जिला प्रशासन ने ग्वालियर में बढ़ती ठंड और शीतलहर को देखते हुए एक महत्वपूर्ण निर्णय लिया है। 6 जनवरी को नर्सरी से आठवीं कक्षा तक के बच्चों के लिए अवकाश घोषित किया गया है। इसके अलावा, 7 जनवरी से 31 जनवरी तक स्कूलों का समय बदलकर सुबह 10 बजे से दोपहर 3 बजे तक कर दिया गया है। यह आदेश सरकारी और गैर-सरकारी सभी स्कूलों, साथ ही आईसीएससी और सीबीएसई स्कूलों पर लागू होगा।
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बच्चों को स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं के लिए कोशिश
बच्चों को ठंड से बचाने के उद्देश्य से लिया गया यह निर्णय बहुत ही महत्वपूर्ण है। प्रशासन ने स्कूलों के समय में बदलाव करके बच्चों की सुरक्षा सुनिश्चित करने की कोशिश की है। ठंड और शीतलहर की स्थिति को देखते हुए, यह कदम बच्चों को स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं से बचाने के लिए उठाया गया है।जब तापमान बहुत गिर जाता है, तो बच्चों को शीतलहर के प्रभाव से बचाना जरूरी होता है, क्योंकि इससे उनके शरीर पर नकरात्मक असर पड़ सकता है, जैसे कि सर्दी, बुखार, या श्वसन संबंधित समस्याएं। इस स्थिति में, बच्चों को ज्यादा देर तक ठंडी हवा में न रखना और उन्हें उचित गर्मी देना उनके स्वास्थ्य के लिए फायदेमंद होता है।
प्रशासन ने आदेश का पालन करने का दिया निर्देश

प्रशासन ने सभी स्कूलों को इस आदेश का पालन करने के निर्देश दिए हैं ताकि बच्चों को ठंड से पूरी तरह से बचाया जा सके और उनकी सुरक्षा सुनिश्चित की जा सके। यह कदम इस समय की गंभीर परिस्थितियों को देखते हुए काफी सार्थक और आवश्यक प्रतीत होता है।
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जिला प्रशासन ने दिए निर्देश

कलेक्टर रुचिका चौहान के निर्देश पर जिला प्रशासन ने ग्वालियर में बढ़ती ठंड और शीतलहर के मद्देनजर एक अहम निर्णय लिया है। 6 जनवरी को नर्सरी से आठवीं कक्षा तक के बच्चों के लिए अवकाश घोषित कर दिया गया है, और 7 जनवरी से 31 जनवरी तक स्कूलों का समय सुबह 10 बजे से दोपहर 3 बजे तक बदल दिया गया है। यह आदेश सभी सरकारी, गैर-सरकारी, सीबीएसई और आईसीएसई स्कूलों पर लागू होगा।
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शीतकालीन अवकाश के कारण स्कूल बंद
हालांकि, इस आदेश में यह भी स्पष्ट किया गया है कि, आगामी परीक्षाएं पूर्व निर्धारित कार्यक्रम के अनुसार आयोजित की जाएंगी। इस दौरान बच्चों की सुरक्षा और स्वास्थ्य को प्राथमिकता दी जा रही है। 5 जनवरी तक शीतकालीन अवकाश के कारण स्कूल बंद थे, लेकिन अब बच्चों को शीतलहर से बचाने के लिए स्कूलों का समय बदलकर सुरक्षा सुनिश्चित की जा रही है।प्रशासन ने सभी स्कूलों को इस आदेश का पालन करने के निर्देश दिए हैं ताकि बच्चों को ठंड और शीतलहर से बचाया जा सके और उनकी सेहत पर कोई बुरा असर न पड़े। यह कदम ठंड के चलते गिरते तापमान और शीतलहर के प्रभाव से बच्चों को बचाने के उद्देश्य से लिया गया है।