भारतीय बाजार में नकली घी के कुछ शातिर कारोबारियों ने कम कीमत पर नकली घी तैयार किया और फिर उसे प्रसिद्ध ब्रांड्स के नाम से बेच दिया। ऐसा आरोप है कि यह लोग अमूल, पतंजलि और अन्य 18 प्रसिद्ध ब्रांड्स के नाम से घी बेचते थे, जिससे उपभोक्ताओं को ठगा जाता था। इस घी को केवल ₹170 में तैयार किया जाता था, जबकि असली घी की कीमत बहुत अधिक होती है।नकली घी बनाने के इस काले धंधे में कुछ मुख्य घटक इस्तेमाल होते थे, जैसे सिंथेटिक सामग्री, सफेद रंग और कृत्रिम स्वाद, जो उपभोक्ताओं को वास्तविक घी जैसा स्वाद और रूप प्रदान करते थे। हालांकि, यह घी सेहत के लिए बेहद हानिकारक हो सकता है, क्योंकि इसमें कोई प्राकृतिक तत्व नहीं होते और यह शरीर के लिए अत्यधिक हानिकारक हो सकता है।
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आगरा में बड़ा कारोबार
आगरा में नकली घी बनाने का बड़ा कारोबार पकड़ा गया है, जिसमें ग्वालियर के कारोबारी मुख्य आरोपी हैं। इस मामले में प्योर इट और रियल गोल्ड नाम की फर्मों का इस्तेमाल किया जा रहा था, और इन फर्मों से देश के 18 बड़े ब्रांड्स के नाम पर नकली घी पैककर उसे विभिन्न राज्यों में बेचा जा रहा था। खासकर अमूल, पतंजलि, और अन्य प्रमुख ब्रांड्स के नाम से यह नकली घी वितरित किया जाता था।
मुख्य आरोपी और कारोबार
ग्वालियर के नीरज अग्रवाल, पंकज अग्रवाल, और बृजेश अग्रवाल इस नकली घी के कारोबार के मास्टरमाइंड हैं, जो वॉट्सएप के माध्यम से पूरी व्यवस्था को संचालित कर रहे थे। हालांकि, जब पुलिस ने ग्वालियर में दबिश दी तो यह आरोपी फरार मिले। पुलिस ने आगरा में स्थित फैक्ट्री के मैनेजर सहित पांच कर्मचारियों को गिरफ्तार किया है, लेकिन मुख्य संचालक अभी भी पुलिस की गिरफ्त से बाहर हैं।
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नकली घी की सप्लाई और बिक्री
यह घी रुपये 170 प्रति किलो में तैयार किया जाता था, जबकि इसे बाजार में ₹650-700 प्रति किलो के हिसाब से बेचा जाता था। इस कारोबार में हरियाणा, पंजाब, राजस्थान, बिहार, असम और उत्तर प्रदेश के विभिन्न शहरों के फास्ट फूड बाजारों में नकली घी सप्लाई किया जाता था। पुलिस जांच में पता चला कि पिछले दो वर्षों में इस फैक्ट्री से लगभग 10 करोड़ रुपये के नकली घी की बिक्री की गई थी।
साक्ष्य और बरामदगी
पुलिस ने फैक्ट्री से 144 किलो एक्सपायरी वनस्पति बरामद की है और 1.18 करोड़ रुपये की बिक्री से संबंधित साक्ष्य भी प्राप्त किए हैं। इसके अलावा, कई बिलों की प्रतियां और दस्तावेज भी मिले हैं, जो आगे की जांच में मददगार साबित हो रहे हैं। फैक्ट्री के कामकाज में गोदामों का इस्तेमाल किया जाता था, और इसमें बजरंग ट्रेडर्स को 43 लाख रुपये का नकली घी सप्लाई किया गया था।
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पिछला विवाद
यह घोटाला उस वक्त और भी गंभीर हो जाता है, जब पिछले साल तिरुपति बालाजी मंदिर के प्रसाद में जानवरों की चर्बी वाला घी मिलाने का मामला सामने आया था। इसके बाद से नकली घी के कारोबार पर अधिक सतर्कता बरती जा रही थी, लेकिन फिर भी कुछ लोग अपनी आदतों से बाज नहीं आ रहे।आगरा पुलिस अब ग्वालियर में दबिश देकर मुख्य आरोपियों की तलाश में है और इस पूरे मामले की जांच तेजी से की जा रही है। यह घटना भारतीय उपभोक्ताओं के लिए एक चेतावनी है कि वे हमेशा विश्वसनीय और प्रमाणित ब्रांड्स से ही सामान खरीदें।