Ram Mandir News :अयोध्या में करोड़ो हिंदुओं की आस्था का केंद्र रहे भगवान राम का भव्य मंदिर बनकर तैयार हो रहा है.रामलला की प्राण प्रतिष्ठा का समारोह 22 जनवरी को होना है जिसकी तैयारियां अंतिम चरण में चल रही हैं लेकिन इस बीच ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने रामलला के प्राण प्रतिष्ठा समारोह को लेकर कड़ी टिप्पणी की है.बोर्ड के अध्यक्ष खालिद सैफुल्ला रहमानी ने 22 जनवरी को राम मंदिर में रामलला की प्राण प्रतिष्ठा समारोह में पीएम मोदी के शामिल होने पर सवाल खड़ा किया है.उनका कहना है कि,सेकुलरिज्म और इंसाफ का कत्ल है।
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मौलाना रहमानी ने सुप्रीमकोर्ट के फैसले पर उठाया सवाल
अपना एक बयान जारी करते हुए मौलाना रहमानी ने सुप्रीमकोर्ट के फैसले पर भी सवाल खड़ा किया.उन्होंने कहा,अयोध्या में जो हो रहा है वो सरासर क्रूरता है उस स्थान के नीचे कोई मंदिर नहीं था जिसे तोड़कर मस्जिद बनाई गई थी.रामचंद्र जी का जन्म वहां हुआ था इसके कोई सबूत भी नहीं हैं कोर्ट ने आस्था के आधार पर कानून से हटकर बहुसंख्यक संप्रदाय के एक वर्ग के हक में फैसला सुनाया लेकिन इसका उल्लेख हिंदू पवित्र ग्रंथों में नहीं है।
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“मुस्लिमों की कार्यक्रम में हिस्सेदारी लेना गैर-इस्लामी”
बोर्ड की ओर से जारी एक लेटर में लिखा है कि,निश्चित रुप से देश के लोकतंत्र पर ये एक बड़ा हमला है.इस फैसले ने मुसलमानों के दिलों को ठेस पहुंचाई है.राम मंदिर का उद्धाटन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के हाथों कराना राजनीतिक उद्देश्य है.सुप्रीमकोर्ट के फैसले के आधार पर एक मस्जिद की जगह पर राम मंदिर का निर्माण हो रहा है.यहां सैकड़ों वर्ष से मुसलमान नमाज पढ़ रहे थे.वहीं मौलाना ने प्राण प्रतिष्ठा वाले दिन पीएम मोदी की देशभर में दीप जलाने वाली अपील पर अपनी प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि,हिंदू क्या करते हैं उससे हमें कोई आपत्ति नहीं लेकिन मुस्लिमों के लिए इस तरह के कार्यक्रम में भाग लेना गैर इस्लामी है।
मौलाना रहमानी ने कहा कि,हिंदू भाई अगर मंदिर निर्माण की खुशी में दीप जलाते हैं या नारा लगाते हैं तो हमें इस पर आपत्ति नहीं है लेकिन मुस्लिमों के लिए इस तरह के कार्यक्रमों में भाग लेना गैर-इस्लामी है.22 जनवरी को दीप जलाना चाहिए और श्रीराम का नारा लगाया जाना चाहिए.देश के मुसलमान को ये समझ लेना चाहिए कि,ये मुशरिकाना अमल है।
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“देश के अधिकतर मुसलमान राम मंदिर के पक्ष में”
वहीं आपको बता दें कि,मुस्लिम बोर्ड के अध्यक्ष तो एक तरफ राम मंदिर के विरोध में मुस्लिमों को भड़काने जैसी बाते कर रहे हैं लेकिन इसके विपरीत राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से जुड़ी मुस्लिम राष्ट्रीय मंच ने दावा किया है कि,देश के ज्यादातर मुसलमान राम मंदिर के पक्ष में है और उनका मानना है कि भगवान राम “सभी” के हैं. गुजरात के एक चैरिटेबल ट्रस्ट के सहयोग से किए गए एक सर्वे के आधार पर मुस्लिम मंच ने यह भी दावा किया कि अल्पसंख्यक समुदाय के सदस्य चाहते थे कि राजनीतिक लाभ उठाने की कोशिश कर रहे तथाकथित उलेमा, मौलाना और विपक्षी नेताओं का ‘बॉयकॉट’ किया जाए।