्यकाल आधा से ज्यादा जेल में ही बीता। बसपा के टिकट पर 2019 लोकसभा चुनाव में जीत दर्ज करने के बाद से ही अतुल राय जेल में निरुद्ध है। वहीं अतुल कभी मुख्तार के खासमखास रहे हैं। अतुल राय के ऊपर वाराणसी समेत पूर्वांचल के अन्य जिलों के थानों में दो दर्जन से अधिक आपराधिक मुकदमे दर्ज हैं। मंडुवाडीह थाने के हिस्ट्रीशीटर में आज भी अतुल राय का नाम दर्ज है।
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2000 में आए माफिया के संपर्क में अतुल
आपको बता दे कि वर्ष 2000 में माफिया मुख्तार अंसारी के संपर्क में आकर अतुल राय ने डीएलडब्ल्यू में ठेका, मोबाइल टॉवर में तेल सप्लाई, पीडब्ल्यूडी के ठेके सहित जमीन के धंधे में खूब हाथ आजमाया और मुख्तार का सिर पर हाथ होने के चलते उसकी जरायम जगत में गहरी पैठ भी बन गई थी। बता दे कि बनारस से लेकर गाजीपुर तक किसे कौन सा काम करना है, यह अतुल राय तय करता था। कुछ टाइम के बाद अतुल राय राजनीति में उतर आया। 2017 में बसपा के टिकट पर जमानिया विधानसभा का चुनाव लड़ा और हार गया। फिर अतुल राय को दो साल बाद ही बसपा ने 2019 लोकसभा चुनाव में मऊ के घोसी सीट से उम्मीदवार बनाया और अतुल राय ने पहली बार में ही जीत दर्ज की।
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जानें घोसी सीट के अतुल राय को…
घोसी सीट के अतुल राय का जन्म 20 फरवरी 1982 को उत्तर प्रदेश के गाज़ीपुर जिले के बीरपुर गाँव में एक भूमिहार परिवार में हुआ था। उनके पिता, भरत सिंह राय, वाराणसी में डीजल लोकोमोटिव वर्क्स के कर्मचारी थे। अतुल ने अपनी प्रारंभिक शिक्षा केन्द्रीय विद्यालय, डीएलडब्ल्यू, वाराणसी से प्राप्त की। उन्होंने वाराणसी के हरिश्चंद्र स्नातकोत्तर महाविद्यालय से स्नातक की उपाधि प्राप्त की। ग्रेजुएशन के बाद उन्होंने अपना खुद का व्यवसाय शुरू किया। वहीं आज देखा जाए तो अतुल राय के पास युवाओं की फौज सबसे अधिक है।
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दुष्कर्म सहित अन्य आरोपों में अतुल पर मुकदमा दर्ज
लोकसभा चुनाव को लेकर जब अतुल राय ने नामांकन किया तभी बलिया की रहने वाली यूपी कॉलेज की पूर्व छात्रा ने अतुल राय पर चितईपुर स्थित फ्लैट पर ले जाकर दुष्कर्म का आरोप लगाया। जिसके बाद 1 मई 2019 को वाराणसी के लंका थाने में पीड़िता ने दुष्कर्म सहित अन्य आरोपों में मुकदमा दर्ज कराया। इसके बाद पुलिस को चकमा देकर अतुल राय ने डेढ़ माह बाद 22 जून को वाराणसी कोर्ट में सरेंडर कर दिया था। कुछ दिन चौकाघाट जिला जेल में रहने के बाद उसे प्रयागराज के नैनी सेंट्रल जेल ट्रांसफर कर दिया गया, तब से अब तक अतुल राय सेंट्रल जेल में ही बंद है।
जिसके बाद विशेष न्यायाधीश एमपी एमएलए सियाराम चौरसिया की कोर्ट ने दुष्कर्म के मामले में 6 अगस्त 2022 को बरी कर दिया। यूपी कॉलेज की पूर्व छात्रा की ओर से लगाए गए आरोपों पर कोर्ट ने 101 पेज के आदेश में कहा था कि पीड़िता ने जो साक्ष्य और सबूत दिए हैं और जो बात कहीं, वह विश्वसनीय नहीं है। विवेचना, परिस्थितियों और साक्ष्य के अभाव में संदेह का लाभ देते हुए सांसद अतुल को दोषमुक्त किया जाना न्यायसंगत है। हालांकि पीड़िता को आत्महत्या को उकसाने और अन्य मामले में अभी अतुल राय को कोर्ट से राहत नहीं मिली है।
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राय के पास हैं युवाओं की टीम
भले ही तीन साल से अतुल राय जेल में बंद है लेकिन उसके टीम में युवाओं की कमी नहीं हुई है। कहा जाता है कि बनारस में सबसे अधिक युवा अतुल राय के पास है, जो उसके एक इशारे पर कुछ भी कर गुजर सकते हैं। अतुल व उसके टीम में एसयूवी और लग्जरी गाड़ियों का रजिस्ट्रेशन नम्बर 7272 है। इससे ही अतुल राय के काफ़िले की पहचान होती है। वरुणा पार शिवपुर में अतुल राय के सबसे अधिक युवा है, जो उसका काम देखते हैं।
राजनीतिक करियर
- अतुल राय 2015 में बहुजन समाज पार्टी में शामिल हुए।
- 2017 में ज़मानिया (विधानसभा क्षेत्र) से उत्तर प्रदेश का विधानसभा चुनाव लड़े और 67,559 वोट हासिल किए। अपने पहले चुनाव में वह 9,264 वोटों से करीबी मुकाबले में हार गये।
- 2019 के आम लोक सभा चुनाव में अतुल राय ने घोसी से संसद का चुनाव लड़े और 122000+ वोटों के अंतर से चुनाव जीता।
बीजेपी इस सीट से सुभासपा के नेता व सीएम योगी आदित्यनाथ सरकार में कैबिनेट मंत्री ओमप्रकाश राजभर को चुनाव लड़ाना चाहती थी, लेकिन उन्होंने इंकार कर दिया था इसके बाद बीजेपी ने अपने वर्तमान सांसद हरिनारायण राजभर को टिकट दिया था। इस चुनाव में अखिलेश यादव व मायावती की पार्टी मिल कर लडी थी। इस सीट पर अखिलेश यादव व मायावती ने 15 मई को मिल कर चुनाव प्रचार किया था और बसपा नेता अतुल राय के लिए वोट मांगा था।
अतुल राय के नामांकन करने के बाद से ही वह रेप के आरोप में फंस गये थे। बनारस के लंका थाना में उनके खिलाफ मुकदमा दर्ज हुआ था। चुनाव प्रचार के दौरान वह गायब रहे थे। पुलिस भी उन्हें पकड़ नहीं पायी थी। अतुल राय सार्वजनिक रुप से चुनाव प्रचार नहीं कर पाये थे इसके बाद भी एक लाख से अधिक वोट से चुनाव जीता था। चुनाव के दौरान वह अग्रिम जमानत पाने के लिए सुप्रीम कोर्ट तक गये थे लेकिन कोर्ट से राहत नहीं मिल पायी थी। चुनाव परिणाम आने के बाद अतुल राय ने बनारस के न्यायालय परिसर में सरेंडर कर दिया था। इसके बाद से वह जेल में है और अब जाकर शपथ लेन का मौका मिल पाया।
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अतुल राय की बाहुबली छवि
अतुल राय की छवि बाहुबली नेता वाली है लेकिन उनके साथ रहने वालों का दावा रहता है कि वह मिलनसार है और विरोधियों ने साजिश के तहत यह छवि बनायी है। रेप का आरोप को भी उन्होंने साजिश बताया था। फिलहाल अतुल राय का मामला अभी कोर्ट में विचाराधीन है लेकिन संसद भवन में शपथ लेकर उन्होंने अपना बड़ा सपना पूरा किया है।
निष्कर्ष: वहीं अब देखना यह हैं कि 2024 में होने वाली लोकसभा पर इस बार कौन बाजी मारेगा, वैसा देखा जाएं तो यूपी में बीजेपी का परचम लहर रहा हैं, मगर बात करें अगर घोसी की तो वहां पर अतुल राय की बाहुबली नेता वाली छवि अभी भी कायम है ऐसे में अब देखना होगा कि घोसी में इस बार किसकी सत्ता आएगी।