गाज़ीपुर संवाददाता : Madhur Shukla
गाज़ीपुर : फतेहपुर ग्रामीण इलाकों में भू-माफिया और दबंगों के हौसले इस कदर बुलंद हैं कि वे श्मशान की भूमि को भी नहीं बख्श रहे। सरकारी अभिलेखों के अनुसार ग़ाज़ीपुर कस्बे में दर्ज शमशान भूमि पर अवैध रूप से कब्जा करने वाले एक समुदाय के लोगो ने वहाँ पर पक्के मकान बना लिए है। साथ मे बड़ी मात्रा में मवेशियों का भी पालन कर रहे हैं।फिलहाल शमशान भूमि मात्र सरकारी अभिलेखों में ही सिमट कर रह गई है। इतना ही नहीं, हड्डी खाल का काम करने वाले तो यहां कचरा भी डाल रहे हैं।फिलहाल गाज़ीपुर ग्राम सभा मे मृतको के दाह संस्कार के लिए कोई भी भूमि नही है।
13 बीघा भूमि बतौर श्मशान दर्ज
बहुआ ब्लाक के गाजीपुर कस्बे में सेमौर मार्ग स्थित श्मशान भूमि पर दबंगों की नजर बहुत पहले से थी। सरकारी दस्तावेजों में दर्ज गाटा संख्या 1891,92,93,94,95,96,97,98,99 के अभिलेखों में करीब तेरह(13) बीघा भूमि बतौर श्मशान दर्ज है।आप को बताते चले कि इस श्रेणी की सरकारी भूमि किसी भी सूरत में बिक्री और पट्टे के लिए पूर्णतः प्रतिबंधित होती है। पर पूर्व में करीब 22 वर्ष पहले सन (2000) में मौजूदा ग्राम प्रधान ने प्रशासनिक मिलीभगत से कस्बे के एक समुदाय के लोगो के नाम इसका फर्जी पट्टा किया गया था।
जिसकी शिकायत हुई तो अधिकारियों ने आज से करीब 15 वर्ष पहले इस पट्टे को खारिज भी कर दिया था। लेकिन आज तक इस जमीन को दबंगों के कब्जे से मुक्त नहीं कराया गया। नतीजा उपरोक्त द्वारा इस भूमि को अपने निजी कार्यो और मवेशी पालन के लिए इस्तेमाल कर मुनाफा कमाया जा रहा है। तो वहीं हड्डी खाल के कारोबारी भी अब दबंगो से सांठगांठ कर यहां अनुपयोगी हड्डी- खाल डालते हैं।
Read more : कुशीनगर में शादी की जिद एक महिला पर पड़ी भारी
अवैध कब्जा घारियो के खिलाफ मामला दर्ज
भूमि की घेराबंदी कर दबंगो द्वारा बाकायदा उस जगह का नाम भी रख दिया गया है।साथ ही साथ अवैध रूप से पक्के मकान भी बना लिए गए है। भूमि पर लगा सरकारी हैंडपंप भी दबंगों ने इसी शमशान की जगह में लगवा रखा है। गांव की नई पीढ़ी को भी यह जानकारी नहीं कि कस्बे के सेमौर मार्ग में आज जहां घनी बस्ती बसी है। वह वास्तव में सरकारी अभिलेखों में दर्ज शमशान भूमि है।जानकारी के अनुसार दो वर्ष पूर्व ग्रामीणों के शिकायत पर मौजूदा तहसीलदार द्वारा अवैध कब्जा घारियो के खिलाफ मामला दर्ज कराया गया था।लेकिन शासन व प्रशासन के ढुलमुल रवैया के कारण आज तक दबंगों से शमशान की भूमि खाली नही कराई जा सकी है।फिलहाल शमशान भूमि न होने के कारण ग्रामीणों को अंतिम संस्कार करने में परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है।
बताते चले कि जिले में राजस्व परिषद की ओर से जारी आदेश में अधीनस्थों को साफ चेतावनी दी गयी है कि यदि ग्राम पंचायत की भूमि पर अतिक्रमण की सूचना ग्राम पंचायत के सदस्य सचिव (लेखपाल) की ओर से समय पर नहीं दी जाती है और अतिक्रमण हटाने के लिए प्रभावी कार्रवाई नहीं की जाती है तो यह उसके कर्तव्य पालन में शिथिलता मानी जाएगी और इसके लिए उसके खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई की जाएगी।
सरकारी अभिलेखों में दर्ज शमशान की भूमि
गाटा संख्या,1891मरघट चमार 0.3306/1892 मरघट पासी,0.3230/1893 मरघट जमादार,0.2140/1894 मरघट तेली,0.1700/1895 मरघट धोबी,0.1820/1896 मरघट पटवा,0.1620/1897 मरघट कहार,01580/1898 मरघट हिन्दू दर्जी,0.620/1899 मरघट हिन्दू चिकवा,0.2274 बतौर शमशान भूमि के नाम दर्ज है।बीते 5 सितम्बर को राजस्व टीम ने मौके पर पहुंच कर मरघट की सुरक्षित ज़मीन की पैमाइश की और अतिक्रमण कारियो को तीन दिन का अल्टीमेटम के साथ राजस्व न्यायालय द्वारा जारी बेदखली की सूचना देते हुए ज़मीन से कब्ज़ा हटा लेने की ताकीद की थी।
अन्यथा की स्थिति में कहा था कि तीन दिन बाद बुलडोज़र से अतिक्रमण करके बनाये गए अवैध मकान ढहा दिए जायेंगे। सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार अवैध तीन दर्जन कब्ज़ाधारियों से ग्राम प्रधान और हल्का लेखपाल ने कब्ज़ा बचाने और कार्यवाही रोकने के लिए भारी वसूली कर ली है ।
जिसके चलते पूरी क़वायद को ठन्डे बस्ते में डालने के लिए आला अधिकारियो के ऊपर राजनीतिक दबाव और सेटिंग के प्रयास चल रहे हैं। देखने वाली बात होगी कि मरघट के लिए सुरक्षित करोडो की ज़मीन को मुक्त कराने के लिए चली लम्बी अदालती लड़ाई के बाद हुए बेदखली के आदेश का जिम्मेदार हकीकत में अनुपालन कराकर कबजामुक्त कराते हैं । या महज़ पैमाइश का दिखावा करके कब्ज़ाधारियों से लाखों की वसूली करके मामले को एक बार फिर ठन्डे बस्ते में डाल देते हैं।