NCERT Books: NCERT ने 12वीं कक्षा की राजनीति विज्ञान की किताब में कुछ बदलाव किए हैं, जिसमें एक महत्वपूर्ण बदलाव बाबरी मस्जिद का नाम हटाकर उसे “तीन गुंबद वाला ढांचा” कहना शामिल है। इसके साथ ही,अयोध्या वाले चैप्टर को किताब में छोटा कर 4 पेज से 2 पेज में कर दिया गया है।
वहीं बताया जा रहा है कि,ये बदलाव शिक्षा में सुधार और समसामयिक घटनाओं को ध्यान में रखते हुए किए गए हैं, हालांकि ये विवादास्पद भी हो सकते हैं। इन बदलाव का उद्देश्य नई पीढ़ी को ऐतिहासिक घटनाओं के बारे में एक नया दृष्टिकोण प्रदान करना हो सकता है।
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जोड़े गए ये नए टाॅपिक
आपको बता दें कि,ये सच है कि हाल के वर्षों में भारत में एनसीईआरटी की पाठ्यपुस्तकों से कई संवेदनशील विषयों को हटाया गया है। इनमें बाबरी मस्जिद, हिंदुत्व की राजनीति, 2002 के गुजरात दंगे और अल्पसंख्यकों से जुड़े मुद्दे शामिल हैं। अयोध्या वाले चैप्टर से संबंधित जो महत्वपूर्ण घटनाएँ हटा दी गई हैं, उनमें बीजेपी की सोमनाथ से अयोध्या तक की रथ यात्रा, कार सेवकों की भूमिका, बाबरी मस्जिद ढहाने के बाद हुई हिंसा और राष्ट्रपति शासन के साथ ही बीजेपी की खेद वाली बातें शामिल हैं।
इस प्रकार के बदलाव अक्सर विवादों और बहस का विषय बनते हैं, क्योंकि वे छात्रों के लिए इतिहास की महत्वपूर्ण घटनाओं और उनके प्रभावों के बारे में जानकारी प्राप्त करने की प्रक्रिया को प्रभावित कर सकते हैं। इसके साथ ही हाल के सालों में किताबों में कई संवेदनशील टॉपिक्स को हटाया गया है।
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नई किताब में किया लिखा
NCERT की नई किताब में बताया गया है कि,1986 में फैजाबाद जिला कोर्ट ने तीन गुंबद वाले ढांचे (बाबरी मस्जिद) को खोलने का आदेश दे दिया और लोगों को पूजा करने की इजाजत मिल गई। किताब में लिखा है कि ऐसा माना जाता था कि इस तीन गुंबद वाले ढांचे को भगवान राम के जन्मस्थान पर बनाया गया है। इसके बाद राम मंदिर का शिलान्यास कर दिया गया लेकिन आगे मंदिर के निर्माण पर रोक लगा दी गई।ऐसे में हिंदू समुदाय को लगा कि उसकी आस्था के साथ खिलवाड़ किया जा रहा है और मुस्लिम समुदाय को ढांचे पर अधिकार बनाए रखने का अधिकार मिल रहा है।
इसके बाद स्वामित्व अधिकारों को लेकर दोनों समुदायों के बीच तनाव बढ़ गया, जिसके परिणामस्वरूप कई विवाद और कानूनी संघर्ष हुए। दोनों समुदाय लंबे समय से चले आ रहे मुद्दे का निष्पक्ष समाधान चाहते हैं वहीं 1992 में ढांचा गिरने के बाद बहुत सारे आलोचकों ने कहा कि यह लोकतंत्र के सिद्धांतों के लिए बड़ी चुनौती साबित होगा।
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सुप्रीम कोर्ट के फैसले का जिक्र
इतना ही नहीं नई किताब में अयोध्या विवाद को लेकर सुप्रीम कोर्ट के फैसले को शामिल किया गया है। जिसमें बताया गया कि 9 नवंबर 2019 को सुप्रीम कोर्ट की संवैधानिक बेंच ने फैसला सुनाया कि यह जमीन मंदिर की है। इसके साथ ही पुरानी किताब में कुछ न्यूज पेपर कटिंग की तस्वीरें लगाई गई थीं जिनमें बाबरी ढहाने के बाद कल्याण सिंह सरकार को हटाने का आदेश शामिल था। लेकिन अब नई किताब में इसे हटा दिया गया है।
इसके साथ ही लोकतांत्रिक अधिकार नाम के 5वें चैप्टर में गुजरात दंगों का जिक्र हटाया गया है।2014 के बाद से चौथी बार एनसीईआरटी की किताब में बदलाव किया गया है।अप्रैल में एनसीईआरटी ने कहा था कि राजनीति में हालिया डेवलपमेंट के आधार पर चैप्टर में परिवर्तन किया जाता है और नई चीजों को शामिल किया जाता है।