Manmohan Singh Death News:भारत के पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह का 92 वर्ष की आयु में निधन हो गया। उन्होंने 26 दिसंबर 2024 को दिल्ली के अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (AIIMS) में अपनी आखिरी सांस ली। मनमोहन सिंह, जिन्होंने देश की राजनीति में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई, 2004 से 2014 तक भारत के प्रधानमंत्री रहे। उनके निधन से देश ने एक प्रतिष्ठित नेता को खो दिया है, जो अपनी शांति और ज्ञान के लिए प्रसिद्ध थे।
शोक की अवधि का एलान

भारत में प्रधानमंत्री, विशेष रूप से पूर्व प्रधानमंत्री के निधन पर एक निर्धारित प्रक्रिया का पालन किया जाता है। यह प्रक्रिया राष्ट्रीय शोक और सम्मान का प्रतीक होती है, जिसके तहत सरकार शोक की अवधि का एलान करती है, राष्ट्रीय ध्वज को आधा झुका दिया जाता है और राजकीय सम्मान के साथ अंतिम संस्कार किया जाता है।
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राष्ट्रीय शोक की अवधि और घोषणा
भारत में जब किसी पूर्व प्रधानमंत्री का निधन होता है, तो सामान्यतः सात दिन का राष्ट्रीय शोक घोषित किया जाता है। यह शोक देश की ओर से उस नेता को सम्मान देने का एक तरीका होता है, जिन्होंने अपने कार्यकाल में देश की सेवा की। जैसे कि पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी और मनमोहन सिंह के निधन के बाद सात दिन का शोक घोषित किया गया था।

राष्ट्रीय शोक की अवधि के दौरान सरकारी समारोह, उत्सव या कार्यक्रम रद्द कर दिए जाते हैं। इसके अतिरिक्त, सरकारी दफ्तरों, स्कूलों और अन्य सार्वजनिक संस्थानों में छुट्टी का एलान भी किया जा सकता है। साथ ही, देश के भीतर और बाहर स्थित भारतीय दूतावासों में भी राष्ट्रीय ध्वज आधा झुका रहता है।
राष्ट्रीय ध्वज का आधा झुकना

भारत के फ्लैग कोड के अनुसार, गणमान्य व्यक्तियों की मृत्यु के बाद राष्ट्रीय ध्वज को आधा झुका दिया जाता है। यह परंपरा केवल प्रधानमंत्री या राष्ट्रपति की मृत्यु पर लागू होती है। ध्वज आधा झुका होने का उद्देश्य शोक की स्थिति और सम्मान व्यक्त करना होता है। जैसे, अटल बिहारी वाजपेयी के निधन के बाद 22 अगस्त तक देश और विदेश में स्थित भारतीय दूतावासों पर राष्ट्रीय ध्वज आधा झुका रखा गया था।
राजकीय सम्मान और अंतिम संस्कार

भारत में किसी पूर्व प्रधानमंत्री का अंतिम संस्कार राजकीय सम्मान के साथ किया जाता है। इसमें तिरंगे में लपेटकर शव को अंतिम यात्रा पर ले जाया जाता है। साथ ही, इस दौरान बंदूकों की सलामी भी दी जाती है, जो एक प्रकार से सम्मान का प्रतीक होता है।राजकीय सम्मान में यह भी शामिल होता है कि शव को ताबूत में रखकर सम्मानपूर्वक अंतिम संस्कार स्थल तक पहुँचाया जाता है। साथ ही, जिस स्थान पर अंतिम संस्कार किया जाता है, वहाँ पर सरकारी अधिकारियों और अन्य प्रमुख व्यक्तियों की उपस्थिति होती है।
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सार्वजनिक छुट्टी और शोक की अवधि

राष्ट्रीय शोक के दौरान सरकारी दफ्तरों में छुट्टी की घोषणा की जा सकती है, खासकर उन स्थानों पर जहां शोक व्यक्त किया जा रहा होता है। इसी तरह के शोक की स्थिति में विशेष सरकारी आयोजन या समारोह रद्द कर दिए जाते हैं। केंद्रीय सरकार और राज्य सरकारें मिलकर यह निर्णय लेती हैं कि शोक की अवधि कितनी होगी और किस तरह के कार्यक्रम रद्द किए जाएंगे।
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राज्य और केंद्र सरकारों का अधिकार
पहले यह घोषणा केवल केंद्र सरकार के निर्देश पर की जाती थी, लेकिन हाल के बदलावों के बाद राज्य सरकारों को भी यह अधिकार मिल गया है कि वे तय करें कि किसे राजकीय सम्मान दिया जाए और किसे नहीं। इससे यह सुनिश्चित होता है कि हर राज्य अपने प्रमुख व्यक्तित्वों के लिए सम्मानजनक प्रक्रिया अपना सके।
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अन्य प्रमुख हस्तियों के लिए राजकीय सम्मान
प्रधानमंत्रियों और राष्ट्रपति के अलावा, भारत में अन्य प्रमुख हस्तियों को भी राजकीय सम्मान दिया जाता है। इनमें विभिन्न राज्य के मुख्यमंत्री, वरिष्ठ नेता, और प्रमुख सांस्कृतिक और सामाजिक हस्तियाँ शामिल हैं। उदाहरण के तौर पर, पश्चिम बंगाल के मुख्यमंत्री ज्योति बसु, तमिलनाडु की मुख्यमंत्री जयललिता और अभिनेता एम. करुणानिधि को भी राजकीय सम्मान दिया गया था।
इस तरह, राजकीय शोक का उद्देश्य न केवल मृतक व्यक्ति के योगदान को सम्मानित करना होता है, बल्कि यह समग्र रूप से समाज और देश को एकजुट करने का भी एक माध्यम होता है।