वैसे तो परिवार में सबका सेहतमंद रहना बहुत ज़रूरी है मगर बात करे घर की महिलाओं तो….. वो जी जान से जुटी रहती हैंसबका ख्याल रखने में मगर अपनी सेहत पर जरा भी ध्यान नहीं देतीं। महिलाओं को सेहत से जुड़ी ज्यादातर समस्याएं 40 की उम्र के बाद होती हैं जब उनका मेनोपॉज शुरू होता है। मेनोपॉज के बाद ज्यादातर महिलाओं की हड्डियां कमजोर होने लगती हैं और उन्हें ऑस्टियोपोरोसिस हो जाता है। ऑस्टियोपोरोसिस के बारे में जागरूकता बढ़ाने के लिए हर साल ‘वर्ल्ड ऑस्टियोपोरोसिस डे’ मनाया जाता है।
कमजोर हड्डियां अब और नहीं….
20 अक्टूबर यानि आज के दिन हम ‘वर्ल्ड ऑस्टियोपोरोसिस डे’ मानते है, जिसकी थीम है ‘Say No To Fragile Bones’ यानी कमजोर हड्डियां अब और नहीं। क्योकि हम भी यही चाहते हैं कि महिलाएं अपनी बोन हेल्थ को लेकर जागरूक रहें, ताकि उनकी हड्डियां कमजोर न हों। पुरुषों के मुकाबले महिलाओं की हड्डियां जल्दी कमजोर क्यों होती हैं और महिलाओं को बोन हेल्थ के बारे में क्या जानकारी होनी चाहिएl
मेनोपॉज के बाद बोन डेंसिटी की समस्या शुरू
आपको शायद ही पता होगा कि बोन डेंसिटी यानी हड्डियों का घनत्व कम होना ही ऑस्टियोपोरोसिस है। महिलाओं में मेनोपॉज के बाद बोन डेंसिटी की समस्या शुरू होती है। मेनोपॉज के दौरान शरीर में एस्ट्रोजन हार्मोन का लेवल कम होने के कारण महिलाओं की हड्डियां कमजोर होने लगती हैं। डॉ. अभिजीत पवार के अनुसार, मेनोपॉज के बाद लगभग 50% महिलाओं को मेनोपॉज होता है।
फिसलने से मेजर फ्रैक्चर
आपके घर में कई बार ऐसा होता है कि घर की बुजुर्ग महिला के बाथरूम में फिसल जाने से मेजर फ्रैक्चर हो जाता है। घर वालों को समझ नहीं आता कि इतनी सी चोट लगने से फ्रैक्चर कैसे हो सकता है। इसकी वजह है बोन डेंसिटी का कम होना। मेनोपॉज के बाद महिलाओं की हड्डियां जल्दी कमजोर होती हैं और पुरुषों के मुकाबले उन्हें ऑस्टियोपोरोसिस कम उम्र में हो जाता है।मेनोपॉज के बाद अगर महिला बेवजह बहुत थकान महसूस करती है, उसे जोड़ों में दर्द रहता है तो ये ऑस्टियोपोरोसिस के संकेत हो सकते हैं। महिलाओं को इस बात की जानकारी होनी चाहिए कि मेनोपॉज के बाद उन्हें ऑस्टियोपोरोसिस की समस्या हो सकती है इसलिए उन्हें इन संकेतों के प्रति सजग रहना चाहिए।ज्यादातर भारतीय महिलाओं की सबसे बड़ी कमी ये है कि वो एक्सरसाइज नहीं करतीं। उन्हें लगता है कि घर के काम कर लेने से उनकी एक्सरसाइज हो जाती है, लेकिन ऐसा है नहीं। फिट-हेल्दी रहने और हड्डियों को मजबूत बनाने के लिए महिलाओं को भी रेगुलर एक्सरसाइज करना चाहिए।
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प्रेग्नेंसी और डिलीवरी के समय रखे ख्याल
महिलाओं कोप्रेग्नेंसी और डिलीवरी के बाद बोन हेल्थ का ध्यान रखना चाहिए। क्योकि प्रेग्नेंसी में महिला को कैल्शियम की ज्यादा जरूरत होती है। प्रेग्नेंसी में बच्चे को सारा कैल्शियम मां की हड्डियों से मिलता है इसलिए मां के शरीर को ज्यादा कैल्शियम की जरूरत होती है। डिलीवरी के बाद जब मां बच्चे को दूध पिलाती है, उस टाइम पर भी महिला के शरीर को कैल्शियम की ज्यादा जरूरत होती है।कई महिलाएं प्रेग्नेंसी में तो कैल्शियम लेती हैं, मगर बच्चे के जन्म के बाद लापरवाह हो जाती हैं। ऐसे में शरीर मां की हड्डियों से कैल्शियम अवशोषित करके शिशु के लिए दूध तैयार करता है। इसलिए इस समय महिला को कैल्शियम और विटामिन डी की बहुत ज्यादा जरूरत होती है।
जो महिलाएं बच्चे के जन्म के बाद कैल्शियम और विटामिन डी नहीं लेतीं उन्हें कमर और पैरों में दर्द शुरू हो जाता है। दर्द इतना होता है कि कई महिलाएं ठीक से उठ-बैठ तक नहीं सकतीं।मेनोपॉज शुरू होने से पहले ही महिलाओं को अपनी सेहत पर ध्यान देना शुरू कर देना चाहिए। इसके लिए डाइट और एक्सरसाइज सबसे ज्यादा जरूरी हैं। ड्राई फ्रूट्स, दूध, दही, अंडा, अंकुरित अनाज आदि को डाइट में शामिल करें। रोजाना एक्सरसाइज करें।अगर शरीर में कैल्शियम और विटामिन डी की बहुत ज्यादा कमी है तो डॉक्टर से सलाह लेकर इनके सप्लीमेंट भी लिए जा सकते हैं। मेनोपॉज के दौरान ज्यादातर महिलाओं को कैल्शियम और विटामिन डी सप्लीमेंट लेने की सलाह दी जाती है।अगर किसी महिला की मां को मेनोपॉज जल्दी हुआ है तो उसके साथ भी ऐसा हो सकता है। ऐसी महिलाओं को अपनी सेहत पर ज्यादा ध्यान देना चाहिए। जरूरत हो तो डॉक्टर से मिलकर कैल्शियम और विटामिन डी सप्लीमेंट जल्दी शुरू कर देने चाहिए।