जब भी आपको आंखों से धुंधला या कम दिखाई देने लगता है तो लगता है आंखों में कोई दिक्कत है या बढ़ती उम्र का असर हो रहा है पर आपको बता दे कि बहुत कम लोग ही नज़र का कमजोर होने पर उसका कारण जानने की कोशिश करते हैं क्या आपको पता है कि आँखो में होने वाली दिक्कतों के पीछे डायबिटीज का भी कारण हो सकता है आइए जानते है कैसे होती है ये बीमारी….
दिल और किडनी को करता है प्रभावित!
डायबिटीज हमारे शरीर के कई अंगों को प्रभावित करता है और इससे कई और तरह की बीमारियाँ भी होने लगती हैं हमारी आँखें भी इस गंभीर बीमारी से अछूती नहीं रहती हैं डायबिटीज की वजह से आंखों की रोशनी से जुड़ी कई समस्याएं हो सकती हैं जिनमें से डायबिटिक रेटिनोपैथी और मैकुलर एडिमा मुख्य हैं इसके अलावा मोतियाबिंद, ग्लूकोमा और अंधेपन का खतरा बढ़ सकता है भारत में आंखों के अस्पताल में जाने वाले डायबिटीज के मरीजों में से लगभग 45% मरीज इस बीमारी का पता चलने से पहले ही अपनी आंखों की रोशनी खो चुके होते हैंl
डायबिटीज की क्या है समस्याएं?
आंखों से जुड़ी सभी समस्याएं डायबिटीज के कारण ही हुई हों लेकिन लंबे समय तक डायबिटीज का होना निश्चित तौर पर आंखों को नुकसान पहुंचाता है डायबिटीज हमारे शरीर की छोटी रक्त वाहिकाओं को नुकसान पहुंचाता है और उन्हें कमजोर करता है जिससे ब्लड सप्लाई में रूकावट आने लगती हैब्लड सप्लाई में होने वाली इस दिक्कत का सीधा असर रेटिना पर पड़ता है जो कि हमारी आंखों का एक मुख्य भाग है रेटिना से जुड़ी इस समस्या को ‘डायबिटिक रेटिनोपैथी (Diabetic Retinopathy)’ कहा जाता है इस बीमारी की वजह से रेटिना के हिस्से (मैक्यूला) में सूजन हो जाती है जिसे “डायबिटिक मैकुलर एडिमा (Diabetic Macular Edema)” के रूप में जाना जाता हैl
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कैसे करें पहचान?
चश्मे का पावर बदलना
अखबार पढ़ने या बहुत छोटे अक्षर में लिखे हुए शब्दों को पढ़ने में कठिनाई
धुंधला दिखाई देना
आंखों के सामने काले या लाल रंग के धब्बे या तार जैसी आकृति (फ्लोटर्स) दिखाई देना
आंखों के सामने अँधेरा छा जाना
बातों का ध्यान रखें (Keep these important factors in mind)…
आपका डायबिटीज कंट्रोल में होने के बावजूद भी आपको डायबिटिक रेटिनोपैथी की समस्या हो सकती है
लंबे समय से डायबिटीज का होना ही डायबिटिक रेटिनोपैथी की शुरुआत के लिए सबसे बड़ा रिस्क फैक्टर है
चश्मे की दुकानों पर होने वाले सामान्य आई-चेकअप में डायबिटिक रेटिनोपैथी के होने या ना होने का पता नहीं चल पाता हैl डायबिटिक रेटिनोपैथी का पता सिर्फ़ तभी लगाया जा सकता है जब आंखों के डॉक्टर द्वारा आई-ड्रॉप्स से आपकी पुतलियों को फैलाकर रेटिना की जांच की जाएl
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डायबिटिक रेटिनोपैथी से कैसे करें बचाव?
आपको बता दे की अगर डायबिटीज का मरीज लंबे अरसे तक डायबिटीज से पीड़ित है तो उसे डायबिटिक रेटिनोपैथी होना पका है डायबिटिक रेटिनोपैथी के जोखिम को कम करने के लिए सबसे कारगर उपाय है कि आप अपने डायबिटीज को कंट्रोल में रखें यानि की डायबिटीज की ABC को कंट्रोल करें यहां A का मतलब A1c, B का मतलब ब्लडप्रेशर और C का मतलब कोलेस्ट्रॉल है डायबिटिक रेटिनोपैथी के जोखिम को कम करने के लिए ये ABC हमेशा सही रेंज में होने चाहिए नॉर्मल बात करें तो आपका A1c 7.0% से कम, ब्लड प्रेशर 130/80 mmHg से कम और कोलेस्ट्रॉल (LDL-C) 100 mg प्रति dL से कम होना चाहिएग्लाइकोसिलेटेड हीमोग्लोबिन (A1c या HbA1c) पिछले 2-3 महीनों का औसत ब्लड शुगर लेवल होता है, जिससे यह पता चलता है कि आप डायबिटीज को कितनी अच्छी तरह से कंट्रोल कर रहे हैं इसके साथ साथ रोजाना कुछ देर एक्सरसाइज या कोई फिजिकल एक्टिविटी करें, पौष्टिक आहार लें और डॉक्टर की सलाह के अनुसार डायबिटीज की दवाएं समय पर लें