Lucknow: लखनऊ के बलरामपुर अस्पताल में गुरुवार को डेंगू से पीड़ित 12 वर्षीय बच्चे की मौत ने चिकित्सा व्यवस्था पर सवाल खड़े कर दिए हैं। आरोप है कि वार्ड की आया द्वारा लगाए गए इंजेक्शन के बाद बच्चे की तबीयत बिगड़ गई, आनन-फानन में बच्चे को उसे आईसीयू में शिफ्ट किया गया, जहां इलाज के दौरान उसकी मौत हो गई। घटना के बाद परिजनों ने अस्पताल में जमकर हंगामा किया।
वार्ड आया ने लगाया इंजेक्शन, 5 मिनट में बिगड़ी हालत
मड़ियांव के प्रीतिनगर निवासी इश्तियाक के बेटे जैद को एक हफ्ते से बुखार था। मंगलवार को उसकी हालत बिगड़ने पर उसे बलरामपुर अस्पताल में भर्ती कराया गया। डॉक्टरों ने डेंगू की पुष्टि की और उसे बाल रोग विभाग में भर्ती कर लिया। गुरुवार सुबह करीब 11 बजे, जैद को वार्ड आया ने इंजेक्शन लगाया। इसके बाद बच्चे की हालत तेजी से बिगड़ने लगी।
इश्तियाक का आरोप है कि इंजेक्शन लगाने के बाद जैद ने खुद को असहज महसूस किया और नर्स को जानकारी दी गई। परिजनों के अनुसार, वार्ड आया ने इसे गंभीरता से नहीं लिया और कहा कि बच्चा “नौटंकी कर रहा है।” हालांकि, कुछ ही मिनटों में जैद की हालत इतनी खराब हो गई कि उसे आईसीयू में वेंटिलेटर पर ले जाना पड़ा। लेकिन तीन घंटे के इलाज के बाद उसकी मौत हो गई।
परिजनों ने लगाया लापरवाही का आरोप
बच्चे की मौत के बाद उसके परिजन भड़क गए और अस्पताल परिसर में हंगामा किया। उनका आरोप है कि इंजेक्शन लगाने के दौरान नर्स और अन्य जिम्मेदार मेडिकल स्टाफ ने लापरवाही की। बच्चे के पिता ने कहा, “हमने अस्पताल पर भरोसा किया था, लेकिन हमारी आंखों के सामने हमारे बेटे की जान चली गई। यह लापरवाही का सबसे बड़ा उदाहरण है।”
अस्पताल प्रशासन ने की कार्रवाई, जांच के दिए आदेश
घटना की गंभीरता को देखते हुए बलरामपुर अस्पताल के निदेशक डॉ. पवन कुमार अरुण ने तुरंत कार्रवाई की। वार्ड आया, जो संविदा पर काम कर रही थी, को तत्काल प्रभाव से बर्खास्त कर दिया गया। वहीं, ड्यूटी पर तैनात स्टाफ नर्स समेत तीन अन्य कर्मचारियों को निलंबित कर दिया गया है। अस्पताल प्रशासन ने पूरे मामले की जांच के लिए एक समिति का गठन किया है।
डॉ. पवन कुमार अरुण ने कहा, “मामले की गहन जांच के लिए कमेटी बनाई गई है। जांच रिपोर्ट के आधार पर आगे की कार्रवाई की जाएगी। अस्पताल मरीजों की सुरक्षा के प्रति प्रतिबद्ध है और किसी भी प्रकार की लापरवाही को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।”
घटना ने चिकित्सा व्यवस्था पर खड़े किए सवाल
इस घटना ने अस्पतालों में बच्चों के इलाज के दौरान लापरवाही और चिकित्सा मानकों की अनदेखी को उजागर किया है। जैद की मौत ने ना सिर्फ उसके परिवार को सदमे में डाला, बल्कि समाज में चिकित्सा सेवाओं के प्रति अविश्वास को भी बढ़ाया है।
पुलिस ने दिलाया न्याय का भरोसा
मामले की सूचना मिलते ही वजीरगंज कोतवाली पुलिस मौके पर पहुंची और परिजनों को शांत कराया। पुलिस ने परिजनों को न्याय का भरोसा दिलाया और कहा कि मामले की जांच के बाद दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी।
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इलाज के दौरान संवेदनशीलता क्यों नहीं?
अस्पताल में मरीजों की जान के साथ खिलवाड़ का यह मामला गंभीर चिंता का विषय है। सवाल उठता है कि वार्ड आया को बिना किसी सुपरविजन के इंजेक्शन लगाने की अनुमति क्यों दी गई? क्या मरीजों की जान की जिम्मेदारी केवल डॉक्टरों की निगरानी तक सीमित रहनी चाहिए? इस दर्दनाक घटना ने स्वास्थ्य विभाग और प्रशासन पर सवालिया निशान लगा दिया है। क्या अस्पतालों में प्रशिक्षित स्टाफ की कमी से ऐसी घटनाएं बढ़ रही हैं? जैद जैसे मासूम बच्चों की मौत कब तक लापरवाही का शिकार बनेगी? अस्पतालों में मरीजों की देखभाल को लेकर ठोस कदम उठाने की जरूरत है। परिजनों की मांग है कि दोषियों को कड़ी सजा दी जाए और भविष्य में ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए सख्त नियम लागू किए जाएं।