Siyaram Baba Passed Away: मध्य प्रदेश के निमाड़ क्षेत्र में स्थित प्रसिद्ध संत सियाराम बाबा का बुधवार सुबह निधन हो गया। संत सियाराम बाबा ने 116 साल की उम्र में खरगोन जिले के भट्टियान स्थित अपने आश्रम पर अंतिम सांस ली। उनकी लंबी उम्र, योग साधना और नर्मदा किनारे तपस्या करने के कारण वे जनमानस में अत्यधिक प्रसिद्ध थे। संत सियाराम बाबा का निधन उनके भक्तों के लिए गहरा सदमा है, क्योंकि वे लंबे समय से अपनी बीमारी के बावजूद कई भक्तों के लिए आस्था और प्रेरणा का स्रोत बने हुए थे।
संत सियाराम बाबा का स्वास्थ्य और उपचार
संत सियाराम बाबा लंबे समय से बीमार चल रहे थे। आश्रम में उनका इलाज जारी था, और उनके स्वास्थ्य को लेकर उनके भक्त लगातार प्रार्थनाएं कर रहे थे। इंदौर सहित विभिन्न शहरों के डॉक्टरों की टीम भी उनकी सेहत पर नजर रखे हुए थी। उनके स्वास्थ्य में कोई खास सुधार नहीं हो सका, और अंततः बुधवार को उनका निधन हो गया। आश्रम पर ही उनका उपचार चल रहा था, जहां संत सियाराम बाबा की तबियत को लेकर उनके भक्तों में चिंता बनी हुई थी।
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भट्टियान आश्रम और संत सियाराम बाबा का जीवन
संत सियाराम बाबा का आश्रम खरगोन जिले के भट्टियान में स्थित है, जो नर्मदा नदी के किनारे स्थित है। यह स्थान संत सियाराम बाबा के जीवन का केंद्र बिंदु था, जहां उन्होंने कई वर्षों तक तपस्या की। उनकी योग साधना और अनगिनत चमत्कारों के कारण वे क्षेत्रीय लोगों और भक्तों के बीच अत्यधिक सम्मानित थे। सियाराम बाबा की साधना के बारे में कहा जाता है कि वे प्रतिदिन कई घंटे तक रामायण की चौपाई का पाठ करते थे, और उनकी उम्र के इस पड़ाव में भी उनका साधना का क्रम नहीं टूटा।
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चमत्कारों के लिए प्रसिद्ध संत सियाराम बाबा
संत सियाराम बाबा को उनके चमत्कारों के लिए भी जाना जाता था। उनके आश्रम में आने वाले भक्तों को वे खुद अपने हाथों से चाय पिलाते थे। एक दिलचस्प बात यह थी कि संत सियाराम बाबा की चाय की केतली में कभी चाय खत्म नहीं होती थी। यह उनके चमत्कारी प्रभाव को दर्शाता था, और लोग इसे एक अद्भुत और दिव्य अनुभव मानते थे। उनकी यह विशेषता उनके भक्तों के बीच एक अनोखी पहचान बन गई थी।
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संत सियाराम बाबा की दिव्यता और श्रद्धा
संत सियाराम बाबा की श्रद्धा और समर्पण से उनके भक्तों के बीच एक गहरी आस्था बनी रही। वे अपने साधना और साध्वी जीवन के द्वारा लोगों को धार्मिक, मानसिक और आध्यात्मिक रूप से मार्गदर्शन देते थे। उनकी 116 साल की लंबी उम्र और साधना का अभ्यास, उनके जीवन के प्रति उनकी अडिग निष्ठा का प्रतीक बन चुका था। उनके निधन के बाद, भक्तों के लिए यह एक अपूरणीय क्षति है, लेकिन उनका जीवन हमेशा प्रेरणा का स्रोत रहेगा।