Mahakumbh 2025: सेंट्रल पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड (CPCB) द्वारा प्रयागराज महाकुंभ के दौरान तटों से लिए गए पानी के सैंपलों की रिपोर्ट नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (NGT) को सौंपी गई, जिसमें पानी को नहाने योग्य नहीं पाया गया। 9 से 21 जनवरी के बीच 73 अलग-अलग स्थानों से लिए गए पानी के सैंपल्स में से कोई भी पानी स्नान योग्य नहीं था। इस रिपोर्ट ने सभी को चौंका दिया, खासकर तब जब विपक्षी पार्टियां सरकार की लापरवाही पर सवाल उठा रही हैं।
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शंकराचार्य अविमुक्तेश्वरानंद ने सरकार को ठहराया जिम्मेदार

आपको बता दे कि, इस मामले में अब शंकराचार्य अविमुक्तेश्वरानंद ने सीधे-सीधे सरकार को दोषी ठहराया है। उन्होंने कहा कि उन्होंने पहले ही इस मुद्दे को उठाया था, लेकिन सरकार और प्रशासन ने इसे नजरअंदाज किया। शंकराचार्य ने बताया कि एनजीटी ने महाकुंभ के शुरू होने से पहले ही गंगा और यमुना की धाराओं को स्नान योग्य नहीं बताया था और आदेश दिए थे कि गंगा और यमुना में मल-जल के नालों को दूर किया जाए ताकि लोगों को शुद्ध जल मिल सके। लेकिन प्रशासन ने कोई कदम नहीं उठाया।
एनजीटी के आदेश की अनदेखी, शंकराचार्य ने उठाया सवाल

इसी कड़ी में आगे शंकराचार्य ने कहा कि जब एनजीटी ने पहले ही आदेश दिया था, तब उन्होंने महाकुंभ अधिकारियों से आग्रह किया था कि वे रोज पानी के सैंपल लें और रिपोर्ट सार्वजनिक करें। लेकिन अधिकारियों ने इस दिशा में कोई कदम नहीं उठाया। उन्होंने यह भी कहा कि इस दौरान कई वीडियो सामने आए हैं, जिनमें लोग खुले तौर पर पानी में मल दिखा रहे हैं, जो इस स्थिति की गंभीरता को स्पष्ट करता है।
सरकार ने सफाई के मामले में नहीं किया कोई ठोस कदम
अविमुक्तेश्वरानंद ने बताया कि सरकार ने पिछले अर्धकुंभ में यह दावा किया था कि वे गंगा में नालों को नहीं गिरने देंगे, लेकिन इस बार भी यह स्थिति ठीक नहीं रही। उन्होंने कहा कि गंगा के भौतिक स्वरूप में गंदगी और मल का होना सरकार की जिम्मेदारी है, क्योंकि यह सबसे पहली प्राथमिकता होनी चाहिए थी।
गंगा की पवित्रता से खिलवाड़, जनता के स्वास्थ्य के साथ समझौता

शंकराचार्य ने कहा कि यह मामला करोड़ों लोगों की आस्था और स्वास्थ्य से जुड़ा हुआ है। सरकार ने इस मामले में गंभीरता नहीं दिखाई और इस कारण लाखों श्रद्धालुओं को गंदे जल में स्नान करने के लिए मजबूर किया गया। उन्होंने कहा कि VIP कल्चर के चलते सरकार ने वीआईपी को भी गंदे जल में स्नान कराया, जबकि उन्हें इस बात की पूरी जानकारी थी कि यह जल स्नान योग्य नहीं था।
अविमुक्तेश्वरानंद ने चेतावनी दी कि सरकार को इस मामले में गंभीर कदम उठाने होंगे और अगर ऐसा नहीं हुआ, तो यह एक और संकट का रूप ले सकता है, जिससे न केवल जनता की आस्था को ठेस पहुंचेगी बल्कि उनके स्वास्थ्य के लिए भी यह खतरनाक साबित होगा।
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